ज़िंदगी गुज़रने का असल तरिका |Hazratji Molana Yousuf Bayan in Hindi| Dawat-e-Tabligh

दुनिया के हालात पर नजर डालें तो हालात की ख़राबी के साए नज़र आते हैं, हालात का ताल्लुक आमाल से है।

अपने तरीक़ों को नबियों के तरीक़ों से बदलो

ज़िंदगी गुज़रने का असल तरिका
ज़िंदगी गुज़रने का असल तरिका

तारीख़ 18 अप्रैल सन् 1964 ई०, मुताबिक 18 जुलहिज्जा सन् 1384 हि० को बाब इब्राहीम हरम शरीफ़ मक्का मुकर्रमा के इज्तिमाअ में, वक़्त अरबी 2 बजे दिन हिन्दुस्तानी टाइम 10 बजे में की गई तक़रीर

हम्द व सना के बाद,

बिरादराने इस्लाम !

सारी दुनिया के हालात पर नजर डालें तो हालात की ख़राबी के साए नज़र आते हैं। हाकिम व महकूम के हालात ख़राव, मालिक व मजदूर के हालात खराब, ज़मींदार व किसान के हालात खराब, अमीर और ग़रीब के हालात ख़राब नज़र आते हैं। दुनिया वालों ने मेहनत के तरीक़े बदल लिए हैं। मुल्क व माल वालों ने तरीके बदल लिए, सामान व जायदाद वालों ने तरीक़े बदल लिए है, खेमों और मिल वालों ने तरीक़े बदल लिए, चूंकि ये तरीक़े उनके मनगढ़त तरीके हैं, ख़ुदा के बताए हुए, अंबिया के अपनाए हुए तरीके नहीं हैं, इसलिए नतीजे में जगह-जगह कदम-कदम पर ख़राबी ही ख़राबी नज़र आती है। अल्लाह पाक के तरीके और हैं यानी नवियों के तरीके और हैं।

अल्लाह पाक के हुक्मों में नवी एतराज नहीं करते, बल्कि अल्लाह का हुक्म होता है और नबी का अमल अल्लाह और नबी में इख़्तिलाफ़ नहीं होता, मुल्क व माल वालों का झगड़ा होता है। जिन लोगों ने नबियों की मेहनत का इंकार किया, अल्लाह से उनको बिगाड़ दिया। अल्लाह तो नवियों को लोगों के हालात दुरुस्त करने के लिए भेजता है, लोगों ने नवियों के आमाल को अपना लिया, फताह पार गए। अगर नवियों के आमाल से अपने आमाल टकरा दिए, चूर-चूर हो गए। चूंकि नवियों वाला नक़्शा, नवियों वाला अमल जिंदगियों में मौजूद नहीं रहा, इसीलिए जिंदगियां बिगड़ रही हैं। अगर दीन पर मेहनत नहीं होगी, दिलों की दुरुस्ती नहीं होगी, दिल दुरुस्त नहीं, तो कोई चीज भी दुरुस्त नहीं होगी। अगर नबियों वाले तरीक़े पर मेहनत होगी तो हालात ठीक होंगे।

हालात- Hazratji Yousuf

हालात की बुनियाद, मुल्क व माल, जर व जमीन, राकेट वगैरह पर नहीं है, बल्कि हालात की बुनियाद आमाल हैं। अंबिया, सुलहा और उलेमा के आमाल हालात संवारने वाले बनेंगे। हालात मुल्क व माल, सोना-चांदी की बदौलत ठीक नहीं होंगे। जो यह समझता है धोखे में है, हक़ीक़त यह नहीं है। अल्लाह तआला ने हालात को आमाल के जरिए जोड़ा है, हालात को चीज़ों के ज़रिए नहीं जोड़ा, बल्कि आमाल के साथ जोड़ा है। जैसे अमल करेगा, हालात मुरत्तब होंगे।

Allah पर यक़ीन- Hazratji Yousuf

अगर यक़ीन कुरआन व हदीस के मुताबिक़ है, आमाल नबियों वाले होंगे हालात ठीक होंगे, हालात का ताल्लुक आमाल से है। अगर यक़ीनों को ठीक करना है तो अंबिया के तरीक़ों पर चलें, ग़लत यक़ीन निकाल कर सही यक़ीन अपनाएं।

Deen की मेहनत- Hazratji Yousuf

ग़लत यक्रीन को निकालने और सही यक़ीन अपनाने के लिए मेहनत की जरूरत है। अपनी-अपनी ताक़त भर मेहनत करें। अंबिया किराम ने सबसे ज़्यादा मेहनत की। अगर इन जैसी मेहनत होगी, यक़ीन दुरुस्त हो जाएगा। अगर तेरा यक्क्रीन, साज व सामान, फ़ौज व हथियार, जहाज़ व सालार से हटकर अल्लाह की जात पर आ जाए, तो कामयाबी है। अल्लाह अपनी कुदरत से सब कुछ करते हैं, अपनी क़ुदरत से ख़ौफ़ को अम्न से बदल देंगे। ख़ुदा की कुदरत पर यक़ीन आ जाए, अल्लाह की जात पर यक़ीन आ जाए, ‘आमन्तु बिल्लाह’ को अपना लिया तो अल्लाह का हो गया, तो वह तेरा हो गया, तो तूने सब कुछ पा लिया।

अल्लाह सामान के मुहताज नहीं- Hazratji Yousuf

अल्लाह सामान के मुहताज नहीं, वह जो कुछ करते हैं, अपनी क़ुदरत से करते हैं, वह इरादा करते हैं और हो जाता है। वह इंसान को बग़ैर इंसान के पैदा कर देते हैं। ज़मीन के बग़ैर ग़ल्ला उगाया। हजरत सुलैमान अलैहि० के लिए तमाम हवाओं, चरिंद व परिंद को ताबे कर दिया। अल्लाह तआला जो चाहते हैं, करते हैं। उनके अह्काम में, उनके नाम में, उनकी ज्ञात में कोई दूसरा शरीक नहीं। हर चीज़ उसी की क़ुदरत के क़ब्ज़े में है।

हज़रत इब्राहीम अलैहि०- Hazratji Yousuf

हज़रत इब्राहीम अलैहि० ने इस काबे को तामीर करके दुआ मांगी, ऐ अल्लाह! सारी दुनिया के लोग तेरे इस घर की ज़ियारत को आया करें। दुआ क़ुबूल हुई। सारी दुनिया के लोग अल्लाह के इस घर की जियारत और हज के लिए आते हैं। इस घर से ख़ुदा की क़ुदरत की निशानियां ज्यादा नज़र आती हैं। हज़रत इब्राहीम अलैहि० ने हज़रत हाजरा और हज़रत इस्माईल अलैहि० को ऐसी जगह छोड़ा था, जहां जिंदगी की कोई रमक़ न थी, न दरख़्त, न पानी, न खेती, न मकान, न साया, न इंसान, न चरिंद, न परिंद, ग़रज़ यह कि हर वक़्त मौत की-सी ख़ामोशी थी। इंसानी अक़्ल इस अमल पर आज तक दंग है कि यह अनोखी बात हज़रत इब्राहीम अलैहि० ने कैसे क़ुबूल कर ली ? वह पैग़म्बर थे, वह ख़ुदा के हुक्मों को अपनी अक़्ल की कसौटी पर न परखते थे। अल्लाह पाक ने हुक्म दिया, उन्होंने तामील में सर झुका दिया, बेटे को अल्लाह का हुक्म सुनाया, उसने गरदन झुका दी। यह उन मुक़द्दस हस्तियों के इनाम का बदला है कि यह शहर, यह जंगल में मंगल, यह ज़मज़म, यह ज़र व जवाहर, ये पाकबाज़ लोग यहां नज़र आते हैं। ऐ लोगो ! अगर तुम अल्लाह के इनाम हासिल करना चाहते हो तो अल्लाह के हुक्मों के सामने ऐसी झुकने की आदत पैदा करो, जैसी हज़रत इब्राहीम और हज़रत इस्माईल अलैहि० में थी।

इस साल पाकिस्तान से 26000 हाजी क़ुरआ के ज़रिए आए और 15000 पासपोर्ट के जरिए आए, कौन ले आया? क़ादिरे मुतलक़ ले आया, कुदरत वाले हैं, हर काम कर सकते हैं, वग़ैर नक्शों के कर सकते हैं। ऐ यहां आने वाले। तुझे तेरा रुपया यहां नहीं लाया, बल्कि तेरा अल्लाह लाया है, तू अपने यक़ीन को दुरुस्त कर अगर तू ख़ुद यहां आया, या अपने रुपए के सहारे से यहां आया है, तो वह आदमी तुझसे ज़्यादा बेहतर है, जिसको अपने रुपए पर जरा भी भरोसा न था, बल्कि सिर्फ़ अल्लाह पर भरोसा था। उसका यक़ीन तेरे यक़ीन से बेहतर है, उसका ईमान तेरे ईमान से बेहतर है, अल्लाह के बग़ैर कुछ भी नहीं हो सकता। जिंदगी-मौत उसी के हाथ में है। तेरा दिल कहता है, काम कैसे चलेगा, पैसे नहीं होंगे तो काम कैसे चलेगा, तेरे हाथ में पैदाइश के वक़्त क्या था, दूध कैसे मिला। हज़रत इस्माईल अलैहि० और उनकी मां को सिर्फ़ पानी से पालने वाला कौन था? तू अपने दिल व जुबान में यक़ीन पैदा कर सारे यक़ीनों की जड़ अल्लाह पाक की ज्ञात पर यक़ीन क़ायम करना है, फिर आमाल का सिलसिला उसी बुनियाद पर क़ायम करना ।

आमाल- Hazratji Yousuf

इस तरह यक़ीन की जड़ लग जाने पर इंसान के अन्दर आमाल आ जाते हैं और जैसे बारिश होने से ज़मीन में नबातात उगती है, उसी तरह यक़ीन के साथ अमल। अगर अमल दुरुस्त होंगे, तो हालात दुरुस्त हो जाएंगे । 

बैतुल्लाह शरीफ़- Hazratji Yousuf

बाज़ारी मुजाहरे, ऐश के सामान, दुनिया की चीजें, जाहिरी नक्शे, मक्का में यूरोप के सामान हैं। लोग मक्का में यूरोप के सामान देखने नहीं आते, बल्कि मक्का के यक़ीन को अल्लाह पर यक़ीन के नज़ारे को देखने आते हैं। आज के मक्का को देखेगा, तो यक़ीन नहीं बनेगा। जो नबी वाला मक्का देखेगा, नबी वाला नक़्शा लेकर जाएगा।

अल्लाह ने पानी बनाया, फिर मक्का से ज़मीन फैलाई, पहाड़ खड़े किए, पहाड़ों और ज़मीनों में बड़ी दौलतें छिपा दीं। जब तक वह चाहेंगे, ज़मीन व आसमान का निज़ाम चलाएंगे। जब चाहेंगे, ज़मीनों और आसमानों को लपेट देंगे और इस निज़ाम को तोड़-फोड़ देंगे। 

Allah की कुदरत – Hazratji Yousuf

बैतुल्लाह शरीफ़ से साबित होता है, औरत से मर्द से इंसान नहीं बनता, कुदरत से इंसान बनता है, क़ुदरत से मकान, आसमान, शक्लों से शक्लें, चीज़ों से चीजें, आटा खुद नहीं बनता, पीसने वाला पीसता है, गूंधने वाला गूंधता है, फिर रोटी पकती है। अल्लाह ने अपनी जात के सिवा सबको बनाया है। ऐ इंसान! तू बना हुआ है, तू बनाने वाला नहीं है। जमीन व आसमान, हैवान, इंसान सब मखलूक हैं। एक अल्लाह सबका खालिक है, मनी से, खून से लोथड़ा, शक्ल इंसान वही बनाएंगे। यक़ीन यह हो जावे कि ख़ुदा के बनाए हुए सब कुछ बनता है और किसी से नहीं बनता। अल्लाह अपनी क़ुदरत से पालते हैं, चीजों से नहीं पालते । हज़रत इस्माईल अलैहि० को कैसे पाला। नमरूद, फ़िरऔन चीजों वाले थे, कैसे ख़त्म हो गए। अल्लाह तआला की कुदरत से नक्शे बनते हैं। अल्लाह तआला की कुदरत से नक़्शे बिगड़ते हैं।

इसी ख़ाना काबा को मिटाने के लिए हाथियों का एक लश्कर आया जैसे इस ज़माने में अमरीका के राकेटों का लश्कर, पहाड़ों में लश्कर फैल गया। कोई ज़ाहिरी शक्ल नहीं कि ख़ुदा का घर बच जाए, मगर बचाने वाले ने बचा लिया। कैसे बचाया, एक फ़रिश्ते ने सफ़ेद हाथी का कान पकड़ा, हाथी बैठ गया, लश्कर रुक गया, अबाबील आए, हर एक के पास तीन-तीन कंकड़ियां थीं, हाथियों पर कंकड़ियां गिराईं। वह सब लश्कर नेस्तनाबूद हो गया। इसी तरह रूसी, अमरीकी ताक़त को अल्लाह जब चाहेंगे, ख़त्म कर देंगे।

यह बैतुल्लाह शरीफ़ सत्तर नबियों की जिंदगी का मर्कज़ है। इसका संगे बुनियाद हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने रखवाया, हज़रत इब्राहीम अलैहि० की दुआ यह थी कि एक उम्मत ऐसी उठे कि सारी दुनिया में नमाज़ की इबादत खड़ी हो जावे, सारी दुनिया के लिए हमदर्द और मुहब्बत वाली बन जाए, सारी उम्मत पर मेहनत करने वाले बन जाएं। यह हज़रत इब्राहीम अलैहि० की पहली दुआ थी। दूसरी दुआ मेरी औलाद से ऐसी उम्मत हो जो दीन पर मेहनत करे, उनको बग़ैर कमाए दुनिया के माल व जर दे। मक्का में जमाअतें आएंगी, दुनिया भर के लोगों के दिलों में मक्का की मुहब्बत डाल दे, इसी वैतुल्लाह शरीफ़ में ज़िद आ गई, बुतों की पूजा हुई। अब घड़ियों और कपड़ों की ख़रीद व फरोख्त, आप अपनी स्कीमें बनाएं, अल्लाह पाक अपनी स्कीम बनाता है। हजरत इब्राहीम अलैहि की स्कीम उभरने का जब वक्त आया, हजरत रसूले मक्बूल सल्ल० तशरीफ लाए, स्कीम चलाने वाला आ गया। चतीम, अनपढ़, माल के बगैर उसी मक्के से चले, सहाबा रजि० स्कीम के चलाने वाले थे, स्कीम चलाई, मुल्क व माल व जर के बगैर चलाई यतीमी की सूरत, ग़रीबी की सूरत, बाहर कुछ नहीं था, अन्दर में सब कुछ था, कुफ्फार घोखे में आ गए, मुहम्मद सल्ल० यतीम है, भूखा है, कुछ भी नहीं, बाप भी नहीं, सब छोड़ गई, जब कोई और बच्चा न मिला तो हलीमा ने ले लिया, वह ऊंटनी जो सबसे पीछे आई थी, अब सबसे आगे-आगे थी, रहबर की रहबर ऊंटनी, अल्लाह की स्कीम ताक़त से नहीं, यक़ीन से चलती है. उसको चलाने वाले माल व मुल्क वाले नहीं, बल्कि मुहकम यक़ीन के हामिल होते हैं। यह स्कीम मुल्क व माल से नहीं चलती, नक्शों और शक्लों से नहीं चलती है।

आपने देखा मुल्क व माल के बगैर इस्लाम का नक़्शा उसी मक्का में चलाया, सारी दुनिया में चलाया। रोकने वालों के रोके न रुका। रोकने वालों ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया, मगर उनके यक़ीन के तूफ़ान पर काह की तरह बह गए। मुहम्मद सल्ल० और उनके सहाबा रजि० के पास खाने को कुछ न था, कपड़ा न था, मकान न था, यक़ीन दुरुस्त था, उठे और तमाम दुनिया के लश्करों की मौजूदगी में सब पर छा गए। अब भी उसी बुनियाद पर जो भी उठेगा, तो अल्लाह अपनी क़ुदरत से काम चलाएंगे। वही कारसाज़, वही मुसब्बबुल अस्वाब है, अल्लाह के ख़ज़ानों के लेने का घर बैतुल्लाह शरीफ़ है। रसूले अक्रम सल्ल० ने स्कीम चलाई, चाहे तुम लाखों मील दूर पड़े हो, बैतुल्लाह शरीफ़ की तरफ़ रुख़ कर लोगे तो हज़रत इब्राहीम अलैहि० वाली बरकतों का अज्र व सवाब और मदद मिलेगी। अल्लाह वाले यक़ीन पर उठो, सिर्फ़ यक़ीन के रुख को मोड़ने की बात है। अगर तमाम सिम्तें छोड़कर तुमने रुख बैतुल्लाह की तरफ़ कर लिया और इस बात पर भी उसी तरह जमे रहे, जिस तरह सहाबा रजि० का यक़ीन था

आज भी गर हो बराहीम का ईमां पैदा ।

आग कर सकती है अन्दाज़े गुलिस्तां पैदा ।।

नबी सल्ल० की सुन्नत व तरीक़ा – Hazratji Yousuf

बैतुल्लाह की तरफ़ कैसे बुलाया गया है, जमाने का जो नक्शा है, वह उस्वा नहीं है, बल्कि अपने-अपने नक्शों को इब्राहीम अलैहि० के नक्शों के मुताबिक्र बना लो। इशदि बारी है, इब्राहीम की इताअत करो। अल्लाह तबारक व तआला ने शाम जैसे सरसब्ज़ व शादाव मुल्क से

हजरत इब्राहीम अलैहि० को छोड़ने का हुक्म दिया, सेहरा में पहुंचा, वहीं बीवी-बच्चे को छोड़ जाने का हुक्म दिया। इकलौते बेटे और चहेती बीबी का और कोई बाप होता तो इस हुक्म से कांप उठता और भड़क कर बग़ावत कर जाता। लेकिन खलीलुल्लाह जैसी हस्ती पर गूना ख़ुशी हुई। क्यों न हो, पैग़म्बर के लिए अपने आक़ा व मौला की ख़ुशी से ज़्यादा कोई चीज़ महबूब नहीं होती। खलीलुल्लाह का आग में कूदना, बीवी-बच्चों को लक़ व दक सेहरा में ऐसी जगह छोड़ना उनको आग में धकेलने से कम न था, मगर यह कुछ अल्लाह जल्ल शानुहू की खुशनूदी के लिए। क़ादिरे मुतलक ने उन्हें झुलसती आग से कैसे बचा लिया, सिर्फ़ पानी पर पाल के दिखा दिया। फिर आप लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि तमाम दुनिया के लिए उस ज़मज़म के पानी को मुतबर्रक बना दिया। ये सब उसी के इनाम हैं। यह वैतुल्लाह शरीफ़, यह ज़मज़म, यह मक़ामे इब्राहीम, ये वादियां वगैरह सब उसी के ख़ुशी के इनाम हैं, उनके मज़े लूटें, मगर अपने-अपने नक्शों को इब्राहीम के नक्शों के मुताबिक़ बनाएं। उनके उस्के से अपने आमाल को टकराएं नहीं। अल्लाह की ख़ुश्नूदी वाले आमाल से, अल्लाह के ग़ज़ब वाले आमाल से टकराएं नहीं।

याद रखो, यह बैतुल्लाह अल्लाह का घर है, यह मर्कज़ है, ख़ुदा की कुदरत का मुजाहरे का। अभी इंसान चांद पर जाएगा, फिर दज्जाल बन जाएगा, साइंस के बादल बनाएगा। अल्लाह करीम यह सब कुछ देखते हैं। वह ऐसे-ऐसे हौलनाक हथियार बनाने वाले को ख़त्म कर देंगे, जैसे अस्हाबे फ़ील के लश्कर को कंकड़ियों से ख़त्म कर दिया था। दज्जाल मुर्दों को जिंदा करके दिखाएगा, फिर बैतुल्लाह पर चढ़ेंगे। तीन झटके मक्का शरीफ़ में आएंगे जो ग़लत यक़ीन वाले होंगे, निकल जाएंगे, सही यक़ीन वाले मक्का में आ जाएंगे। इंसान राकेट से ख़ुद एक बड़ी ताक़त बन जाएगा।

हज- Hazratji Yousuf

अल्लाह जल्ल जलालुहू ने तुम्हें हज के लिए बुलाया, हाजरा दौड़ी, अंबिया दौड़े, तुम भी दौड़ो, चक्कर काटो, कामयाब होगे। अंबिया ने दुआएं मांगी। तुम भी गिड़गिड़ाओ, अल्लाह से मांग लो। उसके दर पर आकर अपनी अकड़फ़ों मिटा लो। उसके बन्दे बन जाओ, मांग लो अपने मालिक से, उसके दरवाज़े से जारी करो, शायद उसको तरस आ जावे याद रखो उसके रहम शुरू हो जाएं, तो बड़े इनाम मिलते हैं। हजरत इब्राहीम अलैहि०, उनकी बीवी-बच्चों पर ख़ुदा का रहम हुआ, अल्लाह ने तरस खाया, सदियों से इनामों की वर्षा हो रही है। दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा उस करम से फ़ायदा उठाता है। अगर तू नबियों वाले रास्ते पर आ जाए,

ख़ुदा का यक़ीन- Hazratji Yousuf

ख़ुदा की ज्ञात पर यकीन न बना तो किस पर बनेगा, दिल के यक़ीन की बीमारियों को ठीक कर लो, दिल के अन्दर यक़ीन की झलकी पैदा करो। हालात की ख़राबी दूसरों की वजह से ख़राब नहीं, यह खराबी हमारी अपनी वजह से है। हज़रत इब्राहीम अलैहि० ने उम्मते मुस्लिमा नमाज़ के लिए मांगीं। हज़रत नूह अलैहि० ने जन्नत की नमाज़ के लिए क्या तू अन्दाज़ा कर सकता है कि हज़रत इब्राहीम अलैहि० ने उम्मते मुस्लिमा नमाज़ के लिए क्यों मांगी, तुझे नमाज़ के इनामों का अन्दाज़ा ही नहीं, यह अन्दाज़ा इब्राहीमी आंख ही कर सकती है ।

नबियों वाली मेहनत- Hazratji Yousuf

बैतुल्लाह की बुनियाद पर मेहनत, नबियों वाली मेहनत पर चलना है। मुहम्मद सल्ल० ने हज़ारों घर कुर्बान किए, हज़ारों सहाबा रजि० के घर कुर्बान किए। हज़रत इब्राहीम अलैहि० ने एक घर कुर्बान किया। नमाज़ के लिए एक घर का कुर्बान कर देना और ख़ुदा की महबूबियत हासिल कर लेना निहायत

Leave a Comment

सिल-ए-रहमी – Rista निभाने से क्या फ़ायदा होता है ? Kin लोगो se kabar में सवाल नहीं होगा ? Part-1 Kin लोगो se kabar में सवाल नहीं होगा ? Part-2 जलने वालों से कैसे बचे ? Dil naram karne ka wazifa