मामूली Ikram-e-Muslim पर सारे गुनाह माफ़, मुतकब्बिर की तरफ़ अल्लाह तआला नज़रे रहमत नहीं करते, Ikram-e-Muslim से सारे गुनाह माफ़ Web Stories| बुरी मौत से कैसे बचे ? – Dawat-e-Tabligh

Ikram-e-Muslim से सारे गुनाह माफ़
- मामूली इक्रामे मुसलिम पर सारे गुनाह माफ़
हज़रत अनस बिन मालिक रहमतुल्लाहि अलैहि फ़रमाते हैं कि हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ियल्लाहु अन्हु हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु के पास आये, हज़रत उमर अन्हु तकिये पर टेक लगाये हुए थे। हज़रत सलमान रज़ियल्लाहु अन्हु को देखकर उन्होंने वह तकिया हज़रत सलमान रज़ियल्लाहु अन्हु के लिए रख दिया। हज़रत सलमान रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा : अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने सच फ़रमाया। हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा : ऐ अबू अब्दुल्लाह ! अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का वह फ़रमान ज़रा हमें भी सुनाएं। हज़रत सलमान फ़ारसी रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा : एक मर्तबा मैं हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुआ, आप सल्ल० एक तकिये पर टेक लगाये हुए थे। आप सल्ल० ने वह तकिया मेरे लिए रख दिया। फिर मुझसे फ़रमाया : ऐ सलमान! जो मुसलमान अपने मुसलमान भाई के पास जाता है और वह मेज़बान उसके इक्राम के लिए तकिया रख देता है तो अल्लाह तआला उसकी मग्फ़िरत ज़रूर फ़रमा देते हैं।
– हयातुस्साहावा, हिस्सा 2, पेज 561
हुज़ूर-ए-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अख़लाक़
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक बार रास्ते में तशरीफ़ ले जा रहे थे। एक सहाबी से हुज़ूर सल्ल० की मुलाक़ात हुई तो उस सहाबी ने आप सल्ल० की ख़िदमत में दो मिस्वाकें पेश कीं तो हुज़ूर सल्ल० ने उसको खुशी के साथ क़बूल किया और उन दो मिस्वाकों में से एक बिल्कुल सीधी थी और एक टेढ़ी थी, तो यहाँ हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अख़लाक़ देखिए कि जो सीधी थी वह अपने साथी को दी और जो टेढ़ी थी वह आप सल्ल० ने अपने पास रखी।
अपना ख्वाब पूरा
- वह खुशनसीब सहाबी जिन्हें सज्दा करने के लिए अर्श और कुर्सी से भी अफ़ज़ल जगह मिली
हज़रत अबू खुज़ैमा रज़ियल्लाहु अन्हु बयान करते हैं कि उन्होंने एक ख़्वाब में यह देखा कि वह आंहज़रत सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की पेशानी पर सज्दा कर रहे हैं, यह ख़्वाब आप से भी ज़िक्र किया गया तो आप सल्ल० लेट गये और फ़रमाया लो अपना ख्वाब पूरा कर लो, उन्होंने आप सल्ल० की पेशानी मुबारक के ऊपर सज्दा कर लिया।
– तर्जुमानुस्सुन्नः हिस्सा 2, पेज 358
बुरी मौत से कैसे बचे ?
- बुरी मौत से बचने का एक नब्बी नुस्खा
हज़रत उस्मान रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं, हज़रत हारिसा बिन नुमान रज़ियल्लाहु अन्हु की आँखों की रौशनी जा चुकी थी, उन्होंने अपनी नमाज़ की जगह से लेकर अपने कमरे के दरवाज़े तक एक रस्सी बाँध रखी थी। जब दरवाज़े पर कोई मिस्कीन आता तो अपने टोकरे में से कुछ लेते और रस्सी को पकड़कर दरवाज़े तक जाते और खुद अपने हाथ से उस मिस्कीन को देते। घर वाले उनसे कहते कि आप की जगह हम जाकर मिस्कीन को दे आते हैं। वह फ़रमाते : मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फ़रमाते हुए सुना है कि मिस्कीन को अपने हाथों से देना बुरी मौत से बचाता है।
– हयातुस्सहाबा, हिस्सा 2, पेज 234
Allah रहमत kis par नहीं करते
- मुतकब्बिर की तरफ़ अल्लाह तआला नज़रे रहमत नहीं करते
हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं : मैंने एक मर्तबा अपनी एक नई क़मीज़ पहनी, मैं उसे देखकर खुश होने लगी, वह मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। हज़रत अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया : क्या देख रही हो? इस वक़्त अल्लाह तुम्हें ( नज़रे रहमत से) नहीं देख रहे हैं। मैंने कहा यह क्यों? हज़रत अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया क्या ‘तुम्हें मालूम है कि जब दुनिया की जीनत की वजह से बन्दा में उजब ( खुद को अच्छा समझना) पैदा हो जाता है तो जब तक वह बन्दा ज़ीनत (सजना-संवरना) छोड़ नहीं देता उस वक्त तक उसका रव उससे नाराज़ रहता है। हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा फ़रमाती हैं मैंने कि वह कमीज़ उतारकर उसी वक्त सद्क़ा कर दी तो हज़रत अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया: शायद यह सदुक्का तुम्हारे इस उजब के गुनाह का कफ़्फ़ारा हो जाये।
-हयातुस्सहावा, हिस्सा 2, पेज 399
बीवी के मुँह में लुक्मा देने पर सद्क़ का सवाब हज़रत सजूद बिन अबी वक्रास रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि मैं हिज्जतुल विदाअ वाले साल बहुत बीमार हो गया था। जब हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेरी इयादत के लिए तशरीफ़ लाये तो मैंने कहा कि मेरी एक बेटी है तो क्या मैं अपना दो तिहाई माल सद्का कर दूँ? हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया नहीं, मैंने कहा आधा माल सद्क़ा कर दूँ? हुज़ूर सल्ल० ने फ़रमाया नहीं। मैंने कहा कि तिहाई माल सद्क़ा कर दूँ? आप सल्ल० ने फ़रमाया हाँ, तिहाई माल सद्क़ा कर दो और तिहाई भी बहुत है, तुम अपने वारिसों को मालदार छोड़कर जाओ यह इससे बेहतर है कि तुम उनको फ़क़ीर छोड़कर जाओ और वह लोगों के सामने हाथ फैलाते फिरें, और तुम जो भी ख़र्चा अल्लाह की रज़ा के लिए करोगे उस पर तुम्हें अल्लाह की तरफ़ से अज ज़रूर मिलेगा, यहां तक कि तुम जो लुक्मा अपनी बीवी के मुँह में डालोगे उस पर भी अज मिलेगा। मैंने कहा या रसूलुल्लाह ! मुझे तो ऐसा लग रहा है और मुहाजिरीन तो आप के साथ मक्का से वापस चले जाएंगे, मैं यहाँ ही मक्के में रह जाऊंगा और मेरा इंतिक़ाल यहां मक्के में हो जाएगा और चूँकि मैं मक्के से हिज्रत करके गया था तो मैं अब यह नहीं चाहता कि मेरा यहाँ इंतिक़ाल हो। हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया नहीं तुम्हारी ज़िन्दगी लम्बी होगी (और तुम्हारा इस मर्ज़ में इंतिक़ाल न होगा) और तुम जो भी नेक अमल करोगे उससे तुम्हारा दर्जा भी बुलन्द होगा और तुम्हारी इज्ज़त में इज़ाफ़ा होगा और तुम्हारे ज़रिए इस्लाम का और मुसलमानों का बहुत फ़ायदा होगा और दूसरों का बहुत नुक्सान होगा (चुनांचे इराक़ के फ़तह होने का यह ज़रिया बने।)
ऐ अल्लाह ! मेरे सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम की हिज्रत को आखिर तक पहुंचा (दर्मियान में मक्का में फ़ौत (मरना) होने से टूटने न पाये) और (मक्का में मौत देकर उन्हें ऐड़ियों के बल वापस न कर। हाँ क़ाबिल-ए-रहम सजूद बिन ख़ौला है (कि वह मक्का से हिजरत करके गये थे और अब यहाँ फ़ौत हो गये हैं उनके मक्का में फ़ौत होने की वजह से हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को उन पर तरस आ रहा था।)
-हयातुस्साहाब, हिस्सा 2, पेज 645
दोस्तों को नसीहतें
- सलफ़ सालेहीन की अपने दोस्तों को तीन नसीहतें
1. जो आदमी आख़िरत के कामों में लग जाता है अल्लाह तआला उसके दुनिया के कामों की ज़िम्मेदारी ले लेते हैं ।
2. जो शख्स अपने बातिन को सही कर ले अल्लाह उसके ज़ाहिर को सही फ़रमा देते हैं।
3. जो अल्लाह से अपना मामला सही कर लेता है, अल्लाह तआला उसके और मख़्लूक़ के दर्मियान के मामलात को सही कर देते हैं ।
– मआरिफुल क़ुरआन, हिस्सा 4, पेज 679
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