Attahiyat सिखना | तशहूद Dawat~e~Tabligh

Aatiyat सिखना के लिए सफर । 24 सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम अत्तहिय्यात नकल करने वाले हैं लेकिन हमारे इमाम अबू हनीफ़ा रहमतुल्लाहि अलैहि ने हज़रत इब्ने मस्ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु वाली अत्तहिय्यात इख्तियार फ़रमाई है। Attahiyat सिखना | तशहूद Dawat~e~Tabligh

Attahiyat सिखना | तशहूद Dawat~e~Tabligh
Attahiyat सिखना | तशहूद Dawat~e~Tabligh

Attahiyat सिखना

  • अत्तहिय्यात सीखने के लिए एक महीने का सफ़र

इसी हदाईक़ के मुक़द्दमे में एक वाक़िआ रूवी करके नक़ल किया है। कोई हवाला या कोई तख़रीज इसकी नहीं फ़रमाई। एक शख़्स हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु के दौरं-ख़िलाफ़त में मुल्क शाम से मदीना तैयबा हाज़िर हुए, 70 या 80 साल उनकी उम्र थी। हज़रत उमर रजि० ने देखा, धूप में सफ़र करने की वजह से बिल्कुल स्याह फ़ाम हो गये थे, ज़मीन का रंग उनकी रंगत से ज़्यादा साफ़ है, बाल बढ़े हुए हैं। हज़रत उमर रज़ि० ने पूछा कि कैसे तशरीफ़ लाये? इस कमज़ोरी और बुढ़ापे में आपने इतना लम्बा सफ़र क्यों किया? बड़े मियाँ ने कहा सीखने के लिए आया हूँ।

इतनी बात सुनकर हज़रत उमर रज़ि० ऐसे रोए कि साहब-हदाइक के अल्फाज़ है इतना रोए कि दादी मुबारक तर हो गई, और टप-टप आँसू गिरने लगे, देर तलक रोते रहे और फिर क़सम खाकर फ़रमाया : कसम है उस जात आली की जिसके कब्ज़े में मेरी जान है। तुम्हें अज़ाब नहीं दिया जाएगा। क्यूँ? दीन की एक बात सुनने और सीखने के लिए उन्होंने अपने घर को छोड़ा और ऊँट के ऊपर उन्होंने वक्त गुज़ारा।

Aatiyat सिखना के लिए सफर

  • तशहूहूद सीखने के लिए सफ़र की वजह

सवाल पैदा होता है क्या मुल्क शाम में हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु के ज़माने में यह इंतिज़ाम नहीं था, कि कोई किसी को नमाज़ सिखा सके? जवाब यह है कि इंतिज़ाम था बड़े-बड़े सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम यहाँ मौजूद थे तो फिर क्या वजह है कि उन्होंने मुल्क शाम से मदीना तैय्यबा का सफ़र किया?

तशहूद नक़ल करने वाले सहावी

इसकी वजह यह है कि के नकल करने वाले 24 सहाबा-ए- किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम हैं अहादीस में गौर करने से मालूम होता है कि सैगों में और अल्फ़ाज़ में जुज़वी इख्तिलाफ है। कहीं तो है गर्ज कि हज़रत अब्दुल्लाह दिन अब्यास रज़ियल्लाहु अन्हु की अत्तहिय्यात और है। हज़रत सय्यदा आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा की अत्तहिय्यात और है। हज़रत जाबिर रजि० की अत्तहिय्यात और है हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्जद रजि० की अत्तहिय्यात और है इसी तरह 24 सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम अत्तहिय्यात नकल करने वाले हैं लेकिन हमारे इमाम अबू हनीफ़ा रहमतुल्लाहि अलैहि ने हज़रत इब्ने मस्ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु वाली अत्तहिय्यात इख्तियार फ़रमाई है और इस तरजीह की 22 वजूहात शराह हदीस ने बयान फ़रमाई हैं।

इनाया फ़तहुल क़दीर और फ़िक़ह की : मुख्तलिफ़ किताबों में इन वुजूहात की तफ्सील बयान की गई है, इनमें से एक वजह यह है कि वह बड़े मियाँ इसलिए सफ़र करके आये थे, ताकि यह मालूम करें कि अहले-मदीना का अमल कौन सी अत्तहिय्यात का है, क्योंकि मदीने पाक में अभी वह सहाबा भी मौजूद थे जिन्होंने रसूल-ए- पाक अलैहिस्सलातु वस्सलाम के पीछे नमाज़ अदा की है तो मालूम हो जाये कि उन्होंने कौन-सी अत्तहिय्यात रसले-पाक सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सुनी है, उन्होने यह सफ़र इसलिए किया।

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