अंधेरे मैं Masjid जाने के फ़ायदे | Allah ki अदालत 2 Maidan-e-Hashr | Dawat-e-Tabligh

‘यानी उस दिन दुनिया के दोस्त एक-दूसरे के दुश्मन बने हुए होंगे। हां! परहेज़गारों की दोस्ती उस वक्त भी कायम रहेगी।अंधेरे में Masjid जाने वालों को खुशख़बरी सुना दो कि.. अंधेरे मैं Masjid जाने के फ़ायदे | Allah ki अदालत 2 Maidan-e-Hashr | Dawat-e-Tabligh

अंधेरे मैं Masjid जाने के फ़ायदे |Allah ki अदालत 2 Maidan-e-Hashr | Dawat-e-Tabligh
अंधेरे मैं Masjid जाने के फ़ायदे |Allah ki अदालत 2 Maidan-e-Hashr | Dawat-e-Tabligh

सबसे ज़्यादा भूखे कौन रहेगे ? 

 क़ियामत के दिन सबसे ज़्यादा भूखे

हज़रत इब्ने उमर से रिवायत है कि हज़रत रसूल करीम के सामने एक शख़्स ने डकार ली। आप ने फ़रमाया कि अपनी डकार कम करो क्योंकि क़ियामत के दिन सबसे ज़्यादा देर तक वही भूखे रहेंगे जो दुनिया में सबसे ज्यादा देर तक पेट भरे रहते हैं।”

दोगले इंसान का क्या होगा ? 

दोगले का हश्र

हज़रत अम्मार से रिवायत 7है कि हज़रत रसूले पाक ने इर्शाद फ़रमाया कि जो दुनिया में दो चेहरों वाला था (यानी ऐसा शख़्स कि इस गिरोह के सामने इसकी तारीफ़ और दूसरों की निंदा (बुराई) करता हो और फिर जब दूसरों में जाए तो उनकी तारीफ़ और उस गिरोह की बुराई करता हो) तो कियामत के दिन उसकी जुबान आग की होगी ।

झूठा ख़्वाब Dhekane वाला

कनसूई लेने वाला

फ़रमाया हुज़ूरे अकदस ने कि जिसने बनाकर (यानि अपनी तरफ से गढ़कर) झूठा ख़्वाब ब्यान किया उसे कियामत के दिन मजबूर किया जाएगा कि दो जौ के बीच में गिरह लगाये और उनमें हरगिज़ गिरह न लगा सकेगा (इसलिए अज़ाब में रहेगा। और जिसने किसी गिरोह की बात की तरफ़ कान लगाये, हालांकि वह सुनाना न चाहते थे तो क़ियामत के दिन उसके कान में सीसा (पिघलाकर) डाला जाएगा और जिसने कोई तस्वीर (जानदार की) बनाई उसे क़ियामत के दिन अज़ाब दिया जाएगा और मजबूर किया जाएगा कि उसमें रूह फूंक कर जिंदा करे और वह रूह फूंक न सकेगा ।’

ज़िल्लत का लिबास किसको दिया जाएगा ?

हज़रत इब्ने उमर से रिवायत है कि हज़रत रसूले करीम ने इर्शाद फ़रमाया कि जिसने दुनिया मे शोहरत (घमंड और इतरावे) का लिबास पहना, उसे ख़ुदा कियामत के दिन जिल्लत का लिबास पहनायेगा ।

ज़मीन हड़पने वाला

इर्शाद फ़रमाया हुजूरे अकदस ने कि जिसने थोड़ी-सी ज़मीन भी बगैर हक़ के ले ली, उसको क़ियामत के दिन सातवीं ज़मीन तक धंसा दिया जायेगा । 

दूसरी रिवायत में है कि आप ने फरमाया कि जिसने ज़ुल्म के तौर पर एक बालिश्त ज़मीन भी ले ली उसको अल्लाह तआला मजबूर करेगा कि उसे इतना खोदे कि सातवीं ज़मीन के आखिर तक पहुंच जाए फिर कियामत का दिन ख़त्म होने तक, जब तक कि लोगों में फ़ैसला न हो, वे सातों ज़मीनें उसके गले में तौक़ की तरह डाल दी जा एंगी।’

Jo जुर्म के खिलाफ ना बोले

आग की लगाम

हज़रत अबू हुरैरः रिवायत करते हैं कि हज़रत रसूले करीम ने इर्शाद फरमाया कि जिससे कोई इल्म की बात पूछी गयी, जिसे वह जानता था और उसने वह छिपा ली तो कियामत के दिन उसके (मुंह में) आग की लगाम दी जाएगी। चूंकि उसने बोलने के वक्त जुबान बंद कर रखी। इसलिए जुर्म के मुताबिक सजा तज्वीज़ हुई कि आग की लगाम लगायी गई। 

गुस्सा control करने के फ़ायदे

गुस्सा पीने वाला

हज़रत सहल अपने बाप हज़रत मुआज से रिवायत फ़रमाते थे कि नबी करीम ने फरमाया कि जिसने गुस्सा पी लिया हालांकि वह गुस्से के तकाज़े पर अमल करने की क़ुदरत रखता था; क़ियामत के दिन अल्लाह तआला उसको सारी मख़्लूक के सामने बुलाकर अख्तियार देंगे कि जिस हूर को चाहे, अपने लिए अख़्तियार कर ले।

सबर करने के फ़ायदे

हरमैन में वफात पाने वाला

हुज़ूरे अकदस ने इर्शाद फ़रमाया कि जो मदीने में ठहरा और उसने मदीने की तकलीफ़ पर सब्र किया। मैं क़ियामत के दिन उसके लिए गवाह और सिफारिशी हूंगा और जो शख़्स मक्का के हरम या मदीना के हरम में मर गया, उसे अल्लाह क़ियामत के दिन अमन वालों में उठायेगा।

जो हज करते हुए मर जाए

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास से रिवायत है कि एक साहब हज़रत रसूले करीम के साथ अरफात में ठहरे थे। अचानक सवारी से गिर पड़े, जिससे उनकी गरदन टूट गई। हुज़ूर ने इर्शाद फ़रमाया कि उसको बेरी के पत्तों में पके हुए पानी में नहलाओ और उसको इन (इहराम के) ही कपड़ों में कफ़न दो और उसका सिर न ढांको क्योंकि यह क़ियामत के दिन ‘तल्बियः” पढ़ता हुआ उठेगा।’

शहीद का मकाम

हज़रत अबू हुरैरः फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह 8 ने इर्शाद फरमाया कि अल्लाह की राह में जिस किसी के ज़ख़्म लग गया और अल्लाह ही खूब जानता है कि उसकी राह में किस-किस के ज़ख़्म आया है। (यानी) नीयत का हाल अल्लाह ही खूब जानता है तो वह कियामत के दिन उस ज़ख्म को लेकर इस हाल में आयेगा कि उसका खून बह रहा होगा जिसका रंग खून की तरह होगा और खुश्बू मुश्क की तरह होगी।’

अंधेरे मैं Masjid जाने के फ़ायदे

कामिल नूर वाले

हज़रत बुरैदा रिवायत फ़रमाते हैं कि हज़रत रसूले करीम ने इर्शाद फ़रमाया कि अंधेरे में मस्जिद जाने वालों को खुशख़बरी सुना दो कि उनको कियामत के दिन पूरा नूर इनायत किया जाएगा।

– तिर्मिजी

अज़ान देने वाले

हज़रत मुआविया से रिवायत है कि हज़रत रसूले करीम ने इर्शाद फ्रमाया कि अज़ान देने वाले क़ियामत के दिन सब लोगों से ज़्यादा लम्बी गरदनों वाले होंगे।

– मुस्लिम

ख़ुदा के लिए मुहब्बत करने वाले

हुज़ूरे अक़दस ने इर्शाद फ़रमाया कि अल्लाह तआला फ़रमाते हैं कि मेरी अज़्मत (बड़ाई) की वजह से आपस में मुहब्बत करने वालों के लिए नूर के मिंबर होंगे और नबी व शहीद उन पर रश्क करते होंगे (क्योंकि वे तो बेख़ौफ़ और बेलगाम होकर नूर के मिम्बरों पर बैठे होंगे और नबी व शहीद दूसरों की सिफरिश में लगे होंगे ।)

-मिश्कात शरीफ

Allah के Saye में कौन लोग रहेंगे

अर्श के साये में

हज़रत अबू हुरैरः से रिवायत है कि हज़रत रसूले करीम ने इर्शाद फरमाया कि सात शख़्सों को उस दिन अल्लाह अपने साए में रखेगा जबकि उसके साए के अलावा और किसी का साया न होगा। 

1) मुसलमानों का इंसाफ पसंद बादशाह,

2) वह जवान, जिसने अल्लाह की इबादत में जवानी गुज़ारी,

3) वह मर्द, जिसका दिल मस्जिद में लगा रहता है। जब वह मस्जिद से निकलता है, जब तक वह वापस न आये (उसका जिस्म बाहर और दिल मस्जिद के अंदर रहता है), 

4) वे दो शख़्स जिन्होंने आपस में अल्लाह के लिए मुहब्बत की। उसी मुहब्बत की वजह से जमा होते हैं और उसी को दिल में रखते हुए जुदा हो जाते हैं।

5) वह शख़्स जिसने तन्हाई में अल्लाह को याद किया और उसके आंसू बह निकले, 

6) वह मर्द जिसको खूबसूरत और इज़्ज़तदार औरत ने (बुरे काम के लिए) बुलाया और उसने टका-सा जवाब दे दिया कि मैं तो अल्लाह से डरता हूं,

7) वह शख़्स जिसने ऐसे छिपाकर सद्क़ा दिया कि उसके बाएं हाथ को ख़बर न हुई कि दाहिने हाथ ने क्या खर्च किया।

– बुखारी व मुस्लिम

Quran फड़ने वाले की काम्याबी

नूर के ताज वाले 

हज़रत मुआज जुनी रिवायत फ़रमाते हैं कि हज़रत रसूले करीम ने इर्शाद फ़रमाया कि जिसने क़ुरआन पढ़ा और उसपर अमल किया, क़ियामत के दिन उसके मां-बाप को एक ताज पहनाया जाएगा, जिसकी रौशनी सूरज की उस रौशनी से भी अच्छी होगी जबकि दुनिया के घरों में इस शक्ल में होती, जिस वक्त कि सूरज तुम्हारे घरों में मौजूद होता। अब तुम ही बताओ कि जब उसके मां-बाप का यह हाल है तो खुद जिसने उस पर अमल किया होगा, उसका कैसा रुत्वा होगा।

हलाल कमाने वाला

हज़रत अबू हुरैरः से रिवायत है कि हज़रत रसूले करीम नें इर्शाद फरमाया कि जिसने हलाल तरीके से इसलिए दुनिया तलब की कि भीख मांगने से बचे और अपने घर वालों पर ख़र्च करे और अपने पड़ोसी पर रहम करे तो कियामत के दिन अल्लाह तआला से वह इस हाल में मुलाकात करेगा कि उसका चेहरा चौदहवीं रात की तरह चमकता हुआ होगा और जिसने हलाल तरीके से दुनिया इसलिए तलब की कि दूसरों के मुकाबले में ज़्यादा जमा कर ले और दूसरों पर फन करे और दिखावा करे तो खुदा से इस हाल में मुलाकात करेगा कि अल्लाह तआला उसपर गुस्सा होगा।”

-मिश्कात

रिश्ते-नाते काम न आयेंगे

उस दिन हर आदमी सिर्फ अपने बचाव की फिक्र में होगा। कोई किसी के काम न आयेगा। एक दूसरे से भागेगा। बहुत-सी आयतों में इन्हीं बातों का एलान फ़रमाया गया है। सूरः लुकमान में इर्शाद है :

बख़्शी यौमल्ला यज्जी वालिदुन आँव ल दिही वला मौलूदुन हु व जाज़िन औंवालिदिही शैआ।

‘उस दिन से डरो जिस दिन न बाप बेटे का बदला चुकायेगा, न बेटा ही बाप की तरफ से कोई मुतालबा (मांग) अदा कर सकेगा।’

क़ियामत के दिन बड़ा बिखराव होगा। दुनिया की कुछ दिनों की ज़िंदगी से (जिस में नाते-रिश्तेदार काम आते हैं) धोखा खाकर बेवकूफी से यह समझना कि कियामत में भी ये लोग काम आयेंगे, नादानी है। सूरः मुमिनून में फ़रमाया :

फ इज़ा नुफि ख़ फिस्सूरि फ ला अन्सा व बै नहुम वला य त साअलून ।

‘जब सूर फूंका जा चुकेगा तो उस दिन उनके दर्मियान रिश्ते-नाते न रहेंगे और न कोई किसी को पूछेगा ।’

सूरः अ ब स में फ़रमाया :

यौ म यफ़िर्रुल मर्ड मिन अख़ीहि व उम्मिही व अबीहिव साहिबतिही व बनीह ।

यानी ‘क़ियामत के दिन इंसान अपने भाई से और मां-बाप से और बीवी से और बेटों से सबसे भागेगा ।’

यानी किसी के साथ हमदर्दी और मदद तो दूर की बात। वह अपने ऐसे करीबी रिश्तेदारों तक से दूर भागेगा।

दोस्त dusman क्यू बन जाएंगे

दोस्त दुश्मन हो जाएंगे

क़ियामत के दिन बस नेक अमल ही काम आयेंगे। इंसान को सबसे ज्यादा भरोसा अपने रिश्तेदारों पर होता है। ऊपर की आयतों से यह बात मालूम हुई कि इंसान अपने रिश्तेदारों से दूर भागेगा। उनके बाद नम्बर दोस्तों और हमदर्दों का आता है। उनके बारे में अल्लाह का इर्शाद है:

वला यस अलु हमीमुन हमीमैंयुबस्सरू नहुम।

-सूरः मआरिज

यानी ‘न दोस्त दोस्त को पूछेगा, हालांकि (वे एक दूसरे को) दिखाई दे रहे होंगे और फरमाया:

अल-अखिल्लार यौ म इज़िम बअजुहुम लिबजिन अदुब्बुन इल्लल मुत्तकीन ।

‘यानी उस दिन दुनिया के दोस्त एक-दूसरे के दुश्मन बने हुए होंगे। हां! परहेज़गारों की दोस्ती उस वक्त भी कायम रहेगी।

Riswat में सब देने को तैयर होंगे

रिश्वत में सारी दुनिया देने को तैयार होंगे

सूरः मआरिज में फरमाया :

यवदुल मुङ्घ्रिमु लौ यफ़्तदी मिन अज़ाबि यौ म इज़िम बिबनीह। व साहिबतिही व अख़ीह। व फुसीलतिहिल्लती तुवीह । व मन फ़िल अर्ज जमीअन सुम्म म युन्जीह, कल्ला ।

‘मुमि चाहेगा (किसी तरह) अपनी सज़ा के बदले में अपनी औलाद को, बीवी को, भाई को, यहां तक कि अपना सारा कुन्बा, जिसके साथ रहता था, बल्कि ज़मीन में जो कुछ है वह सब (रिश्वत के तौर पर) दे दे और फिर उसे छुटकारा मिल जाए।’

(लेकिन) हरगिज़ ऐसा न होगा। क़ियामत के दिन अपने बदले में रिश्तेदार-नातेदार, माल व दौलत, बल्कि सारी ज़मीन देकर जान छुड़ाने तक के लिए इंसान राजी होगा मगर वहां आमाल के सिवा कुछ पास भी न होगा। अज़ीज़ व रिश्तेदार क्यों किसी के बदले उस दिन की मुसीबत में पड़ना पसंद करेंगे। मान भी लीजिए अगर किसी के पास कुछ हो और कोई किसी की तरफ से अपनी जान के बदले में देने को तैयार भी हो जाए तो कुबूल न होगा। सूरः आले इम्रान में फ़रमाया :

इत्रल्लजी न करू व मातू व हुम कुफ़्फ़ारुन फलैंयुक्ब ल मिन अ ह दिहिम मिल्उलु अर्ज़ि ज़ ह बौं व लविकृतदा विः ।

‘बेशक जिन लोगों ने कुफ़ किया और कुफ़ की हालत में मर गये सो उनमें से किसी का ज़मीन भर कर सोना भी न लिया जाएगा भले ही अपनी जान के बदले देना चाहे ।’

अल्लाहु अकबर! कैसी परेशानी और मजबूरी और बेकसी की हालत होगी।

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