हश्र के मैदान में मौजूद लोगों की अलग-अलग हालतें । जिस मर्द के पास दो बीवि हों और उसने उनके दर्मियान इंसाफ न किया हो तो…. Allah ki अदालत

परिचय
हश्र के मैदान में मौजूद लोगों की अलग-अलग हालतें ।
भिखारियों की हालत kiski hogi?
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर से रिवायत है कि आंहज़रत ने इर्शाद फ़रमाया कि आदमी लोगों से सवाल करते-करते उस हालत को पहुंच जाता है कि क़ियामत के दिन इस हालत में आयेगा कि उसके चेहरे पर गोश्त की ज़रा-सी भी बोटी न होगी’ यानी भीख मांगने वाले को रुस्वा और ज़लील करने के लिए हश्र के मैदान में इस हाल में लाया जाएगा कि उसके चेहरे पर बस हड्डियाँ ही हड्डियाँ होंगी और गोश्त की एक बोटी भी न होगी और तमाम लोग उसे देखकर पहचान लेंगे कि यह दुनिया में लोगों से सवाल करके अपनी इज़्ज़त खोता था। आज भी उसकी कुछ इज्ज़त नहीं और सबके सामने ज़लील हो रहा है।
Biwi को परशान करने की क्या सजा है?
जिसने एक बीवी के साथ नाइंसाफी की हो
हज़रत अबू हुरैरः फ़रमाते हैं कि हज़रत रसूले करीम ने इर्शाद फ़रमाया कि जिस मर्द के पास दो बीवियां हों और उसने उनके दर्मियान इंसाफ न किया हो तो क़ियामत के दिन वह इस हाल में आयेगा कि उसका पहलू गिरा हुआ होगा।
कुरआन शरीफ़ भूलने की क्या सजा है?
हज़रत साद बिन उबादा से रिवायत है कि हज़रत रसूल करीम ॐ ने इर्शाद फ़रमाया कि जिस शख़्स ने क़ुरआन शरीफ पढ़ा और फिर उसे (गफलत और सुस्ती की वजह से ) भुला दिया, वह अल्लाह से इस हाल में मुलाकात करेगा कि ‘अज्ज़म’ होगा ।’
‘अज्जम’ यानी कोढ़ी होगा। उसके हाथ या उंगलियां गिरी हुई होंगी और कुछ बुजुर्गों का कहना है कि इसका मतलब यह है कि उसके दांत गिरे हुए होंगे। ज़ाहिर में यह आख़िरी मतलब ही ज़्यादा मुनासिब मालूम होता है क्योंकि क़ुरआन शरीफ़ पढ़ते रहने से याद रहता है और पढ़ते रहना ज़ुबान और दांतों का अमल है। इसलिए इसकी सज़ा दांतों का न होना ही मुनासिब है। (खुदा ही बेहतर जाने)
एक हदीस में है कि प्यारे नबी ने इर्शाद फ़रमाया कि मुझ पर मेरी उम्मत के गुनाह पेश किये गये तो मैंने कोई गुनाह इससे बढ़कर नहीं देखा कि किसी को क़ुरआन शरीफ़ की कोई सूरः या आयत आती हो और फिर वह उसे भूल जाए।
Namaz na पढने की क्या सजा है?
बेनमाज़ियों का हश्र
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र से रिवायत है कि हज़रत रसूले करीम ने इर्शाद फ़रमाया कि जिसने नमाज़ की पाबंदी न की, इसके लिए नमाज़ न नूर होगी, न दलील होगी, न निजात का सामान होगी और क़ियामत के दिन उसका हश्र फ़िरऔन, कारून, हामान और उबई बिन ख़ल्फ़ के साथ होगा।
Katal करने वालो की क्या सजा है?
कातिल व मक्तूल’
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है कि हज़रत रसूले करीम ने फरमाया कि कियामत के दिन मक्तूल अपने कातिल को पकड़कर इस तरह लायेगा कि क़ातिल का माथा और उसका सर मक्तूल के हाथ में होगा और मक्तूल की गरदनों की नसों से ख़ून बह रहा होगा। वह अल्लाह के दरबार में अर्ज़ करेगा कि ऐ रब ! मुझे इसने कुल्ल किया था, (इसी तरह वह) उसे अर्श के क़रीब ले पहुंचेगा।
कातिल की madad करने वालो की क्या सजा है?
कातिल की मदद करने वाला
हज़रत अबू हुरैरः से रिवायत है कि हज़रत रसूले करीम ने इर्शाद फ़रमाया कि जिसने किसी मोमिन के कत्ल में ज़रा-सी कलिमा कहकर भी मदद की हो (क़ियामत के दिन) वह खुदा से इस हाल में मुलाकात करेगा कि उसकी दोनों आंखें के दर्मियान ‘आइसुम मिर्रहमतिल्लाह’ लिखा होगा। जिसके मानी यह है यह अल्लाह की रहमत से नाउम्मीद है।
वादा Pura na करने वालो की क्या सजा है?
वादा न पूरा करने वाला
हज़रत सईद से रिवायत है कि हज़रत रसूले करीम ने इर्शाद फ़रमाया कि क़ियामत के दिन हर गादिर (यानी वादा तोड़ने वाला) के लिए झंडा होगा जो उसके पाख़ाने की जगह पर लगा होगा ।’
दूसरी रिवायत में है कि आंहज़रत ने इर्शाद फरमाया कि जिसका वादा तोड़ना जितना ही बड़ा होगा उतना ही झंडा बुलन्द होगा। इसके बाद फरमाया कि ख़बरदार जो जनता का हाकिम बना उसके वादे तोड़ने से बढ़कर किसी का वादा तोड़ना नहीं यानी अगर वह वादा तोड़ेगा तो तमाम पब्लिक उसके निशाने पर आ जाएगी, इसलिए उसका वादा तोड़ना सबसे बड़ा हुआ ।
अमीर या बादशाह का क्या haal Hoga?
हज़रत अबू हुरैरः फरमाते हैं कि हज़रत रसूले करीम ने इर्शाद फरमाया कि जो शख़्स भी दस आदमियों का अमीर बना होगा, वह कियामत के दिन इस हाल में आयेगा कि उसके हाथ बंधे हुए होंगे। यहां तक कि (अगर उसने अपने मातहतों में इंसाफ़ से काम लिया होगा तो) उसे इंसाफ़ छुड़ा देगा या (अगर ज़ुल्म का बर्ताव किया होगा तो उसे ज़ुल्म हलाक कर देगा ।’
एक हदीस में है कि जो हाकिम भी लोगों के दर्मियान हुक्म करता है। वह क़ियामत के दिन इस हाल में आयेगा कि एक फ़रिश्ते ने उसकी गुद्दी पकड़ रखी होगी। (वह फ़रिश्ता उसको लाकर खड़ा कर देगा और फिर अपना सर आसमान की तरफ़ उठाकर (अल्लाह के हुक्म का इन्तिज़ार करेगा) सो अगर अल्लाह तआला हुक्म फरमाएंगे कि उसको गिरा दे तो वह उसको इतने गहरे गड्ढे में गिरा देगा जिसकी तह में गिरत-गिरते चालीस साल में पहुंचा जाए।
ज़ालिम हाकिम गिराए जाएंगे।
ज़कात न देने वाला की क्या सजा है?
हज़रत अबू हुरैरः रिवायत फ़रमाते हैं कि हज़रत रसूल करीम ने इर्शाद फ़रमाया कि जिसे अल्लाह ने माल दिया और उसने उसकी ज़कात न अदा की तो क़ियामत के दिन उसका माल गंजा सांप बना दिया जाएगा जिसकी आँखों पर उभरे हुए दो नुक्ते होंगे, वह सांप तौक बनाकर उसके गले में डाल दिया जाएगा फिर वह सांप उसके दोनों बांहों को पकड़कर कहेगा कि मैं तेरा माल हूं। फिर आप ने यह आयत तिलावत फ़रमाई (जिस में यही मज़्मून आया है):

‘और जो लोग अल्लाह के दिए हुए में बुख़्ल (कंजूसी) करते हैं जो उसने उनको अपने फ़ज़्ल से दिया है। वे यह ख़्याल न करें कि यह उनके हक़ में बेहतर है, बल्कि यह उनके लिए वबाल है। उन्हें बहुत जल्द क़ियामत के दिन इस (माल) का तौक़ पहनाया जाएगा, जिसमें उन्होंने कंजूसी की थी ।’ -बुख़ारी
हज़रत अबू हुरैरः + से रिवायत है कि हज़रत रसूल करीम ने इर्शाद फ़रमाया कि सोने-चांदी के जिस मालिक ने इनमें से इनका हक़ (ज़कात) अदा न किया तो जब क़ियामत का दिन होगा तो उसके लिए आग की तख़्तियां बनायी जाएंगी जो दोज़ख़ में तपायी जाएंगी फिर उनसे उनका पहलू और उसका माथा और उसकी पीठ को दाग़ दिया जाएगा। जब भी वे (तख़्तियां ठंढी हो-होकर दोज़ख़ की आग में) वापस कर दी जाएंगी तो फिर बार-बार निकाली जाती रहेंगी ( और उनसे दाग़ दिया जाता रहेगा और यह सज़ा) उसको उस दिन में (मिलती रहेगी) जो पचास हज़ार वर्ष का दिन होगा। यहां तक कि सब बन्दों का फ़ैसला कर दिया जाएगा। आखिरकार वह (इस मुसिबत से निजात पाकर) अपना रास्ता पायेगा जो जन्नत की तरफ़ होगी या दोज़ख़ की तरफ़ । मौजूद लोगों में से किसी ने सवाल किया कि या रसूलल्लाह ! ऊंटों का हुक्म (भी) इर्शाद फ़रमायें। आप ने फ़रमाया जो ऊंटों वाला इनमें से इनके हक़ अदा नहीं करता और इनके हकों में से एक हक यह भी है कि जिस दिन उनको पानी पिलाये उस दिन उनका दूध भी निकाल ले तो उसको उन ऊटों के नीचे साफ़ मैदान में लिटा दिया जाएगा। इसके ऊंट ख़ूब मोटेताज़े सबके सब वहां मौजूद होंगे। उनमें से एक बच्चा भी गैर-हाज़िर न होगा। वे ऊंट अपने खुरों से उसको रौदेंगे और अपने मुंहों से उसको काटेंगे । जब उनका पहला गिरोह गुज़र चुकेगा तो बाद का गिरोह उस पर लौटा दिया जाएगा। पचास हज़ार वर्ष के दिन में बन्दों के दर्मियान फ़ैसले होने तक उसको यही सज़ा मिलती रहेगी। फिर वह अपना रास्ता जन्नत की तरफ जाएगा या दोज़ख़ की तरफ ।
सवाल किया गया कि या रसूलुल्लाह ! बकरियों और गायों का हुक्म भी इर्शाद फ़रमायें। आपने फ़रमाया कि जो गायों का मालिक और बकरियों का मालिक। इनमें से इनका हक अदा नहीं करता तो जब क़ियामत का दिन होगा तो उसको साफ़ मैदान में उनके नीचे लिटा दिया जाएगा। इनमें से वहां एक गाय या बकरी गैरहाज़िर न होगी (और) न कोई इनमें मुड़े हुए सींगों की होगी और न कोई बेसींगा की और न कोई टूटे हुए सींगों की। फिर ये गायें और बकरियां उसपर गुज़रेंगी और अपने सींगों से उसको मारती जाएंगी और खुरों से रौंदती जाएंगी। जब इनका पहला गिरोह गुज़र चुकेगा तो आख़िर का गिरोह उसपर लौटा दिया जाएगा। पचास हज़ार वर्ष के दिन में फैसला होने तक उसको यही सज़ा मिलती रहेगी फिर वह अपना रास्ता जन्नत की तरफ़ पायेगा या दोज़ख़ की तरफ ।’