Deen की खिदमत के लिए कितने jammat पूरी दुनिया में फेली हुई है? Deen-e-Islam किन्के वजे से खत्म हो रहा है? Deen-e-Islam फैलाना | Deen के दाई की 10 सिफ़ात – Dawat~e~Tabligh in Hindi..

Deen की खिदमत के लिए कितने jammat पूरी दुनिया में फेली हुई है?
- एक अहम नसीहत- मज्लिस में बैठकर दीन की बात सुनिए
दीन की मज्लिस में जो लोग दूर बैठकर यह समझ रहे हैं कि आवाज़ तो यहां भी आ रही है, यहीं से बैठकर सुन लें, वे हज़रात यह बात अच्छी तरह समझ लें कि आवाज़ को तो न फ़रिश्ते घेरते हैं और न ही आवाज़ पर मूगफ़िरत का वादा है। इसलिए वे हज़रात दूर बैठकर अपना नुक़सान न करें। मज्लिस के साथ मिलकर बैठ जाएं। हमारे दौर में दीन की ख़िदमत करने वाली पूरी दुनिया में फैली हुई बड़ी-बड़ी चार जमाअतें हैं
(1) तब्लीगी जमाअत
(2) उलमा व तलबा की जमाअत
(3) मशाइख़ व अहलुल्लाह की जमाअत
(4) दीनी किताबें लिखनेवाले मुसन्निक़ों की जमाअत इन चारों दीनी खिदमात के नाम ये हैं।
(1) तब्लीग (2) तदरीस (3) तकिया (4) तस्नीफ़ व तालीफ़ इन 1 चारों नामों के शुरू में अरबी का हु ‘त’ है जो इन चारों में इतिहाद की तरफ़ इशारा करता है, दूसरा इशारा ‘त’ के दोनों नुक्तों से इस तरफ़ है कि अगर इन चारों सिलसिलों में इत्तिहाद होगा तो पूरी उम्मत ऊपर आएगी, जैसे ‘त’ के नुक्ते ऊपर हैं, और इत्तिहाद पैदा करने के लिए तलवा और तआवुन की ‘त’ को भी अपने अंदर शामिल करना होगा जो अहले तकवा की सोहबत ही से हासिल होगा जैसे सहावा को जो भी मिला सोहबते नबी सल्ल० से मिला और मशाइखे उम्मत सोहबते शैख ही से मशाइख बने फिर उनके फुकूज़ से उम्मत को खूब फ़ायदा पहुंचा। अल्लाह तआला इन चारों सिलसिलों में एक दूसरे की क़द्रदानी, मुहब्बत व अज़्मत अता फ़रमा दे। बाहम तनाफ़र व तवामुन (जो अदम इख्लास की बड़ी अलामत है) उससे इन चारों सिलसिलों को बचाए। आमीन या रब्बल आलमीन !
Deen फैलाना
- दीन की इशाअत
प्यारे सहाबा रजि० की जिंदगी के हालात जब हम पढ़ते हैं तो ऐसा मालूम होता है कि उनको बस एक धुन थी कि अल्लाह का दीन घर-घर पहुँच जाए और हर एक ख़ुदा के दीन पर चलने लगे। हजरत अब्दुल्लाह रह० उनके सच्चे थे। आपकी जिंदगी की कोई घड़ी इस धुन से खाली न थी। पर रहते तो दीन सिखाने में लगे रहते, सफ़र पर जाते तो इसी फ़िक्र पर रहते, दौलत कमाते तो इसी लिए कि अल्लाह का दीन फैलाने में खर्च करें।
लोगों को दीन का इल्म हासिल करते देखते तो बहुत खुश होते, हर तरह उनका साथ देते, ढूंढ-ढूंढ कर ऐसे तालिबे इल्मों की मदद करते जो इल्मे दीन का शौक रखते हैं लेकिन ग़रीबी की वजह से परेशान होते, या जो लोग दीनी इल्म सिखाने में लगे रहते और रोज़ी के लिए दौड़ धूप का मौका न निकाल पाते। हज़ारों रुपये उनके लिए भेजते और फ़रमाते, रुपये खर्च करने का इससे अच्छा मौका और कोई नहीं।
एक बार फ़रमाया, “मैं अपना रुपया उन लोगों पर खर्च करता हूं जो दीन का इल्म हासिल करने में ऐसे लग गए हैं कि घर वालों के लिए रोज़ी कमाने का वक्त नहीं निकाल पाते और अगर रोजी कमाने में लगें तो दीन का इल्म ख़त्म हो जाएगा। मैं उनकी मदद इसलिए करता हूं कि उनके ज़रिए दीन का इल्म फैलता है, और नुबूबत ख़त्म हो जाने के बाद नेकी का सबसे बड़ा काम यह है कि दीन का इल्म फैलाया जाए।”
इस काम के लिए शहर जाते, हर क़िस्म के लोगों से मिलते, उनके सुधारने की कोशिश करते और बड़े सलीके से उस काम को अंजाम देते।
Deen-e-Islam किन्के वजे से खत्म हो रहा है?
- पांच क़िस्म के लोग ऐसे हैं कि जब उनमें बिगाड़ पैदा हो जाता है तो पूरी सोसायटी बिगड़ जाती है-
फ़रमाया करते थे “जब उम्मत के बड़े जिम्मेदार लोग बिगड़ जाते हैं तो पूरी उम्मत में बिगाड़ आ जाता है। पांच क़िस्म के लोग ऐसे हैं कि जब उनमें बिगाड़ पैदा हो जाता है तो पूरी सोसायटी बिगड़ जाती है-
1. दीन के उलमा : यह अंविया के वारिस हैं। अंबिया का लाया हुआ इल्म इनके पास है। अगर यही लोग दुनिया के लालच में फंस जाएं तो फिर आम लोग किससे दीन सीखें और किसको अपने लिए नमूना बनाएं?
2. ताजिर : अगर यही लोग खियानत करने लगें, ईमानदारी छोड़ दें और नाहक लोगों की दौलत लूटने पर कमर बांध लें तो फिर लोग किस पर भरोसा करेंगे और किसको समझेंगे?
3. ज़ाहिद : उनकी ज़िंदगियों को देखकर लोग दीन पर अमल करते हैं। अगर यही बिगड़ जाएं तो लोग किसके पीछे चलेंगे?
4. मुजाहिद जब उनका मकसद ग़नीमत का माल जमा करना हो और हुकूमत का ठाठ जमाने के लिए लड़ेंगे तो दीन कैसे फैलेगा और इस्लाम की फतह क्योंकर होगी?
5. हाकिम : हाकिमों की मिसाल ऐसी है जेसे भेड़ों का चरवाहा । चरवाहे का काम भेड़ों की देख-भाल और हर ख़तरे से उनकी हिफ़ाज़त करना है। लेकिन अगर चरवाहा ख़ुद भेड़िया बन जाए तो फिर भेड़ों की हिफ़ाज़त करनेवाला कौन होगा?
मतलब यह है कि उम्मत की इस्लाह उसी वक्त हो सकती है जब बड़े और ज़िम्मेदार लोगों की इस्लाह हो जाए। उनकी ज़िंदगियां सुधर जाएं तो सबकी ज़िंदगी सुधर सकती हैं। और अगर उनका बिगाड़ दूर हो जाए तो पूरी उम्मत की जिंदगी में एक अच्छा और पसन्दीदा इंकलाब आ सकता है, जिसे देखने के लिए आज हर ख़ैर-पसन्द की आंखें तरस रही हैं।
Deen के दाई की 10 सिफ़ात
1) सो आप Allah की तरफ़ (इनको बराबर) बुलाते रहिए ।
2) और जिस तरह आपको हुक्म हुआ है (उसपर) मुस्तकीम रहिए ।
3) और उनकी (फ़ासिद) ख़्वाहिशों पर न चालिए ।
4) और आप कह दीजिए कि अल्लाह ने जितनी किताबें नाज़िल फ़रमाई हैं सब पर ईमान लाता हूँ ।
5) और मुझको यह (भी) हुक्म हुआ है कि (अपने और) तुम्हारे दर्मियान में अदल रखूँ ।
6) अल्लाह हमारा भी मालिक है और तुम्हारा भी मालिक है।
7) हमारे आमाल हमारे लिए और तुम्हारे आमाल तुम्हारे लिए।
8) हमारी तुम्हारी कुछ बहस नहीं
9) अल्लाह हम सबको जमा करेगा।
10) और (इसमें शक ही नहीं कि उसी के पास जाना है। हाफ़िज़ इब्ने कसीर ने फ़रमाया कि यह आयत दस मुस्तकिल जुम्लों पर मुश्तमिल है और हर जुम्ला ख़ास अहकाम पर मुश्तमिल है। गोया इसमें अहकाम की दस फ़ज़ीलतें मज़दूर हैं। इसकी नज़ीर पूरे कुरआन में एक आयतलकुर्सी के सिवा कोई नहीं। आयतलकुर्सी में भी दस अहकाम की दस फ़ज़ीलतें आती हैं।
Deen के दाई की 10 सिफ़ात- Web Stories
deen
- दावत के काम करने वाले साथियों के लिए 6 ग़ैन के जुमले जिनसे बचना जरूरी है, बचते रहे तो अल्लाह तआला की जात से तरक़्क़ी की उम्मीद है –
1. गुलू से बचना – तुम अपने दीन में नाहक गुलू मत करो।
2. गिल से बचना – हमारे दिलों में ईमान वालों की तरफ़ से कीना न होने दीजिए।
3. गुरूर से बचना – लोगों से अपना रुख मत फेर ।
4. गुफ़लत से बचना – तू गफलत करने वालों में से मत हो जा।
5. गीबत से बचना – ग़ीबत (अंजाम के एतिबार से) जिना से ज़्यादा सख़्त हैं
6. गुस्से से बचना – और आप तुन्द ख़ू, सख़्त तबीयत होते तो यह आपके पास से सब मुन्तशिर हो जाते। इसलिए आप इनको मआफ़ कर दीजिए और आप इनके लिए इस्तिफ़ार कर दिजिए और इनसे ख़ास ख़ास बातों पर मश्विरा लेते रहा कीजिए, फिर जब आप राए पुख्ता कर लें तो खुदा तआला पर एतिमाद कीजिए ।
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