‘जब सूरज बेनूर हो जाएगा और जब सितारे टूटकर गिर पड़ेंगे (सूरः इन्फितार में फ़रमाया :)। उस दिन सितारों की रौशनी ख़त्म कर दी जाएगी।……
Duniya kaise khatam hogi?

कायनात का बिखर जाना
सूर फूंके जाने से न सिर्फ ये इंसान मर जाएंगे बल्कि कायनात का निज़ाम ही टूट जाएगा। आसमान फट जाएगा; सितारे झड़ जाएंगे और बेनूर हो जाएंगे; चांद व सूरज की रोशनी ख़त्म कर दी जाएगी; ज़मीन हमवार मैदान बन जाएगी; पहाड़ उड़ते फिरेंगे।
नीचे की आवतों व हदीसों से ये बातें साफ़-साफ़ ज़ाहिर हो रही हैं ।
Duniya khatam hone ke baad पहाड़ों का हाल ky Hoga?
अल्लाह का इर्शाद है :

‘वह खड़खड़ाने वाली? क्या है वह खड़खड़ाने वाली ? और तू क्या समझा? क्या है वह खड़खड़ाने वाली? जिस दिन लोग परवानों की तरह और पहाड़ धुनी हुई रंगीन ऊन की तरह होंगे।’
‘अल कारिअ:’ (खड़खड़ाने वाली ) क़ियामत को फ़रमाया है। यह नाम इसका इसलिए रखा गया कि वह दिलों को घबराहट से और कानों को सख़्त आवाज़ से खड़खड़ा देगी। उस दिन इंसान परवानों की तरह बेचैनी के साथ, बदहवास होकर महशर की तरफ़ जमा होने के लिए चल पड़ेंगे। ऐसे बिखरे हुए अन्दाज़ में चलेंगे कि परवाने अंधाधुंध चिराग पर गिरते जाते हैं। और पहाड़ों का यह हाल होगा कि जैसे धुनिया ऊन या रूई को धुनकर एक-एक फाया उड़ा देता है। उसी तरह पहाड़ बिखर कर उड़ जाएंगे। सूरः मुर्सलात में फ़रमाया :

‘और जब पहाड़ उड़ा दिए जाएंगे’
सूरः नबा में फरमाया :

‘और चलाये जाएंगे पहाड़ तो हो जाएंगे चमकते हुआ रेत’ ।
सूरः नहल में फ़रमाया :

‘और तू देखे पहाड़ों को तो यह समझते हुए कि वे जमे हुए हैं। हालांकि वे चलेंगे बादल की तरह। कारीगरी अल्लाह की जिसने ठीक किया हर चीज़ को ।’
यानी ये बड़े-बड़े पहाड़ जिनको तुम इस वक़्त देख कर यह ख़्याल करते हो कि ये ऐसे जमे हुए हैं कि कभी अपनी जगह से जुबिश भी न खा सकेंगे। उन पर एक दिन ऐसा आने वाला है कि यह रूई के गालों की तरह उड़े उड़े फिरेंगे और बादल की तरह तेज़ रफ़्तार होंगे। अल्लाह ने हिकमत के मुताबिक हर चीज़ को दुरुस्त किया। उसी ने आज पहाड़ों को ऐसा बोझल, भारी और ठहरा हुआ बनाया कि ज़मीन को भी हिलने से रोके हुए है।

‘फिर कियामत के दिन उनका मालिक और पैदा करने वाला ज़र्रा जर्रा करके उड़ा देगा। यह सब उस कारीगर की कारीगरी है, जिसका कोई काम हिकमत से खाली नहीं।’ सूरः वाकिअः में फरमाया :

‘और रेज़ा-रेज़ा हो जाएंगे पहाड़। फिर हो जाएंगे उड़ता हुआ गुबार ।’
Duniya khatam hone ke baad आसमान व ज़मीन ka ky haal Hoga?
सूरः ताहा में फ़रमाया :

‘और वे आप से पहाड़ों के बारें में पूछते हैं। आप फ़रमा दीजिए कि
मेरा रब उनको अच्छी तरह उड़ा देगा। फिर ज़मीन को छोड़ देगा चटियल मैदान। न देखेगा तू उसमें मोड़ और टीला ।’ यानी क़ियामत के दिन पहाड़ उड़ा दिए जाएंगे और ज़मीन साफ़ और हमवार
बना दी जाएगी। कोई टीला उस पर न रहेगा। सूरः इब्राहीम में फ़रमाया :

‘जिस दिन बदल दी जाए इस ज़मीन से दूसरी ज़मीन और बदल जाएं आसमान और लोग निकल खड़े होंगे अल्लाह वाहिद कहार के सामने ।’
इस आयत से मालूम हुआ कि आसमान व ज़मीन क़ियामत के दिन बदल दिए जाएंगे और अपनी इस मौजूदा शक्ल पर बाकी न रहेंगे। इस आयत के बारे में हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा ने आंहज़रत से सवाल किया कि जब आसमान व ज़मीन बदले जाएंगे तो उस दिन लोग कहां होंगे? इसके जवाब में फखे दो आलम ने फरमाया कि पुलसिरात पर होंगे।
इस रिवायत से मालूम होता है कि इस आयत में जो आसमान व ज़मीन के बदले जाने का ज़िक्र है, वह हिसाब-किताब होने के बाद उस वक़्त होगा, जबकि लोग जन्नत व दोज़ख़ में भेजे जाने के लिए पुलसिरात पर पहुंच जाएंगे।
पहली आयत में जो ज़िक्र हुआ कि ज़मीन हमवार और साफ़ मैदान कर दी जाएगी, वह हिसाब व किताब शुरू होने से पहले का ज़िक्र है। हज़रत सहल बिन सजूद ने रिवायत है कि आहज़रत सैयदे आलम ने फरमाया कि कियामत के दिन लोग ऐसी ज़मीन पर जमा किए जाएंगे जिसका रंग सफेद होगा लेकिन सफेदी का झुकाव मटियाले रंग की तरफ होगा। उस वक्त ज़मीन मैदे की रोटी जैसी होगी। किसी की उसमें निशानी न होगी।
जब कियामत होगी तो आसमान में यह तब्दीली होगी कि उसके सितारे झड़ पड़ेंगे और बेनूर हो जाएंगे और चांद-सूरज की रौशनी लपेट दी जाएगी, नीज़ आसमान फट पड़ेगा और उसमें दरवाज़े हो जाएंगे। सूरः नबा में फ़रमाया :

यौ म युन्फखु फिस्सूरि फुतअतू न अफ़्वाजौं व फुतिहतिस्समाउ फुकानत अब्बाबा ।
‘जिस दिन फूंका जाएगा सूर में तो तुम चले जाओगे झुण्ड के झुण्ड और खोला जाएगा आसमान तो हो जाएंगे उसमें दरवाज़े ।’
यानी आसमान फटकर ऐसा हो जाएगा कि गोया दरवाज़े ही दरवाज़े हैं।
सूरः मुर्सलात में है :

“और जब आसमान में झरोखे पड़ जाएंगे।’
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1. मुस्लिम शरीफ
2. बुख़ारी
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सूरः फुर्कान में फरमाया :

“जिस दिन फट जाए आसमान बादल से और उतार दिए जाएं फरिश्ते लगातार ।’
सूरः हाक्कुः में फ़रमाया :

‘फिर जब सूर में फूंक मारी जाए। एक फूंक और उठा दिए जाएं (अपनी जगह से) ज़मीन और पहाड़ फिर दोनों एक बार रेज़ा-रेज़ा कर दिए जाएंगे तो उस दिन हो पड़ने वाली हो पड़ेगी (यानी कियामत) और आसमान फट पड़ेगा तो वह उस दिन बोदा होगा और फरिश्ते आसमान के किनारों पर आ जाएंगे और आपके परवरदिगार के अर्श को उस दिन आठ फरिश्ते उठाये होंगे।’
जिस वक्त दर्मियान से आसमान फटने लगेगा तो फरिश्ते उसके किनारे पर चले जाएंगे।
सूरः रहमान में इर्शाद फ़रमाया :

‘बस जब आसमान फट जाएगा तो ऐसा लाल हो जाएगा जैसे लाल नरी।’
और सूरः मआरिज में फ़रमाया है कि आसमान उस दिन ‘मुहूल’ यानी पिघले तांबे की तरह होगा यानी फटने के साथ उसका रंग भी बदल हुए जाएगा और लाल हो जाएगा। सूरः तूर में फ़रमाया है कि उस दिन आसमान कपकपायेगा ।

यानी कपकपा कर फट पड़ेगा।
सूरः इन्शिकाक में फ़रमाया :

व अजिनत लिब्बा व हुक्कत० ‘
जब आसमान फट जाएगा और अपने रब का हुक्म सुन लेगा और वह इसी लायक़ है और जब ज़मीन खींच कर बढ़ा दी जाएगी और अपने अन्दर की चीज़ों को बाहर डाल देगी और ख़ाली हो जाएगी और अपने रब का हुक्म सुन लेगी और वह इसी लायक है।’
आसमान को फटने का और ज़मीन को खींच कर बढ़ जाने और फैल जाने का हुक्म उनके रब की तरफ से होगा। दोनों अल्लाह की ‘मख़्लूक हैं । मख़्लूक को ख़ालिक़ (पैदा करने वाले) का हुक्म सुनना और अमल करना ज़रूरी बात है। ये दोनों भी अल्लाह तआला के हुक्म को पूरा करेंगे और उनको यही लायक भी है कि अपने पैदा करने वाले और मालिक के आगे झुक जाएं और फ़रमांबरदारी में तनिक भी कहें सुनें नहीं ।
ज़मीन खींच कर रबड़ की तरह बढ़ा दी जाएगी और इमारत और पहाड़ वगैरह सब बराबर कर दिये जाएंगे ताकि एक हमवार बराबर ज़मीन पर सब अगले पिछले एक साथ खड़े हो सकें और कोई पर्दा रुकावट बाक़ी न रहे, ज़मीन अपने भीतर की चीज़ों को बाहर डाल देगी और ख़ाली हो जाएगी यानी वह अपने अंदर से ख़ज़ाने और मुर्दे और मुर्दों के हिस्से उगल डालेगी और उन तमाम चीज़ों से ख़ाली हो जाएगी, जिनका तअल्लुक बंदों के आमाल का बदला मिलने से होगा।
Duniya khatam hone ke baad चांद, सूरज और सितारे ka ky haal Hoga?
जब सूर फूंका जाएगा तो चांद, सूरज और सितारे भी अपने हाल पर बाकी न रहेंगे। सूरः तकवीर में फ़रमाया :

‘जब सूरज बेनूर हो जाएगा और जब सितारे टूटकर गिर पड़ेंगे। सूरः इन्फितार में फ़रमाया :

इन आयतों से आसमान का फटना और सितारों का झड़कर गिरना ज़ाहिर हुआ। सूरः मुर्सलात में फ़रमाया है कि उस दिन सितारों की रौशनी ख़त्म कर दी जाएगी। चुनांचे इर्शाद है :

‘सो जब सितारे बेनूर हो जाएंगे।’
सूरः कियामः में फ़रमाया :

‘पूछता है (इंसान) कब होगा दिन क्रियामत का पस जब चुधियाने लगे आंख और बेनूर हो जाए चांद और जमा किए जाएं चांद और सूरज । उस दिन कहेगा इंसान, कहां चला जाऊं भागकर । हरगिज़ नहीं, कहीं पनाह की जगह नहीं। उस दिन सिर्फ तेरे रब की तरफ जा ठहरना है।’
इन आयतों से साफ हो गया कि क़ियामत के दिन चांद भी बेनूर हो जाएगा। चांद के बेनूर होने का ज़िक्र फ़रमा कर इर्शाद फ़रमाया, ‘व जुमिअश्शम्सु वल कमर’ (सूरज और चांद जमा किए जाएंगे) यानी सिर्फ चांद ही बेनूर न होगा बल्कि बेनूर होने का ख़ास तौर से इसलिए ज़िक्र फ़रमाया कि अरब के लोगों को चांद का हिसाब रखने की वजह से उसका हाल देखने का ज्यादा इहतमाम था।
हज़रत अबू हुरैरः रिवायत फ़रमाते हैं कि आंहज़रत ने फ़रमाया कि क़ियामत के दिन चांद और सूरज दोनों लपेट दिये जाएंगे।’ यानी उनकी रौशनी लपेट दी जाएगी। जिसकी वजह से रौशनी न फैल सकेगी; न किसी चीज़ पर पड़ेगी
बैहकी ने किताबुल बअस वन्नुशूर में हज़रत हसन बसरी (रह0) से रिवायत की है कि हज़रत अबू हुरैरः ने आंहज़रत का इर्शाद गरामी नकुल करते हुए फरमाया कि सूरज और चांद बेनूर करके दो टुकड़े बनाकर क़ियामत के दिन दोज़ख़ में डाल दिए जाएंगे। यह सुनकर हज़रत हसन (रह०) ने सवाल किया कि इनकी क्या वजह है? हज़रत अबू हुरैरः ने फरमाया कि मैं आंहज़रत सैयदे आलम का फरमान नकुल कर रहा हूं (इससे ज्यादा मुझे इल्म नहीं) यह सुनकर हसन रह० ख़ामोश हो गये।’