तेरी अजमतों से हूँ बेख़बर, यह मेरी नज़र का क़सूर हैं। कहीं दिल की शर्त न डालना, अभी दिल निगाहों से दूर है। Allah se दुआ ki Kavita – Web Stories in Hindi Dawat~e~Tabligh…

दुआ ki Kavita
तेरी अजमतों से हूँ बेख़बर
यह मेरी नज़र का क़सूर हैं।
तेरी रहगुज़र में क़दम क़दम
कहीं अर्श है, कहीं तूर है,
यह बजा है मालिके बन्दगी
मेरी बन्दगी में कुसूर हैं।
यह ख़ता है मेरी ख़ता मगर
तेरा नाम भी तो गुफर हैं।
कहीं दिल की शर्त न डालना
अभी दिल निगाहों से दूर है।
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