खजूर और रोटी के टुकड़े की वजह से हूरे-ऐन को छोड़ बैठता है। Masjid को साफ रखना Hoor कैसे मिले गी ? | Hoor की महर Dawat~e~Tabligh in Hindi…

Hoor की महर
- महूरुल हूरिल ऐन (हूरों की महरें)
सालबी ने इस हदीस को हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस से मरफ़ूअन ज़िक्र किया है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अनस रज़ि० से फ़रमाया कि मसाजिद हूरे ऐन का महर है। मसाजिद से कूड़ा करकट निकालना (साफ़ करना) हूरे- ऐन का महर है।
Hoor कैसे मिले गी ?
सालबी ने इस हदीस को हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस से मरफ़ूअन ज़िक्र किया है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अनस रज़ि० से फ़रमाया कि मसाजिद हूरे ऐन का महर है। मसाजिद से कूड़ा करकट निकालना (साफ़ करना) हरे- ऐन का महर है।
हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि आप सल्ल० ने फ़रमायाः हूरे- ऐन का महर मुट्ठी भर खजूर और रोटी का टुकड़ा है (यानी सदक़ा व खैरात हूरे- ऐन का महर है ) हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया कि तुममें से कोई फ़्लां की बेटी फ़्लां से माल की कसूरत की वजह से शादी करता है और
लुक्मा और खजूर और रोटी के टुकड़े की वजह से हूरे-ऐन को छोड़ बैठता है। (यानी इन चीज़ों का सदक़ा करना हूर-ए-एन का महर हैं)
हज़रत साबित रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है वह फ़रमाते हैं कि मेरे वालिद रात की तारीकी में अल्लाह (की रज़ा) के लिए इबादत करते थे। वह फ़रमाते हैं कि एक रात मैंने अपने ख़्वाब में एक औरत को देखा जो (दूसरी औरतों से अलग थी। मैंने उससे पूछा कि तुम कौन हो? तो वह कहने लगी, हूर, अल्लाह की बांदी। मैंने उससे कहा मुझसे शादी कर लो तो वह कहने लगी कि मेरे परवरदिगार के पास मेरे लिए पैगाम भेजो और मेरा महर अदा करो। मैंने पूछा कि तुम्हारा महर क्या चीज़ है? तो वह कहने लगी लम्बे तहज्जुद, और उसने शेर पढ़े। उन अश्आर में से एक शेर का तर्जमा यह है :
और जब रात (की स्याही) नमूदार हो तो क्याम कर (उठ जा)
और दिन को रोज़ा रख कि यह उसका महर है
और बिला शुब्ह रोटी का चूरा हूरे- ऐन का महर है।
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