Boss के gusse से बचने का wazifa | जालिम को कैसे हराए ? Dawat~e~Tabligh

Dusman से हिफाजत और ausko हराने का nuskha। 2 लोग के बीच सुलह कैसे करे ? अपने खिलाफ में बोलने वालों से बचने का nuskha। फ़ितने से कैसे बचे ? क़ैद से निकलने का nuskha। अपनी तकलीफ किसी से ना कहे। Boss के gusse से बचने का wazifa | जालिम को कैसे हराए ? Dawat~e~Tabligh in Hindi…

Boss के gusse से बचने का wazifa | जालिम को कैसे हराए ? Dawat~e~Tabligh
Boss के gusse से बचने का wazifa | जालिम को कैसे हराए ? Dawat~e~Tabligh

अपनी तकलीफ किसी से ना कहे

  • जो अपनी मुसीबत किसी पर ज़ाहिर न करे उसके लिए बख़्शिश का वादा

हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आप सल्ल० ने इर्शाद फ़रमाया कि जो बन्दा किसी जानी या माली मुसीबत में मुब्तला हो और वह किसी से इसका इजहार न करे और न लोगों से शिक्या-शिकायत करे तो अल्लाह तआला के जिम्मे है कि वह उसको बख़्श देंगे।

-मोअज़म औसत-तवरानी

फ़ायदा :- सब्र का आला दर्जा यह है कि अपनी मुसीबत और तकलीफ़ का किसी से इजुहार भी न हो और ऐसे साबिरों के लिए भी इस हदीस में मग्फ़िरत का पुख्ता वादा किया गया है और अल्लाह तआला ने उनकी बख्शिश का जिम्मा लिया है। अल्लाह तआला इन मवाईद पर यक़ीन और उनसे फ़ायदा उठाने के तौफ़ीक़ अता फ़रमाये

– मजारिफुल हदीस, हिस्सा 2, पेज 301

जालिम को कैसे हराए

  • ज़ालिम पर गलबा

किसी ज़ालिम के सामने 50 मर्तबा Bismillah पढ़े तो अल्लाह तआला ज़ालिम को मगलूब करके पढ़ने वाले को ग़ालिब कर देगा।

-ब-हवाला खज़ाना-ए-आमाल, पेज 8

जलने वालों से कैसे बचे ?

  • अमल सूरह फ़लक़ हासिद के हसद से बचने का मुजर्रब नुस्खा है

सूरह फ़लक़ 360 मर्तबा पढ़कर पानी पर दम करके पिलाएं और दुकान व मकान में छिड़कें। अगर इस क़द्र न हो सके तो 240 मर्तबा पढ़ें, वह भी न हो सके तो 120 मर्तबा पढ़ें। मुतअदि लोग मिलकर पढ़ सकते हैं, तीन किस्तों में भी पढ़ सकते हैं।

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  • दुश्मन के शर से हिफाज़त का मुजर्रब नुस्खा

सूरह झुल्लास, सूरह फलक, सूरह नास, तीन-तीन मर्तबा बाद फ्रज और बाद मग़रिब पढ़ना बहुत फ़ायदेमन्द है ।

Dusman से हिफाजत और ausko हराने का nuskha

  • दुश्मनों के शर से हिफ़ाज़त और ग़लवे के लिए

“इन्ना कफ़ैनाकल मुस्तहलिईन” (पारा 14, रुकूज 6) एक हज़ार मर्तबा बाद नमाज़ इशा, 11 यौम फिर 100 मर्तबा यौमिया अहम मामला में 11 यौम से ज़्यादा पढ़ना बेहतर है।

Dusman से हिफ़ाज़त

फ़ितने से कैसे बचे | nokri ki hifazat ka wazifa

  • पुराने हों तो ऐसे हों

हज़रत मआज इब्ने जबल रज़ियल्लाहु अन्हु आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की क़ब्रे-मुबारक पर खड़े रो रहे थे। हज़रत मआज रज़ियल्लाहु अन्हु से हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने पूछा क्यों रो रहे हो? फ़रमाया : मैंने हदीस सुनी थी, अल्लाह पाक ऐसे लोगों को पसंद करता है जो मुत्तक़ी हों और छुपे हुए हों ऐसे कि अगर मजलिस में आएं तो कोई उनको न पहचाने और अगर मजलिस में न हों तो कोई न ढूंडे कि फ्लां साहब कहाँ गये, मजलिस में क्यूँ न आए, उनके दिल हिदायत के चिराग हैं, हर फ़ितने से महफ़ूज़ रहेंगे, पुराने हों तो ऐसे हों-काम खूब करें, तअल्लुक़ मअल्लाह बहुत हों मगर छुपे हुए हों, ज़मीन पर ज़्यादा लोग न पहचानते हों, आसमान पर सब जानते हों।

-हयातुस्सहावा, हिस्सा 2, पेज 785

अपने खिलाफ में बोलने वालों से बचने का nuskha

  • मुख़ालिफ़ीन के शर से हिफ़ाज़त का मुजर्रब नुस्खा

“अल्लाहुम-मकफ़िनाहु विमा शिस्त अल्लाहुम-म इन्नी अज-अ-लु-क फ्री नुहरिहिम व अजु-वि-क मिन शुरूरिहिम” हर नमाज़ के बाद 11 मर्तबा पढ़ा करें।

2 लोग के बीच सुलह कैसे करे ?

Logo के साथ किस तरह रहे ता कि वो आप से jud कर रहे?

अब्दुर्रहमान बिन औफ़ और ख़ालिद बिन वलीद के दर्मियान नोक-झोंक, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दोनों को निभा लिया, आप सल्ल० ने दोनों की फ़ज़ीलत बयान फ़रमाई

 हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ़ ने शिकायत की आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कि ख़ालिद हमेशा मुझसे तू-तू मैं-मैं करते रहते हैं। आप सल्ल० ने ख़ालिद से फ़रमाया : ख़ालिद ! अब्दुर्रहमान बिन औफ़ को कुछ न कहो इसलिए कि यह बदरी हैं, ख़ालिद रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाने लगे कि हज़रत यह अब्दुर्रहमान बिन औफ़ रज़ियल्लाहु अन्हु मुझे भी कोसते रहते हैं। आप सल्ल० ने इब्ने औफ़ से फ़रमाया कि ख़ालिद को कुछ न कहो इसलिए कि यह अल्लाह की तलवार है।

फ़ायदा – आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दोनों की तारीफ़ कर दी, दोनों को निभा लिया, साथियों की आपस में तू-तू मैं-मैं हो जाये, ज़िम्मेदार दोनों की तारीफ़ करे और दोनों को निभा ले।

-हयातुस्सहाबा हिस्सा 2, पेज  484

क़ैद से निकलने का nuskha

  • क़ैद से छुटकारे का नब्बी नुस्ख़ा

सीरते – इब्ने इस्हाक़ में है कि हज़रत औफ़ अशजअ रज़ियल्लाहु अन्हु के लड़के हज़रत सालिम रज़ियल्लाहु अन्हु जब काफ़िरों की क़ैद में थे तो हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया : उनसे कहला दो कि व-कसरत पढ़ता रहे। एक दिन अचानक बैठे-बैठे उनकी क़ैद खुल गई और यह वहाँ से निकल भागे। उन लोगों की एक ऊँटनी हाथ लग गई, जिस पर सवार हो लिए, रास्ते में उनके ऊँटों के रेवड़ मिले, उन्हें अपने साथ हंका लाये ।

वे लोग पीछे दौड़े लेकिन यह किसी के हाथ न लगे, सीधे अपने घर आए और दरवाज़े पर खड़े होकर आवाज़ दी, बाप ने आवाज़ सुनकर फ़रमाया, खुदा की क़सम यह तो सालिम है, माँ ने कहा हाय वह कहाँ !! वह तो क़ैद व बंद की मुसीबतें झेल रहा होगा। अब दोनों माँ-बाप और ख़ादिम दरवाज़े की तरफ़ दौड़े। दरवाज़ा खोला, देखा तो उनके लड़के हज़रत सालिम रज़ियल्लाहु अन्हु हैं और तमाम अंगनाई ऊँटों से भरी पड़ी है। पूछा कि यह ऊँट कैसे हैं? उन्होंने वाक़िआ बयान किया तो फ़रमाया अच्छा ठहरो, मैं हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से उनकी बाबत मस्अला दर्याफ़्त कर आऊं । आहज़रत मुहम्मद सल्ल० ने फ़रमाया यह सब तुम्हारा माल है जो चाहो करो।

– तफ्सीर इब्ने कसीर, हिस्सा 5, पेज 376

Boss के gusse से बचने का wazifa | job wazifa for angry boss

  • काम की तक्मील और आसानी के वास्ते

“या सुब्बूहु या कुद्दूस या ग़फ़ूरु या वदूदु” हाकिम के सामने या जिससे काम हो या जो परेशान करता हो उसके सामने जाने पर उससे बातचीत पर चुपके-चुपके पढ़ें, बिला क़ैद तादाद पढ़ें।

मुसीबत में तक़दीर का सहारा | protect job wazifa for angry

  • मुसीबत में तक़दीर का सहारा लेना हज़रत आदम अलैहि की सुन्नत है

हज़रत अबू हुरैरा रज़ि० से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्ल० ने फ़रमाया कि एक मर्तबा हजरत आदम अलैहि० और हजरत मूसा अलैहि० के मान अपने परवरदिगार के सामने गुफ्तगू हुई, उसमें हजरत आदम अलैहि० हज़रत मूसा अलैहि० पर ग़ालिब आ गए।

मूसा अलैहि० ने अर्ज किया, “आप वही आदम अलैहि० तो हैं जिनको अल्लाह तआला ने अपने दस्ते मुबारक से पैदा फरमाया, फिर आपमें अपनी ख़ास रूह फूंकी, आपको फ़रिश्तों से सज्दा करवाया और आपको अपनी जन्नत में बसाया। आपने यह क्या किया कि अपनी एक ख़ता की बदौलत अपनी तमाम औलाद को ज़मीन पर निकलवा फेंका।” आदम अलैहि० ने फ़रमाया, “अच्छा तुम भी वही मूसा तो हो जिनको अल्लाह ने अपनी रिसालत और शर्फे हमकलामी के लिए मुंतख़ब किया, तौरात की तख्तियां इनायत फ़रमाई जिसमें हर-हर बात की तफ्सील मौजूद थी, फिर तुमको अपनी सरगोशी के लिए क़रीब बुलाया। ज़रा बताओ तो सही अल्लाह तआला ने मेरी पैदाइश से कितने साल पहले तैरात लिख दी थी?” मूसा अलैहि० ने फ़रमाया, चालीस साल पहले आदम अलैहि० ने फ़रमाया, “क्या तुमको उसमें यह लिखा हुआ भी मिला : ‘आदम अलैहि० ने अपने रब की नाफरमानी की पस बहक गया।’

(सूरह ताहा, 121)

उन्होंने अर्ज़ किया, जी हां। आदम अलैहि० ने फ़रमाया, “फिर भला ऐसी बात पर मुझे क्या मलामत करते हो जिसका करना अल्लाह तआला मेरी क़िस्मत में मेरी पैदाइश से भी चालीस साल पहले लिख चुका था।” रसूलुल्लाह सल्ल० ने फ़रमाया, “बस इस बात पर आदम अलैहि मूसा अलैहि पर ग़ालिब आ गए।”

(मुस्लिम शरीफ)

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