Hajj ki shayari (Poetry, Status, Quotes in Hindi) Dawat~e~Tabligh
बैतुल्लाह जाइए और यह अशआर पढ़िए। जाम ज़मज़म का पिलाया, मैं तो इस क़ाबिल न था। ख़ास अपने दर का रखा तूने ऐ मौला मुझे, यूँ नहीं दर-दर फिराया, मैं तो इस काबिल न था। Hajj ki shayari (Poetry, Status, Quotes in Hindi) Dawat~e~Tabligh