जमाअत से नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा दुनिया में निराला है।फिर (समिअल्लाहु लिमन हमिदह) कहते हुए खड़े हो जाइए और ‘रब्बना लकल हम्द’ कहिए। नमाज में क्या क्या पढ़ा जाता है हिंदी में? | Namaz Ki Rakat Chut Jain To Kaise Padhe- Dawat-e-Tabligh…

तर्कीबे नमाज़
नमाज पढ़ने का सही तरीका क्या है?
सबसे पहले वुज़ू कर लीजिए, या अगर गुस्ल की ज़रूरत हो तो नहा लीजिए, अगर जमाअत का वक़्त हो तो मस्जिद में जाकर इमाम साहब के पीछे नमाज़ पढ़िए। जमाअत से नमाज़ पढ़ने की बड़ी फ़ज़ीलत है।
बेहतर यह है कि आप वुज़ू घर से करके जाएँ, यह अफ़ज़ल है, लेकिन यह ज़रूरी नहीं। आप मस्जिद में जाकर भी वुज़ू कर सकते हैं। अगर आप अकेले नमाज़ पढ़ रहे हैं तो क़िब्ला की तरफ मुँह करके खड़े हो जाइए, नमाज़ की नीयत कीजिए, ज़बान से नीयत अदा करना ज़रूरी नहीं, लेकिन अगर कह लें तो बहुत अच्छा है। अब दोनों हाथ ऊपर उठाइए, हाथ खुले हुए हों, हथेलियाँ क़िब्ले की तरफ़ हों, उँगलियाँ सीधी हों, हाथ इतने ऊपर उठाइए कि दोनों हाथों के अँगूठे दोनों कानों की लौ के बराबर हो जाएँ, फिर तक्बीर यानी अल्लाहु अक्बर कहते हुए दोनों हाथ नाफ़ के नीचे बाँध लीजिए, बायाँ हाथ नीचे और उसके ऊपर दाहिना हाथ रख लीजिए। बायाँ हाथ खुला रखिए, दाहिने हाथ की हथेली बाएँ हाथ के गट्टे पर और तीन खुली हुई उँगलियाँ पहुँचे पर फैलाकर रखिए, अंगूठे और छोटी उंगली का हल्क़ा बना लीजिए।
अब तस्बीह ‘सुब्हा-न-क….. पढ़िए। इसके , बाद ‘तअव्वुज़’ (अअजु बिल्लाह) और ‘तस्मिया’ (बिस्मिल्लाह) पढ़िए। फिर सूर: फ़ातिहा यानी ‘अलहम्दुलिल्लाह ‘ पढ़िए। इसके बाद कोई सूर: जैसे सूर: ‘काफिरून’ पढ़िए ।
रुकूअ krne ka tarika
सूर: के बाद तक्बीर कहते हुए रुकूअ के लिए झुकिए। (तस्बीह वग़ैरह की तफ़सील आगे आ रही है।) रुकूअ में दोनों हथेलियाँ घुटनों पर मज़बूती से रखिए। पिंडलियाँ सीधी खड़ी कीजिए। दोनों कुहनियाँ भी सीधी रखिए। कमर फैलाइए। सर को कमर के बराबर सीध में और नज़र पैरों के दरमियान रखिए। अब तीन बार तस्बीह ‘सुब्हा-न-रब्बियल अज़ीम’ पढ़िए।
क़ौमा (ruku ke baad sidha khada hona) krte waqut
– फिर (समिअल्लाहु लिमन हमिदह) कहते हुए खड़े हो जाइए और ‘रब्बना लकल हम्द’ कहिए।
सज्दा krne ka tarika
फिर तक्बीर कहते हुए सज्दे के लिए झुकिए। पहले ज़मीन पर दोनों घुटने, फिर दोनों हाथ, फिर नाक और फिर पेशानी रखिए। सज्दे में पेशानी ज़मीन पर रखना लाज़िम है, वरना नमाज़ नहीं होगी। सज्दे में चेहरा दोनों हाथों के दरमियान इस तरह रहे कि अंगूठे कानों की लौ की सीध में हों। हथेलियाँ खुली हुई हों, उँगलियाँ भी मामूल के मुताबिक़ खुली हुई हों और सर की सीध में ज़मीन पर रखी हुई हों, कमर ऊँची उठी हुई, कुहनियाँ और रानें पेट से अलग रहें, पैरों के पूरे पंजे ज़मीन पर रखे हों। उँगलियों के सिरे क़िब्ले की तरफ मुड़े हुए हों। कम से कम एक पैर का अंगुठा ज़मीन से लगा रहना ज़रूरी है। अगर दोनों पैर ज़मीन से उठ गये तो नमाज़ नहीं होगी। सज्दे में तीन बार ‘सुब्हान रब्बियल अअला’ पढ़िए।
जल्सा- ( 2 sajdee ke bich ma bhatna)
फिर तक्बीर कहते हुए दोज़ानू बैठ जाइए। बैठने के लिए घुटने मोड़कर दायाँ पाँव खड़ा कर लीजिए और बायाँ पाँव बिछा लीजिए। उँगलियाँ जहाँ तक हो सके, क़िब्ले की तरफ रहें। आधे मिनट यानी इत्मीनान से बैठने के बाद दूसरा सज्दा कीजिए। तक्बीर कहते हुए सज्दे में जाइए और तीन बार फिर ‘सुब्हा-न रब्बियल अअला’ पढ़िए। अब तक्बीर कहते हुए सीधे खड़े हो जाइए। अब सज्दे से उठने और खड़े होने की बेहतर सूरत यह है कि पहले पेशानी ज़मीन से उठाइए, फिर नाक, इसके बाद दोनों हाथ उठाकर घुटनों पर रखिए, फिर सीधे खड़े हो जाइए। अब आपकी पहली रक्अत पूरी हो गयी। इसी तरह दूसरी रक्अत पूरी कीजिए ।
दूसरी रक्अत – में सूर: फ़ातिहा के बाद कोई सूरः पढ़िए, मगर यह ख़याल रखिए कि दूसरी रक्अत में पढ़ी जानेवाली सूर: पहली रक्अत की सूरः से बड़ी न हो।
क़ादा – दूसरे सज्दे के बाद बैठ जाइए और अत्तहीयात पढ़िए। अब अगर आपने दो रक्अत नमाज़ की नीयत की थी तो अत्तहीयात के बाद दुरूद शरीफ पढ़िए और इसके बाद दुआ ‘अल्ला हुम-म इन्नी….’।
सलाम – फिर सलाम यानी ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहते हुए दाहिनी तरफ़ मुड़िये फिर दोबारा सलाम कहते हुए बाईं तरफ रुख कीजिए
तीन या चार रक्अतों वाली नमाज़ kaise padhe?
अगर आपने तीन या चार रक्अत की नीयत की थी तो अत्तहीयात पढ़कर तक्बीर कहते हुए खड़े हो जाइए। बिस्मिल्लाह के बाद सूरः फ़ातिहा पढ़िए। अगर आप फ़र्ज़ नमाज़ पढ़ रहे हैं तो तीसरी और चौथी रक्अत में सिर्फ सूर: ‘फातिहा’ पढ़िए लेकिन अगर आप वाजिब या सुन्नत या नफ़्ल नमाज़ पढ़ रहे हैं तो सूरः फातिहा के बाद कोई सूरः ज़रूर पढ़िए। सूरः के बाद रुकूअ और सज्दा कीजिए और जितनी रक्अतों की नीयत की थी उन्हें पूरा करने के बाद सलाम फेरकर दुआ माँगिए।
याद रखिए – हर रक्अत में कुछ देर खड़ा होना, रुकूअ करना, दो सज्दे करना फ़र्ज़ है। पहली रक्अत में तक्बीरे तहरीमा के बाद सना, तअव्वुज़, तस्मिया सूरः फ़ातिहा से पहले पढ़िए, दूसरी रक्अत में पहले बिस्मिल्लाह आहिस्ता पढ़ी जाती है, फिर सूरः फ़ातिहा और फिर कोई सूर: पढ़ी जाती है, सना और तअव्वुज़ नहीं पढ़ा जाता। दूसरी रक्अत में दो सज्दे करने के बाद अत्तहीयात पढ़ने के लिए बैठना जरूरी है, इस बैठने को क़ादा कहते हैं। तीन या चार वाली नमाज़ में दो ‘क़ादे’ होते हैं-
क़ादा ऊला – जो बीच में होता है यानी दो रक्अत के बाद तीसरी रक्अत से पहले
क़ादा अखीरा – जो नमाज़ के आख़िर में हो, जिसके बाद सलाम फेर दिया जाए।
यह भी याद रखिए कि क़ादा अख़ीरा, जिसके बाद सलाम फेरा जाए, फ़र्ज़ होता है। फ़र्ज़ नमाज़ के अलावा वाजिब, सुन्नत और नफ़्ल नमाज़ की हर रक्अत में सूर: फातिहा के बाद कोई सूरः पढ़ी जाती है।
इमाम के पीछे नमाज़
जमाअत से नमाज़ पढ़ने का तरीक़ा दुनिया में निराला है। यह एक ऐसा तरीक़ा है जिससे हमारे मज़हब की शान ज़ाहिर होती है, अपने और बेगाने सभी इससे असर लेते हैं।
दिन-रात में पाँच फ़र्ज़ नमाज़ें जमाअत से पढ़ी जाती हैं। रमज़ानुल मुबारक के महीने में बीस रक्अतें तरावीह और तीन रक्अतें वित्र भी जमाअत के साथ पढ़ी जाती हैं।
Imam के पीछे नमाज़ पढ़ने का सही तरीका Web Stories- Dawat-e-Tabligh
जमाअत से नमाज़ पढ़ने का सही तरीका
1. नीयत करते वक़्त इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ने का इरादा भी किया जाता है, जैसे नीयत करता हूँ दो रक्अत नमाज़ फ़र्ज़, वक़्त फज्र, इमाम के पीछे, अल्लाह के वास्ते, रुख मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाहु अक्बर ।
2. सना, तअव्वुज़, तस्मिया के बाद सूरः फातिहा और कुरआन मजीद की आयतें सिर्फ इमाम पढ़ता है। इमाम के पीछे नमाज़ पढ़नेवाले सना पढ़ने के बाद ख़ामोश रहते हैं।
3. रुकूअ से खड़े होते वक़्त इमाम ‘समिअल्लाहु लिमन हमिदह’ कहता है, लेकिन मुक्तदी सिर्फ ‘रब्बना ल कल हम्द’ कहते हैं।
4. रुकूअ और सज्दों का तरीक़ा वही है। सज्दा करने के बाद आख़िरी रक्अत में अत्तहीयात के बाद दुरूद शरीफ़ और दुआ पढ़ने के बाद ख़ामोश बैठे रहिए, और इमाम के साथ सलाम फेरिए।
मस्बूक़ – Agar jammat ki rikat chut jai
एक या दो रक्अत के बाद जमाअत में शरीक होनेवाला । जमाअत से नमाज़ पढ़ने लिए आप मस्जिद में ऐसे वक़्त पहुँचे, जैसे अस्र की नमाज़ की एक या दो रक्अतें हो चुकी थीं। ऐसे वक़्त फौरन वुज़ू करके इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ने की नीयत करके जमाअत में शरीक हो जाइए। आख़िरी रक्अत के क़ादे में आप सिर्फ अत्तहीयात पढ़िए और दुरूद शरीफ़ न पढ़िए। ख़ामोश बैठे हुए इमाम के सलाम का इन्तिज़ार कीजिए, जब इमाम सलाम फेर चुके तो आप तक्बीर कहते हुए खड़े हो जाइए। अब आप अपनी नमाज़ शुरू से पढ़िए यानी सना, तअव्वुज़ और तस्मिया पढ़िए। सूरः फ़ातिहा और आयतें पढ़ने के बाद रुकूअ और सज्दे कीजिए। अब अगर आपकी दो रक्अतें हो गई हैं तो सज्दे के बाद बैठकर अत्तहीयात पढ़िए। अगर यह तीसरी रक्अत है तो सज्दा के बाद खड़े हो जाइए और सूर: फ़ातिहा और आयतें पढ़िए और चार रक्अतें पूरी करने के बाद अत्तहीयात और दुरूद शरीफ़ और दुआ पढ़कर सलाम फेर लीजिए।
जमाअत में शरीक होने के बाद जो इब्तिदाई रक्अतें रह गयी थीं उनको खड़े होकर अदा किया जाता है, लेकिन अत्तहीयात के लिए अदा की गयी रक्अतों का ख़याल रखा जाता है। जैसे- जिस वक़्त आप जमाअत में शरीक हुए, इमाम साहब अस्र की नमाज़ की तीन रक्अतें पढ़ा चुके थे और चौथी रक्अत में खड़े थे, आप तक्बीरे-तहरीमा कहकर जमाअत में शरीक हो गये। इमाम साहब के साथ रुकूअ व सज्दे किये। अब जमाअत की चार रक्अतें पूरी हो चुकी थीं। इमाम ने सलाम फेरा, दाईं तरफ़ सलाम के वक़्त आप बैठे रहिए, जब इमाम बाईं तरफ़ सलाम कहे तो आप तक्बीर कहते हुए खड़े हो जाइए। आप सना, तअव्वुज़, तस्मिया और फिर सूरः फ़ातिहा और आयतें पढ़कर रुकूअ व सज्दे कीजिए। अब आप की दो रक्अतें पूरी हो गयीं, इसलिए आप बैठकर अत्तहीयात पढ़िए । अत्तहीयात के बाद तक्बीर कहते हुए खड़े हो जाइए। अब आप इस रक्अंत में सूरः फ़ातिहा के बाद आयतें भी पढ़िए, क्योंकि यह रक्अत आपकी वह दूसरी रक्अत है जो आपने इमाम के साथ नहीं पढ़ी थी। रुकूअ व सज्दे के बाद बैठिए नहीं, बल्कि खड़े होकर सिर्फ सूरः फातिहा पढ़कर रुकूअ व सज्दे कर लीजिए। आपकी भी अब चार रक्अतें पूरी हो गयीं, एक इमाम के साथ और तीन अकेले, इसलिए सज्दे के बाद अत्तहीयात, दुरूद शरीफ़ और दुआ पढ़कर सलाम फेरिए ।
मरिब की जमाअत में आपको इमाम के साथ आख़िरी रक्अत मिल सकी है तो आप इमाम के साथ रुकूअ और सज्दे करके क़ादे में सिर्फ अत्तहीयात पढ़कर ख़ामोश बैठ जाइए। जब इमाम एक सलाम के बाद दूसरा सलाम फेरे तो आप तक्बीर कहते हुए खड़े हो जाइए, और सना, तअव्वुज़ और तस्मिया और सूर: फ़ातिहा और आयतें पढ़कर रुकूअ और सज्दे करके बैठ जाइए और सिर्फ़ अत्तहीयात पढ़कर तक्बीर कहते हुए तीसरी रक्अत के लिए खड़े हो जाइए और इस रक्अत में भी सूरः फातिहा के साथ कोई सूरः पढ़िए और रुकूअ और सज्दे करके अख़िरी क़ादे में अत्तहीयात, दुरूद और दुआ पढ़कर सलाम फेर लीजिए। इस तरह बग़ैर सूर: की एक रक्अत तो इमाम के साथ हो गयी और दो रक्अतें सूरः फ़ातिहा और आयतों समेत आपने अदा कर लीं।
Kaun si चीज़ें नमाज़ तोड़ देती हैं?
नमाज़ के फ़र्ज़ी और शर्तों के ख़िलाफ़ तमाम चीज़ें नमाज़ तोड़ देती हैं, नमाज़ में ज़ोर से खाँसना, जम्हाई लेना और डकारें लेना मक्रूह है। मुनासिब और साफ कपड़े होने चाहिए। ऐसे कपड़े पहनकर नमाज़ पढ़ना मक्रूह है, जिनको पहन कर आप किसी अच्छी महफ़िल में जाना पसन्द न करें ।
नमाज़ पढ़नेवाले के सामने से kyu na गुज़रिए?
नमाज़ पढ़नेवाले के सामने से न गुज़रिए क्योंकि इससे नमाज़ पढ़नेवाले का ख़याल बँटता है जिसका गुनाह आपको होगा।