Hajj ki shayari (Poetry, Status, Quotes in Hindi) Dawat~e~Tabligh

बैतुल्लाह जाइए और यह अशआर पढ़िए। जाम ज़मज़म का पिलाया, मैं तो इस क़ाबिल न था। ख़ास अपने दर का रखा तूने ऐ मौला मुझे, यूँ नहीं दर-दर फिराया, मैं तो इस काबिल न था। Hajj ki shayari (Poetry, Status, Quotes in Hindi) Dawat~e~Tabligh

Hajj ki shayari (Poetry, Status, Quotes in Hindi) Dawat~e~Tabligh
Hajj ki shayari (Poetry, Status, Quotes in Hindi) Dawat~e~Tabligh
  • बैतुल्लाह जाइए और यह अशआर पढ़िए

शुक्र है तेरा खुदाया मैं तो इस काबिल न था 
तूने अपने घर बुलावा, मैं तो इस काबिल न था 
अपना दीवाना बनाया, मैं तो इस काबिल न था 
गिदं कावा के फिरवाया, में तो इस काबिल न था 
मुद्दतों की प्यार को सैराथ तूने कर दिया 
जाम ज़मज़म का पिलाया, मैं तो इस क़ाबिल न था 
डाल दी ठंडक मेरे सीने में तूने साकीया 
अपने सीने से लगा लिया, मैं तो इस क़ाबिल न था 
भा गया मेरी ज़बान को ज़िक्र इल्लल्लाह का 
यह सबक किसने पढ़ाया, मैं तो इस क़ाबिल न था 
ख़ास अपने दर का रखा तूने ऐ मौला मुझे 
यूँ नहीं दर-दर फिराया, मैं तो इस काबिल न था
मेरी कोताही कि तेरी याद से ग़ाफ़िल रहा 
पर नहीं तूने भुलाया, मैं तो इस काबिल न था 
मैं कि था बेराह तूने दस्तगीरी आप की 
तू ही मुझको दर पर लाया, मैं तो इस क़ाबिल न था 
अहद जो रोज़े अज़ल में किया था याद है 
अहद वो किसने निभाया, मैं तो इस क़ाबिल न था 
तेरी रहमत तेरी शफकत से हुआ मुझको नसीब 
गुंबदे ख़िज़रा का साया, मैं तो इस क़ाबिल न था
मैंने जो देखा सो देखा बारगाहे कुद्दस में 
और जो पाया सो पाया, मैं तो इस क़ाबिल न था
बारगाहे सय्यदुत कोनेन सल्ल० में आकर यूनुस 
सोचता हूं कैसे आया, मैं तो इस क़ाबिल न था

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