हर बीमारी से शिफ़ा के लिए। अच्छी सेहत का Formula। इयादत के वक्त bimar की शिफ़ा के लिए Dua, Bimar को शिफ़ा। Bimar की इयादत कैसे करें ? | Bimari से सेहत पाने का नुस्खा – Dawat~e~Tabligh in Hindi…

Bimar की इयादत कैसे करें ?
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक रहमतुल्लाहि अलैहि का वाक्रिआ लिखा है कि जब आप मरजुल वफात में थे, लोग आपकी इबादत करने के लिए आने लगे। इयादत के बारे में हुज़ूर अक्दस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की तालीम यह है कि यानी जो शख्स तुममें से किसी बीमार की इयादत करने जाये जो उसको चाहिए कि वह हल्की- फुल्की इयादत करे, बीमार के पास ज़्यादा देर न बैठे क्योंकि कभी-कभी मरीज़ को खिल्वत ( अकेलेपन) की ज़रूरत होती है और लोगों की मौजूदगी में वह अपना काम बेतकल्लुफ़ी से अंजाम नहीं दे सकता है, इसलिए मुख़्तसर इयादत करके चले आओ और उसको राहत पहुँचाओ । तक्लीफ़ मत पहुँचाओ… बहरहाल हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह० बिस्तर पर लेटे हुए थे। एक साहब इयादत के लिए आकर बैठ गये और ऐसे जमकर बैठ गये कि उठने का नाम ही नहीं लेते और बहुत से लोग इयादत के लिए आते रहे और थोड़ी मुलाकात करके जाते रहे मगर वह साहब बैठे रहे, न उठे।
अब हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह० इस इंतिज़ार में थे कि यह साहब चले जायें तो मैं खिल्वत में बे-तकल्लुफ़ी से अपनी ज़रूरियात का कुछ काम कर लूं, मगर खुद से उसको चले जाने के लिए भी कहना मुनासिब नहीं समझते थे जब काफ़ी देर गुजर गई और वह अल्लाह का नेक बन्दा उठने का नाम ही नहीं ले रहा था तो हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक रह० ने उन साहब से फ़रमाया यह बीमारी की तक्लीफ़ तो अपनी जगह पर है ही लेकिन इयादत करने वालों ने अलग परेशान कर रखा है कि इयादत के लिए आते हैं और परेशान करते हैं।
आपका मक्सद यह था कि शायद यह मेरी बात समझकर चला जायें मगर वह अल्लाह का बंदा फिर भी नहीं समझा। और हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक से कहा कि हज़रत ! अगर आप इजाजत दें तो कमरे का दरवाज़ा बंद कर दूँ? ताकि कोई दूसरा शख्स इयादत के लिए न आये, हज़रत अब्दुल्लाह बिन मुबारक ने जवाब दिया। हाँ भई बंद कर दो मगर अंदर से बंद करने के बजाए बाहर से जाकर बंद कर दो… बहरहाल ! कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके साथ ऐसा मामला भी करना पड़ता है, इसके बगैर काम नहीं चलता लेकिन आम हालत में ज्यादा से ज्यादा यह कोशिश की जाए कि दूसरा आदमी यह महसूस न करे कि मुझसे ऐराज बरता जा रहा है। अल्लाह तआला अपनी रहमत से हम सबको उन सुन्नतों पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए। आमीन
-इस्लाही खुतबात, हिस्सा 6, पेज 209
Bimar को शिफ़ा
- सूर अनआम की एक ख़ास फ़ज़ीलत
कुछ रिवायात में हज़रत अली (रज़ि.) से मन्कूल है कि यह सूर : जिस मरीज़ पर पढ़ी जाये तो अल्लाह तआला उसको शिफ़ा देते हैं। यानी सूरः अनआम
-मआरिफुल कुरआन, हिस्सा 3, पेज 512
Bimari से सेहत पाने का मुजर्रब नुस्खा
“या सलामु” 142 मर्तबा रोजाना सुबह व शाम पढ़ें अव्वल व आखिर दुरूद शरीफ तीन-तीन मर्तबा मुतफ़रिक औकात में जिस कद पढ़ सकें, पढ़ लिया करें।
हर बीमारी से शिफ़ा के लिए
“अलहम्दु शरीफ़” ग्यारह बार रोज़ाना पानी पर दम करके पिलाते रहें,
बराबर सिलसिला रखा जाए। सूरह फ़लक़, सूरह नास तीन-तीन बार पढ़ लें तो बहुत अच्छा है।
इयादत के वक्त bimar की शिफ़ा के लिए Dua
- अयादत के वक्त बीमार की शिफ़ायाबी की दुआ
“अस अलुल्लाहल अज़ीम रब्बल अरशिल-अज़ीम अयं यशफ़ि-य-क” 7 मर्तबा पढ़ने से मरीज को शिफ़ा होती है। (मिश्कात शरीफ़, 135 )
अच्छी सेहत का Formula
जहां तक काम चलता हो ग़िज़ा से,
वहां तक चाहिए बचना दवा से।
अगर तुझको लगे जाड़े में सरदी
तो इस्तेमाल कर अंडे की ज़र्दी
जो हो महसूस मेदे में गरानी
तो पी ले सौंफ या अदरक का पानी
बने गर ख़ून कम, बलगम ज़्यादा,
तो खा गाजर, चने, शलगम ज़्यादा
जिगर के बल पर है इंसान जीता,
अगर ज़ोफ़े जिगर है तो खा पपीता।
जिगर में हो अगर गर्मी दही खा।
अगर आंतों में ख़ुश्की हो तो घी खा,
थकन से हों अगर अज़्लात ढीले,
तो फ़ौरन दूध गर्मा-गरम पी ले।
ज़्यादा गर दिमाग़ी है तेरा काम।
तो खा ले शहद के हमराह बादाम,
अगर हो क़ल्ब पर गर्मी का एहसास
मुरब्बा आमला खा और अनन्नास।
जो दुखता हो गला नज़ले के मारे।
तो कर नमकीन पानी के गरारे,
अगर है दर्द से दांतों के बेकल,
तो उंगली से मसूढ़ों पर नमक मल।
जो बदहज़मी में चाहे तू इफ़ाक़ा,
तो दो-एक वक़्त का कर ले तू फ़ाक़ा।
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