Khoobsurat औरत का मर्द को phasana, Musalman औरतो के लिए कुछ जरूरी बातें। Aurato के 14 buri aadat | Khoobsurat लड़की का लड़के को phasana – Dawat~e~Tabligh in Hindi Web Srories…

Aurato में 14 बुरी आदत
- चौदह (14) उयूब आम तौर पर माँओं-बहनों में पाए जाते हैं जिनसे बचना बहुत ज़रूरी है।
1. एक ऐब यह है कि बात का माकूल जवाब नहीं देतीं, जिससे पूछने वाले को तसल्ली हो जाए। बहुत-सी फ़ुज़ूल बातें इधर-उधर की उसमें मिला देती हैं और असल बात फिर भी मालूम नहीं होती। हमेशा याद रखो कि जो शख़्स जो कुछ पूछे उसका मतलब ख़ूब ग़ौर से समझ लो फिर उसका जवाब ज़रूरत के मुवाफ़िक़ दे दो ।
2. एक ऐब यह है कि चाहे किसी चीज़ की ज़रूरत हो या न हो लेकिन पसन्द आने की देर है । ज़रा पसन्द आई और ले ली, चाहे क़र्ज़ ही हो जाए लेकिन कुछ परवाह नहीं और अगर क़र्ज़ भी न हुआ तब भी अपने पैसे को इस तरह बेकार खोना कौन-सी अक़्ल की बात है। फुज़ूलखर्ची गुनाह भी है। जहां खर्च करना हो अव्वल ख़ूब सोच लो कि यहां खर्च करने में कोई दीन का फ़ायदा या दुनिया की ज़रूरत भी है। अगर खूब सोचने से ज़रूरत और फ़ायदा मालूम हो तो ख़र्च करो नहीं तो पैसा मत खोओ और क़र्ज़ तो जहां तक हो सके हरगिज़ मत लो चाहे थोड़ी-सी तकलीफ़ ही हो जाए।
3. एक ऐब यह है कि जब कहीं जाती हैं, चाहे शहर में या सफ़र में, टालते टालते बहुत देर कर देती हैं कि वक़्त तंग हो जाता है, अगर सफ़र में जाना है तो मंजिल पर देर में पहुंचेंगी। अगर रास्ते में देर हो गई तो जान व भाल का अंदेशा है, अगर गर्मी के दिन हुए तो धूप में खुद भी तपेगी और बच्चों को भी तकलीफ़ होगी, अगर बरसात है अव्वल तो बरसने का डर, दूसरे गारे कीचड़ में गाड़ी का चलना मुश्किल और देर में देर हो जाती है। अगर सवेरे से चलें, हर तरह की गुंजाइश रहे और बस्ती ही में जाना हुआ जब भी रिक्शा को खड़े-खड़े परेशानी, फिर देर में सवार होने से देर में लौटना होगा। अपने कामों में हर्ज होगा, खाने के इंतिज़ाम में देर होगी, कहीं जल्दी में खाना बिगड़ गया, कहीं मियां तक़ाज़ा कर रहे हैं, कहीं बच्चे रो रहे हैं। अगर जल्दी सवार हो जाएं तो यह मुसीबतें क्यों होतीं ।
बाज़ औरतों को आवाज़ के पर्दे का बिल्कुल एहतिमाम नहीं होता हालांकि आवाज़ का पर्दा भी वाजिब है जैसा, सूरत का पर्दा ज़रूरी है लिहाजा गुनाहगार होती हैं, हर क़िस्म के पर्दे का निहायत सख्त एहतिमाम करना चाहिए।
4. एक ऐब यह है कि आपस में दो औरतें जो बातें करती हैं अक्सर यह होता है कि एक की बात ख़त्म होने नहीं पाती कि दूसरी शुरू कर देती है, बल्कि बहुत दफ़ा ऐसा होता है कि दोनों इकदम से बोलती हैं कि वह अपनी कह रही है और यह अपनी हांक रही है न वह उसकी सुने, न यह उसकी, भला ऐसी बात करने ही से क्या फ़ायदा! हमेशा याद रखो कि जब एक की बात ख़त्म हो जाए, उस वक़्त दूसरी को बोलना चाहिए।
5. एक ऐब यह है कि ज़ेवर और कभी रुपया-पैसा भी बेएहतियाती से कभी तकिये के नीचे रख दिया, कभी किसी ताक़ में खुला रख दिया, कभी गुस्लखाने में रख दिया। ताला होते हुए सुस्ती के मारे उसमें हिफ़ाज़त से नहीं रखतीं, फिर कोई चीज़ जाती रही तो सबका नाम लगाती फिरती हैं।
6. एक ऐब यह है कि उनको एक काम के वास्ते भेजो, जाकर दूसरे काम में लग जाती हैं। जब दोनों से फ़रगत हो जाए तब लौटती हैं। इसमें भेजने वाले को सख्त नकलीफ़ और उलझन होती है क्योंकि उसने तो एक काम का हिसाब लगा रखा है कि यह इतनी देर का है। जब इतनी दर गुर जाती है फिर उसको परेशानी शुरू होती है, और अक्लमंद यह कहती हैं कि आए तो हैं ही लाओ दूसरा काम भी लगे हाथ करते चलें। ऐसा मत करो. अव्वल पहला काम करके उसकी फ़रमाइश पूरी कर दी फिर अपने तार पर इत्मीनान से दूसरा काम कर लो।
7. एक ऐब सुस्ती का है कि एक वक्त के काम को दूसरे वक़्त पर उठा रखती हैं। इससे अक्सर हर्ज और नुकसान हो जाता है।
8. एक ऐब यह है कि कोई चीज़ खो जाए तो बेतहक़ीक़ किसी पर तोहमत लगा देती हैं यानी जिसने कभी कोई चीज़ चुराई थी, बेधड़क कह दिया कि बस जी उसी का काम है। हालांकि यह क्या जरूरी है कि सारे ऐब एक ही आदमी ने किए हों। इसी तरह और बुरी बातों में ज़रा-से ऐसा पक्का यक़ीन करके अच्छा ख़ासा घड़-मढ़ देती हैं ।
9. एक ऐब यह है कि अपनी ख़ता या ग़लती का कभी इक्क़रार न करेंगी जहां तक हो सके बात को बनाएंगी चाहे बन सके या न बन सके।
10. एक ऐब यह है कि कहीं से थोड़ी चीज़ उनके हिस्से में आए या अदना दर्जे की चीज़ आए तो उस पर नाम मारेंगी, ताना देंगी कि घर गई ऐसी चीज़ भेजने की क्या ज़रूरत थी, भेजते हुए शर्म न आई। यह बुरी बात है कि इसकी इतनी ही हिम्मत थी, तुम्हारा तो उसने कुछ नहीं बिगाड़ा और ख़ाविन्द के साथ भी उनकी यही आदत है कि ख़ुश होकर चीज़ कम लेती हैं उसको रद्द करके ऐब निकाल कर तब क़बूल करती हैं।
11. एक ऐब यह है कि उनसे किसी काम को कहो उसमें झक-झककर लेंगी फिर उस काम को करेंगी, भला जब वह काम करना है फिर उस वाहियात से क्या फ़ायदा निकला। नाहक़ दूसरे का भी जी बुरा किया।
12. एक ऐब यह है कि आने के वक़्त और चलने के वक़्त मिलकर ज़रूर रोती हैं चाहे रोना आए या न भी आए मगर इस डर से रोती हैं कि कोई यूं न कहे कि उसको मुहब्बत नहीं ।
13. एक ऐब यह है कि अक्सर तकिये में या वैसे ही सूई रखकर उठ जाती हैं और कोई बेख़बरी में आ बैठता है, उसके सूई चुभ जाती है।
14. एक ऐव यह है कि बच्चों को गर्मी-सर्दी से नहीं बचातीं, उससे अक्सर बच्चे बीमार हो जाते हैं। फिर तावीज़-गंडे कराती-फिरती हैं। दवा, इलाज या आइंदा को एहतियात फिर भी नहीं करतीं।
Khoobsurat लड़की का लड़के को phasana
- वली होकर नबी का काम करो
हज़रत सलमान बिन यसार रह० मशहूर मुहद्दिस हैं। एक मर्तबा हज के सफ़र पर रवाना हुए तो जंगल में एक जगह पड़ाव डाला। उनके साथी किसी काम के लिए शहर गए तो वह अपने खेमे में अकेले थे। इतने में एक ख़ूबसूरत औरत उनके ख़ेमे में आई और कुछ मांगने का इशारा किया। उन्होंने कुछ खाना उसको देना चाहा तो उस औरत ने बरमला कहा कि मैं आपसे वह कुछ चाहती हूं जो एक औरत मर्द से चाहती है। देखो, तुम नौजवान हो, मैं ख़ूबसूरत हूं, हम दोनों के तलबअंदोज़ होने के लिए तंहाई का मौक़ा भी है।
हज़रत सलमान बिन यसार रह० ने सुना तो समझ गए कि शैतान ने मेरी उम्र भर की मेहनत ज़ाया करने के लिए इस औरत को भेजा है। वह ख़ौफ़े ख़ुदा से ज़ारो – क़तार रोने लगे। इतना रोए, इतना रोए कि वह औरत शर्मिन्दा होकर वापस चली गई। हज़रत सलमान बिन यसार रह० ने अल्लाह का शुक्र अदा किया कि मुसीबत से जान छूटी। रात को सोए तो हज़रत यूसुफ़ अलैहि० की ख़्वाब में ज़ियारत हुई। हज़रत यूसुफ़ अलैहि० ने फ़रमाया, मुबारकबाद हो, तुमने वली होकर वह काम कर दिखाया जो एक नबी ने किया था।
Khoobsurat औरत का मर्द को phasana
हज़रत जुनैद बगदादी रह० के दौर में एक अमीर शख़्स था जिसकी बीवी रश्के क़मर और परी चेहरा थी। उस औरत को अपने हुस्न पर बड़ा नाज़ था। एक मर्तबा बनाव- सिंगार करते हुए उसने नाज-नखरे से अपने शौहर से कहा कि कोई शख़्स ऐसा नहीं जो मुझे देखे और मेरी तमन्ना न करे। ख़ाविन्द ने कहा मुझे उम्मीद है कि जुनैद बग़दादी रह० को तेरी परवाह भी नहीं होगी। बीवी ने कहा, मुझे इजाज़त हो तो जुनैद बगदादी रह० को आज़मा लेती हूं। यह कौन-सा मुश्किल काम है। यही घोड़ा और यही घोड़े का मैदान देख लेती हूँ। जुनैद बगदादी कितने पानी में हैं। ख़ाविन्द ने इजाज़त दे दी। वह औरत बन-संवर कर जुनैद बगदादी रह० के पास आई और एक मसला पूछने के बहाने चेहरे से नक़ाब खोल दिया। जुनैद बगदादी रह० की नज़र पड़ी तो उन्होंने ज़ोर से अल्लाह के नाम की ज़र्व लगाई।
उस औरत के दिल में यह नाम पेवस्त हो गया। उसके दिल की हालत बदल गई, वह अपने घर वापस आई और सब नाज-नखरे छोड़ दिए। ज़िंदगी की सुबह व शाम बदल गई। सारा दिन कुरआन मजीद की तिलावत करती और सारी रात मुसल्ले पर खड़े होकर गुज़ार देती । खुशियते इलाही और मुहब्बते इलाही की वजह से आंसुओं की लड़ियां उसके रुख़्सारों पर बहती रहतीं। उस औरत का खाविन्द कहा करता था कि मैंने जुनैद बग़दादी का क्या बिगाड़ा था कि उसने मेरी बीवी को राहिबा बना दिया और मेरे काम का न छोड़ा।
Musalman औरतो के लिए कुछ जरूरी बातें
- ख़्वातीने इस्लाम से इस्लाम के मुतालवे
1. अपनी ज़ेब व ज़ीनत की चीज़ों का मर्दों पर इज़हार न होने दें।
2. अपने ज़ेवरात की आवाज़ गैर-मेहरमों के कान तक न जाने दें।
3. ख़ुश्बू, इत्र वगैरह लगाकर घर से बाहर न निकलें।
4. मर्दों से गुफ़्तुगू करते वक़्त लब व लहज़े और आवाज़ में नज़ाकत पैदा न करें।
5. राह चलते या मर्द से बातें करते वक़्त अपनी नज़रें नीची रखें।
6. ऐसे रास्ते से न गुज़रें जहां मर्दों की रेल-पेल हो बल्कि किनारे-किनारे होकर गुज़रें ।
7. घर से बाहर निकलने के बाद अपनी चाल-ढाल में हया को मुक़द्दम रखें ।
8. किसी गैर-औरत की सिफ़्त अपने ख़ाविन्द से बयान न करें।
9. किसी गैर-महरम के साथ सफ़र न करें, चाहे सफ़रे हज ही क्यों न हो ।
10. अपनी अस्मत की हिफ़ाज़त करें।
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