Dusman से हिफ़ाज़त Web Stories| Zalim के Zulm से हिफ़ाज़त का Tarika – Dawat-e-Tabligh

बुराई और तक्लीफ़ से महफ़ूज़, किसी pe ilzam लगाना कैसा है ?, Zalim का साथ देने वाला  एक अजीब Waqia, Dusman से हिफ़ाज़त Web Stories| Zalim के Zulm से हिफ़ाज़त का Tarika – Dawat-e-Tabligh…

Dusman से हिफ़ाज़त Web Stories|Zalim के Zulm से हिफ़ाज़त का Tarika - Dawat-e-Tabligh
Dusman से हिफ़ाज़त Web Stories|Zalim के Zulm से हिफ़ाज़त का Tarika – Dawat-e-Tabligh

किसी pe ilzam लगाना कैसा है ?

  • मुसलमान पर बुहतान बांधने का अज़ाब

हज़रत अली मुर्तजा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जो शख़्स किसी मोमिन मर्द या औरत को उसके फ़क्र या फ़ाक़ की वजह से ज़लील व हक़ीर समझता है, अल्लाह तआला क्यामत के रोज़ उसको अव्वलीन व आख़िरीन के मज्मे में रुस्वा और ज़लील व ख़्वार करेंगे, और जो शख़्स किसी मुसलमान मर्द या औरत पर बुहतान बांधता है और कोई ऐसा ऐब उसकी तरफ़ मन्सूब करता है जो उसमें नहीं है, अल्लाह तआला क्यामत के रोज़ उसको आग के एक ऊँचे टीले पर खड़ा कर देंगे। जब तक कि वह खुद अपनी तक्ज़ीब न करे।

– मआरिफुल कुरआन, हिस्सा 1, पेज 501

Zalim का साथ देने वाला

  • ज़ालिम का साथ देने वाला भी ज़ालिम है

तफ़्सीर-ए-रूहुल मआनी में आयते-करीमा गुडाउछ के तहत यह हदीस नक़ल की है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि क़ियामत के दिन आवाज़ दी जाएगी कि कहाँ हैं ज़ालिम लोग और उनके मददगार। यहाँ तक कि व लोग जिन्होंने जालिमों के दवात, क़लम को दुरुस्त किया है वह भी सब एक लोहे के ताबूत में जमा होकर जहन्नम में फैंक दिए जाएंगे।

-मआरिफुल कुरआन, हिस्सा 3, पेज 25

Zulm की तीन क़िस्में

जुल्म की एक किस्म वह है जिसको अल्लाह तआला हरगिज़ न बख़्शेंगे, दूसरी क़िस्म वह है जिसकी मरिफ़रत हो सकेगी, और तीसरी क्रिस्म यह है कि जिसका बदला अल्लाह तआला लिए बगैर न छोड़ेंगे।

पहली किस्म का जुल्म शिर्क है। दूसरी क़िस्म का जुल्म हुक्ककुकुल्लाह में कोताही है और तीसरी क़िस्म का जुल्म हुकूकुल इबाद की ख़िलाफ़वर्जी है।

-मआरिफुल कुरआन, हिस्सा 2, पेज 550

Zulm की तीन क़िस्में Web Stories

बुराई और तक्लीफ़ से महफ़ूज़ 

  • हर बला से हिफ़ाज़त

मुसनद बज़्ज़ार में अपनी सनद के साथ हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि शुरू दिन में आयतलकुर्सी और सूरः मोमिन (की पहली तीन आयतें हा-मीम से इलेहिलमसीर तक पढ़ लें यह उस दिन हर बुराई और तक्लीफ़ से महफ़ूज़ रहेगा। उसको तिर्मिज़ी ने भी रिवायत किया है जिसकी सनद में एक रावी गुतकल्लम फ्रीहि है।

-तफ़्सीर इब्ने कसीर, हिस्सा 4, पेज 69,

-मजारिफुल क़ुरआन, हिस्सा 7, पेज 581

Zalim के Zulm से हिफ़ाज़त का Tarika

  • ज़ालिम के ज़ुल्म से हिफ़ाज़त का नब्बी नुस्खा

हज़रत अबू राफ़ेअ रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं कि हज़रत अब्दुल्लाह बिन जाफ़र रज़ियल्लाहु अन्हु ने ( मजबूर होकर) हज्जाज बिन यूसुफ़ से अपनी बेटी की शादी की और बेटी से कहा कि जब वह तुम्हारे पास अन्दर आये तो तुम यह दुआ पढ़ना ।

तर्जमा:- अल्लाह के सिवा कोई माजूद नहीं जो हलीम व करीम है, अल्लाह पाक है जो अज़ीम अर्श का रव है, और तमाम तारीफें अल्लाह के लिए हैं जो तमाम जहानों का रब है।”

हज़रत अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा जब हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को कोई सख्त अम्र पेश आता तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यह दुआ पढ़ते रावी कहते हैं (हज़रत अब्दुल्लाह रज़ियल्लाहु अन्हु की बेटी ने यह दुआ पढ़ी जिसकी वजह से ) हज्जाज उसके क़रीब न आ सका।

-हयातुस्सहाबा हिस्सा 3, पेज 412

Dusman से हिफ़ाज़त

अबू दाऊद और तिर्मिज़ी में व असनाद सही हज़रत महलब बिन अबी सफ़रा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है। उन्होंने फ़रमाया कि मुझसे ऐसे शख्स ने रिवायत की जिसने खुद रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सुना है कि आप (किसी जिहाद के मौके पर रात में हिफ़ाज़त के लिए) फ़रमा रहे थे कि अगर रात में तुम पर छापा मारा जाये तो तुम हामीम ला युन्सिरुन पढ़ लेना। जिसका हासिल लफ्ज़ हा-मीम के साथ यह दुआ करना है कि हमारा दुश्मन कामयाब न हो और कुछ रिवायतों में हा-मीम ला युनसरुन बगैर नून के आया है जिसका हासिल यह है कि जब तुम हा-मीम कहोगे तो दुश्मन कामयाब न होगा इससे मालूम हुआ कि हा-मीम दुश्मन से हिफ़ाज़त का क़िला है। (इब्ने कसीर)

– मआरिफुल कुरआन, हिस्सा 7 पेज 582

एक अजीब Waqia

हज़रत साबित बिनानी रहमतुल्लाहि अलैहि फ़रमाते हैं कि मैं हज़रत मुस्अब बिन जुबैर रज़ियल्लाहु अन्हु के साथ कूफ़े के इलाके में था मैं एक बाग़ के अन्दर चला गया कि दो राक्अत पढ़ लूँ। मैंने नमाज से पहले हा मीम असू-मोमिन की आयतें इसेहिल मसीह तक पढ़ें, अचानक देखा कि एक शख्स मेरे पीछे एक सफ़ेद खच्चर पर सवार है जिसके बदन पर यमनी कपड़े हैं। उस शख़्स ने मुझ से कहा कि जब तुम ग़ाफ़िरिज्जन्वि कहो तो उसके साथ यह दुआ करो या गाफ़िरिज़्ज़बिग-फिरली यानी ऐ गुनाहों के माफ़ करने वाले मुझे माफ़ कर दे और जब तुम पड़ो क्रावितत्तीय तो यह दुआ करो या शदीदिल इक्रावि ता तुक्रिनी यानी ऐ सख्त अताब वाले मुझे अज़ाब न दीजियो। और जब जित् तौलि पढ़ो तो यह दुआ करो या जत्तौलि तुल अलय्या विख़ैरिन यानी ऐ इनाम व एहसान करने वाले मुझ पर इनाम फ़रमा साबित बिनानी रहमतुल्लाह अलैहि कहते हैं यह नसीहत उससे सुनने के बाद जो उधर देखा तो वहाँ कोई न था। मैं उसकी तलाश में बाग़ के दरवाज़े पर आया। लोगों से पूछा कि एक शख़्स बमनी लिबास में यहाँ से गुज़रा है। सबने कहा कि हमने कोई ऐसा शख़्स नहीं देखा। साबित बिनानी रहमतुल्लाहि अलैहि की एक रिवायत में यह भी है कि लोगों का ख्याल हैं कि यह इलियास अलैहिस्सलाम थे। दूसरी रिवायत में इसका ज़िक्र नहीं

 -मजारिफुल कुरआन, हिस्सा 7 पेज 582

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