अगर वह भी इस दुनिया से तशरीफ़ ले जायें और पूरी उम्मत उनकी जुदाई के सदमे और रंज में मुब्तला हो और मुसीबतों में घिर जाए तो अल्लाह….

अमीर जमाअत के जानशीन और साहबज़ादे का
मुश्तरका मक्तूब
अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व वरकातुहू ख़ुदावन्द करीम से उम्मीद है कि मिज़ाज आली बआफ़ियत होंगे। इसमें
कोई शक वक शुबहा नहीं कि मरहूम हज़रत जी बहुत ही कमालात के हामिल थे। बहुत-सी बीमारियों के इलाज की सूरत थे, बहुत से कमालात के हामिल थे और उनका हमारे दर्मियान से उठ जाना ज़ाहिरी तौर पर सूरते परेशानी, लेकिन हक़ तआला सुव्हानहू और रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दीन की मेहनत में कुर्बानियों के साथ इन्हिमाक और बारगाहे इलाही में उम्मते मुस्लिमा के लिए अनथक दुआएं इन जाहिरी सूरतों का नेमुलबदल और बदले हक़ीक़ी हैं। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जैसी बाबरकत और वाअज़्मत हस्ती जिनके वजूदेगिरामी से उम्मत का वजूद और जिनके दर्द व कर्ब से और बेचैनियों से उम्मत का नश्व व नुमा और जिनकी गिरया व ज्ञारी से उम्मत की फ़लाह व नजात और जिनके चेहरा-ए-अन्वर की जियारत हजारों साल की इबादत है, ज़्यादा तरक़्क़ी दिलाने वाली थी। अगर वह भी इस दुनिया से तशरीफ़ ले जायें और पूरी उम्मत उनकी जुदाई के सदमे और रंज में मुब्तला हो और मुसीबतों में घिर जाए तो अल्लाह तआला शाहू पर एतमाद और हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के तरीके पर दीन के लिए कुर्बानियां और मेहनतों का इन्हिमाक और बारगाहे इलाही में गिड़गिड़ा कर दुआएं और इस मेहनत का तादिया व तब्लीग़ आप की ज्ञाते आली का वदल है और क्रियामत तक के लिए यह सारे जाने वालों का बदल अपने में लिए हुए है।
हक़ तआला शानुहू ने अपने लुत्फ़ व करम और फ़ज़्ल से दीन की मेहनत को जिस आली काम की तरफ़ हम तमाम अहबाब की रहबरी फ़रमा दी है, उसमें पूरी उम्मते मुहम्मदिया मरहूमा के दारैन के मसाइव का पूरी तरह इलाज है। आप पूरे इन्हिमाक के साथ सारे मसाइब के इलाज का यक़ीन इसमें करते हुए इस मेहनत के बढ़ने और इसकी शक्ल के सही होने के लिए पूरी तरह मेहनत करें ताकि इस उम्मत के इलाज के लिए ईमान की कुर्बानियों वाली मेहनत की फ़िज़ाओं में बहुत से वा- हिम्मत, वे लौस, नफ़्सकुश दाई इलल्लाहि पैदा हों और उनके वजूद में आने के लिए सवाबों को दारैन में हासिल करें। इसकी नक्लें सारे अहबाब को रवाना फ़रमा दें और यह वक़्त लगाना हज़रत जी के ईसाले सवाब की नीयत से करें और कराएं। सदक़ात व ख़ैरात और कसरते तिलावते कुरआन पाक ख़ुसूसन ज़िक्र व दुआ मुक़ामी व बैरूनी गश्त और रोज़ाना तालीम के ज़रिए भी ईसाले सवाब की सूरतें अख्तियार की जाएं।
फ़क़त – वस्सलाम
मौलाना इनामुल हसन गुफ़िर लहू
मौलवी मुहम्मद हारून गुफ़ि-र लहू
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