Jannat से aacha kya होगा? | Jahannam से निकलना | jahannam ka daroga- Dawat-e-Tabligh

मेरे पास तुम्हारे लिए इससे भी अफ़ज़ल नेमत है। तुम जिसे पहचानते हो, निकाल लो! चुनांचे वे लोग दोज़ख़ से भारी तादाद में लोगों को निकालेंगे । Jannat से अफ़ज़ल kya होगा? | Jahanam से निकलना | अनोखी हेरानी |Dawat-e-Tabligh

Jannat से aacha kya होगा? | Jahannam से निकलना | jahannam ka daroga- Dawat-e-Tabligh
Jannat से aacha kya होगा? | Jahannam से निकलना | jahannam ka daroga- Dawat-e-Tabligh

Jannat का दरवाजा कौन खुलवाएंगे ?

  • प्यारे नबी जन्नत खुलवाएंगे

आहज़रत सैयदे आलम ने फ़रमाया कि क़ियामत के दिन तमाम पैगम्बरों से ज्यादा मेरे तरीके पर चलने वाले मौजूद होंगे और मैं सबसे पहले जन्नत का दरवाज़ा (खुलवाने के लिए) खटखटाऊंगा।’ यह भी इर्शाद फ़रमाया कि मैं क़ियामत के दिन जन्नत के दरवाज़े पर आकर खोलने के लिए कहूंगा। जन्नत का दारोगा सवाल करेगा कि आप कौन हैं? मैं जवाब दूंगा कि मुहम्मद हूं! यह सुनकर वह कहेगा कि मुझे यहीं हुक्म हुआ है कि आपके लिए खोलूं (और) आपसे पहले किसी के लिए न खोलूं।” यह  भी इर्शाद फरमाया कि मैं सबसे पहले जन्नत के (दरवाज़े के) हल्कों को हिलाऊंगा। पस अल्लाह मेरे लिए जन्नत खोलकर मुझे दाखिल फरमा देंगे और मेरे साथ फकीर मोमिन होंगे और यह मैं फन के साथ नहीं ब्यान कर रहा हूँ (फिर फरमाया कि) मैं अल्लाह के नज़दीक तमाम अगलों -पिछलों से ज्यादा इज्ज़त वाला हूं।

 – तिर्मिज़ी शरीफ

Jannat व दोज़ख़ में गिरोह-गिरोह जायेंगे

दोज़खियों पर मलामत और जन्नतियों का स्वागत । दोज़ख़ के दरवाज़े जेल की तरह पहले से बन्द होंगे और जन्नत के दरवाज़े पहले से खुले होंगे।

तमाम काफिरों को धक्के देकर बड़ी जिल्लत व वारी के साथ दोज़ख़ की तरफ़ हांका जाएगा और चूंकि कुफ्र की किस्में और दर्जे बहुत हैं इसिलए हर किस्म और हर दर्जे के काफ़िरों का गिरोह अलग-अलग कर दिया जाएगा। अल्लाह का इर्शाद है :

‘और जो काफ़िर हैं, वह जन्नत की तरफ़ गिरोह गिरोह बनाकर हांके जाएंगे।’

Jannat से अफ़ज़ल kya होगा?

फिर अल्लाह तआला उनसे फरमाएंगे कि जन्नत में दाखिल हो जाओ। वहां जो नज़र पड़े, वह तुम्हारे लिए है। वे अर्ज़ करेंगे कि ऐ हमारे परवरदिगार! आपने हमको वह अता फरमाया है जो आपने दुनिया में से किसी को भी नहीं दिया। अल्लाह तआला फरमाएंगे कि मेरे पास तुम्हारे लिए इससे भी अफ़ज़ल नेमत है। वे अर्ज़ करेंगे या रब्बना, इससे अफ़ज़ल कौन होगा? अल्लाह जल्ल ल शानुहू फ़रमाएंगे (कि इससे अफ़ज़ल) मेरी खुशी है। सो मैं तुम पर कभी भी नाराज़ नहीं हूंगा।’

यह एक लंबी हदीस है जो अभी ख़त्म हुई इसमें बताया गया है कि साकु की तजल्ली के बाद पुलसिरात कायम होगी। इससे यह भी समझ में आता है कि नूर की तक़सीम तजल्ली साक और पुलसिरात पार करने के दर्मियान होगी। क्योंकि पुलसिरात पार करने के लिए नूर तकसीम किया जाएगा। लेकिन तब में हमने पूरी हदीस को एक ही जगह एक सिलसिले में रखने के लिए नूर की तकसीम को तजल्ली-ए-साफ़ से पहले ब्यान कर दिया है।

Jannat में सब से फेले कौन जाएगा?

जन्नत में सबसे पहले उम्मते मुहम्मदिया दाख़िल होगी और सबसे ज्यादा होगी।  

मुस्लिम शरीफ़ में है कि आंहज़रत सैयदे आलम ने फ़रमाया कि हम दुनिया में आख़िर में आये और क़ियामत के दिन दूसरी मलूक से पहले हमारे फ़ैसले होंगे और यह भी फ़रमाया कि हम (यहां ) आख़िर में आये (और) क़ियामत के दिन पहले होंगे और सबसे पहले जन्नत में हम दाख़िल होंगे।

-मिश्कात शरीफ, बाबुल जुमुअः

Jannatiyo की कितनी लाइन होगी?

एक रिवायत में है कि आहज़रत सैयदे आलम ने फ़रमाया कि जन्नतियों की 120 सफें होंगी (यानी क़ियामत के दिन मैदान में) जिनमें 80 इस उम्मत की और 40 सब उम्मतों की मिलाकर होंगी।         

-मिश्कात शरीफ

Jannati को दोज़ख़ और दोज़खियों को जन्नत दिखायी जाएगी

हज़रत अबू हुरैरः ने रिवायत है कि आंहज़रत ने फ़रमाया कि जन्नत में जो कोई दाख़िल होगा उसका दोज़ख़ में मुकर्रर किया हुआ वह ठिकाना ज़रूर उसको दिखला दिया जाएगा, जो बुरे अमल करने पर उसको मिलता ताकि ज़्यादा दिया जाएगा। जो बुरे अमल करने पर उस को मिलता, ताकि ज्यादा शुक्र अदा करे और जो कोई दोज़ख़ में दाख़िल होगा, उसको जन्नत में मुकर्रर किया हुआ वह ठिकाना ज़रूर उसको दिखला दिया जाएगा जो अच्छे अमल करने पर मिलता ताकि उसको ज़्यादा हसरत हो।

Jannat और दोज़ख़ दोनों भर दी जाएंगी

सूरः काफ़ में फरमाया :

‘जिस दिन कि हम दोज़ख़ से कहेंगे कि क्या तू भर गयी ? वह कहेगी क्या कुछ और भी है?’हज़रत अनस से रिवायत है कि आंहज़रत सैयदे आलम ने फरमाया कि दोज़ख़ में दोज़ख़ी डाले जाते रहेंगे और वह कहती रहेगी कि क्या और भी है? यहां तक कि अल्लाह उसमें अपना कदम रख देंगे जिसकी वजह से’ सिमट जाएगी और कहेगी आपकी इज़्ज़त की कसम, बस! बस !! और जन्नत में भी फ़ाज़िल जगह बाक़ी ही रह जाएगी। यहां तक कि अल्लाह तआला नयी मख़्लूक पैदा फरमाकर उस फ़ाज़िल जगह में बसा देंगे। 1-बुखारी व मुस्लिमदूसरी हदीस में है कि अल्लाह जल्ल ल शानुहू ने जन्नत व दोज़ख़ दोनों को भर देने का जिम्मा लिया है। दोज़ख़ ख़ाली रह जाएगी तो नयी मख़्लूक पैदा फ़रमाकर उसे भरेंगे नहीं। क्योंकि वे बेक़सूर’ होंगे और जन्नत में जो जगह बच जाएगी, उसको नयी मख़्लूक पैदा फ़रमाकर भर देंगे। हमारे एक बुज़ुर्ग से किसी ने कहा कि वही मज़े में रहे जो पैदा होते ही जन्नत में होंगे। उन्होंने फ़रमाया कि उनको क्या ख़ाक मज़ा आएगा। न दुनिया में आये, न दुख-दर्द सहने की मुसीबत पड़ी। आराम का मज़ा उसी को खूब महसूस होता है जिसे दुख के बाद नसीब हुआ हो ।

Jannat वालों के बारे में

  • जन्नत वालों के बारे में फरमाया :

‘और जो लोग अपने रब से डरते थे। गिरोह गिरोह होकर जन्नत की तरफ रवाना किए जाएंगे।’

ईमान व तक्वा के मर्तबे और दर्जे कम और ज़्यादा हैं। हर दर्जे और मर्तबे के मोमिनों की जमाअत अलग-अलग होगी और उन सब जमाअतों को एजाज़ व इकराम के साथ जन्नत की तरफ रवाना किया जायेगा। उनके स्वागत के लिए जन्नत के दरवाज़े पहले से खुले होंगे और दरवाज़ों पर पहुंचते ही जन्नत के निगरां उनको सलामती और खुश जिंदगी गुजारते रहने की खुशख़बरी सुनायेंगे। चुनांचे इर्शाद है :

‘यहां तक कि जन्नत के पास पहुंचेंगे और उसके दरवाजे खुले होंगे और उसके निगरां कहेंगे कि तुम पर सलाम हो। तुम मज़े में रहे सो जन्नत में हमेशा रहने के लिए दाखिल हो जाओ।’

जिंदगी की नहर

अब अल्लाह जल्ल ल शाहू फरमाएंगे कि फरिश्तों ने शफाअत कर ली और नबियों ने शफाअत कर ली और ईमान वालों ने शफाअत कर ली। अब बस अर्हमुर्राहिमीन (अल्लाह) ही बाकी है। अल्लाह जल्ल ल शानुहू यह फरमा कर दोज़ख़ में से एक मुट्ठी भरेंगे। पस उसमें से ऐसे लोगों को निकाल लेंगे जिन्होंने कभी कोई भलाई की ही नहीं थी (और ईमान ही की छिपी दौलत उनके पास थी। ये लोग जलकर कोयला हो चुके होंगे)। उनको अल्लाह जल्ल ल शानुहू एक नहर में डाल देंगे कि जन्नत के शुरू हिस्से में होगी जिसको ‘नहरुल हयात’ (जिंदगी की नहर) कहा जाता है। (नहर में पड़कर उनकी हालत बदल जाएगी)। पस ऐसे निकलेंगे जैसे बीज बहते पानी के घास-तिनकों पर (बहुत जल्द उगकर निकल आता है। (फिर फरमाया कि) इस हाल में उस नहर से निकलेंगे कि जैसे मोती हैं। उनकी गरदनों पर निशानियां होंगी (जिनके ज़रिए दूसरे) जन्नती उनको पहचानेंगे (कि ये अल्लाह के आज़ाद किए हुए हैं जिनको अल्लाह ने जन्नत में बगैर किसी (नेक्) अमल के और बग़ैर किसी भलाई के, जो उन्होंने आगे भेजी हो, जन्नत में दाख़िल फ़रमाया ।

Jahanam से निकलना

दूसरी रिवायत में है कि आंहज़रत सैयदे आलम ने उस मौका पर यूँ फ़रमाया कि (दुनिया में) जो हक तुम्हारा किसी के जिम्मे मालुम हो जाए तो उस हक़ को हासिल करने के लिए जैसी सख्ती से मुतालिबा करते हो उस रोज़ अल्लाह से जो ईमान वाले अपने दोज़खी भाईयों के लिए जिस ज़ोर से मुतालिबा करेंगे तुम्हारे दुन्यावी मुतालिबा से बहुत ज़ोरदार होगा जब कि मोमिनीन ये देख लेंगे कि हम नजात पा चुके। बारगाह ईलाही में अर्ज़ करेंगे कि ऐ हामारे परवरदिगार ये लोग (जो दोज़ख में गुनाहों की वजह से गिर गये) हमारे साथ रोज़े रखते थे और हमारे साथ नमाज़ पढ़ते थे और हज करते थे, (अब भी हमारे साथ उनको जन्नत में दाखिल फरमा दीजिए) इर्शाद होगा कि तुम जिसे पहचानते हो, निकाल लो! चुनांचे (वे उनको निकालने के लिए रवाना होंगे और (उनके जिस्म दोज़ख़ की आग पर हराम कर दिए जाएंगे यानि दोज़ख़ की आग इन निकालने वालों को न जला सकेगी)। नतीजा यह होगा कि वे लोग दोज़ख़ से भारी तादाद में लोगों को निकालेंगे और इन दोज़ख़ियों में से किसी को आग ने आधी पिंडली तक और किसी को घुटने तक पकड़ा होगा।

याजूज-माजूज

दोज़ख़ में जाने वालों का अन्दाज़ा

हज़रत रसूले करीम ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला हज़रत आदम को ख़िताब करके फरमाएंगे, ‘ऐ आदम!’ वह अर्ज़ करेंगे :

‘मैं हाज़िर हूं और हुक्म का ताबेअ हूं और सारी बेहतरी आप ही के हाथ में है।’अल्लाह जल्ल ल शाहू फरमाएंगे, (अपनी औलाद में से) दोज़ख़ी निकाल दो। वह अर्ज़ करेंगे, दोज़खी कितने हैं? इर्शाद होगा कि हर हज़ार में 999 है। (यह सुनकर आदम की औलाद को सख्त परेशानी होगी और रंज व ग़म की वजह से) उस वक्त बच्चे बूढ़े हो जाएंगे और हामिला औरतों का हमल गिर जाएगा और लोग होश खो बैठेंगे। जबकि हक़ीक़त में बेहोश न होंगे, लेकिन अल्लाह का अज़ाब सख़्त होगा (जिसकी वजह से होश खो बैठेंगे) यह सुनकर हज़रात सहाबा किराम ने अर्ज़ किया ऐ अल्लाह के रसूल ! वह एक जन्नती हममें से कौन होगा? आप ने फ़रमाया कि (घबराओ नहीं) खुश हो जाओ, क्योंकि यह तादाद इस तरह है कि एक तुम में से है और हज़ार याजूज माजूज हैं। -मिश्कातमतलब यह है कि याजूज – माजूज की तादाद बहुत ही ज़्यादा है कि अगर तुम में और उनमें मुकाबला हो तो तुममें से एक शख़्स के मुकाबले में याजूज-माजूज एक हज़ार आएंगे और चूंकि वे भी आदम की नस्ल से हैं, उनको मिलाकर हर हज़ार में 999 दोज़ख़ में जाएंगे। वे ज़मीन में बिगाड़ पैदा करने वाले और खुदा का इन्कार करने वाले हैं।

अनोखी हेरानी

  • दोज़खियों को अनोखी हैरत

दुनिया में काफिर ईमान वालों के मज़ाक बनाते थे और उनका ठट्टा करते थे। जब दोज़ख़ में पहुंचेंगे तो अल्लाह के इन क़रीबी लोगों को अपने साथ न देखकर हैरत में पड़ जाएंगे जैसा कि सूरः साद में फरमाया :

‘और ये दोज़ख़ी कहेंगे कि क्या बात है। वे लोग हमें दिखायी नहीं देते जिनको हम बुरे लोगों में गिना करते थे, क्या हमने उन लोगों की ग़लती से हँसी कर रखी थी या उनके देखने से आंखें चकरा रही हैं।

यानी जबकि वे लोग यहां यहां नज़र नहीं आते तो उसके बारे में यही कहा जा सकता है हम उनको बुरा समझने और शरारत वाले गिनने और उनका मज़ाक बनाने में ग़लती पर थे और वे हक़ीक़त में अच्छे लोग थे जो आज यहां नहीं हैं या यह है कि वे हैं यहीं, मगर हमारी आंखें चूक गयी हैं। वे लोग देखने में नहीं आ रहे हैं।

दोज़खीयों की आपस में एक-दूसरे पर लानत

दोज़खी आपस में यहां बड़ी मुहब्बतें रखते थे और एक दूसरे के उकसाने और फुसलाने पर कुफ्र व शिर्क के काम किया करते थे, लेकिन जब सब अपने बुरे किरदार (चरित्र) का नतीजा दोज़ख़ में जाने की शक्ल में देखेंगे तो एक दूसरे पर लानत की बौछार करेंगे।

सूरः अअराफ़ में इर्शाद है:

‘जिस वक्त भी कोई जमाअत दोज़ख़ में दाखिल होगी अपनी जैसी दूसरी जमाअत को लानत करेगी। यहां तक कि जब सब उसमें जमा हो जाएंगे तो पिछले लोग पहले लोगों के बारे में कहेंगे कि ऐ हमारे परवरदिगार! हमको इन लोगों ने गुमराह किया था। सो इनको दोज़ख़ का अज़ाब दो गुना दीजिए।’

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