अच्छी नज़र का असर भी हक़ है। Nazr-e-bad ka Kissa हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बद्दुआ का असर नज़रे बद, बुरी नजर, बद्दुआ, श्राप का असर | Nazar utarne ka tarika- Dawat~e~Tabligh…

नज़रे-बद का असर हक़ है
- अच्छी नज़र का असर भी हक़ है
रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इसकी तस्दीक फरमाई है। कि नज़रे बद का असर हक है। एक हदीस में है कि नज़रे-बद एक इंसान को कब्र में और ऊँट को इंडिया में दाखिल कर देती है इसी लिए रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जिन चीज़ों से पनाह मांगी, और उम्मत को पनाह मांगने की तत्क्रीन फ़रमाई है उनमें 2050 भी मज़कूर है यानी में पनाह मांगता हूँ नज़रे-बद से।
– कर्तबी
Nazr-e-bad ka Kissa
सहाब-ए-किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम में अबू सहल विन हुनैफ का वाक़िआ मारूफ़ है कि उन्होंने एक मौके पर गुस्ल करने के लिए कपड़े उतारे तो उनके सफ़ेद रंग, तन्दरुस्त बदन पर आमिर बिन रबीआ की नज़र पड़ गई, और उनकी ज़बान से निकला कि मैंने तो आज तक इतना हसीन बदन किसी का नहीं देखा, यह कहना था कि फौरन सुहैन बिन हुनैफ़ को सख्त बुखार चढ़ गया, रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जब इसकी इत्तिला हुई तो आप सल्ल० ने यह इलाज तज्वीज़ किया कि आमिर विन रबीआ को हुक्म दिया कि वह वुजू करें और वुजू का पानी किसी बर्तन में जमा करें, यह पानी सुहैल बिन हुनैफ़ के बदन पर डाला जाये, ऐसा ही किया गया तो फ़ौरन सुहैल बिन हुनैफ़ का बुखार उत्तर गया और वह बिल्कुल तन्दरुस्त होकर जिस मुहिम पर रसूल-ए-करीम सल्ल० के साथ जा रहे थे उस पर रवाना हो गये।
इस वाक्रिए में आप सल्ल० ने आमिर बिन रवीआ को यह संबीह भी फ़रमाई कि कोई शख़्स अपने भाई को क्यूँ क़त्ल करता है, जब उनका बदन तुम्हें खूब नज़र आया तो तुमने बरकत की दुआ क्यों न की, नज़र का असर हो जाना हक है। इस हदीस से यह भी मालूम हुआ कि जब किसी शख्स को किसी दूसरे की जान व माल में कोई अच्छी बात ताज्जुब अंगेज़ नज़र आए तो उसको चाहिए कि उसके वास्ते यह दुआ करे कि अल्लाह तआला इसमें बरकत अता फ़रमा दे। कुछ रिवायात में है कि कहे इससे नज़रे बद का असर जाता रहता है।
Nazar utarne ka tarika
और यह भी मालूम हुआ कि किसी की नज़रे-बद किसी को लग जाये तो नज़र लगाने वाले के हाथ-पाँव और चेहरे का गुसाला उसके बदन पर डालना नज़रे-बद के असर को खत्म कर देता है। क़र्तबी ने फ़रमाया कि तमाम उलमा-ए-उम्मत अहले सुन्नत वल् जमाअत का इस पर इत्तिफ़ाक़ है कि नज़रे बद लग जाना और उससे नुक़सान पहुँच जाना हक है।
Note:- जब बुरी नज़र की तासीर है तो अच्छी नज़र की तासीर भी हो सकती है। औलिया-ए-अल्लाह ख़ासाने-ख़ुदा जब नज़र डालते हैं हिदायत आम हो जाती हैं।
-मआरिफुल कुरआन, हिस्सा 5 पेज 98
नज़रे बद दूर करने का वज़ीफ़ा
हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम ने नज़रे बद दूर करने का एक ख़ास वज़ीफ़ा हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को सिखाया और फ़रमाया कि हज़रत हसन व हज़रत हुसैन रज़ियल्लाहु अन्हुमा पर पढ़कर दम किया करो।
इब्ने असकिर में है कि जिब्रील अलैहिस्सलाम हुज़ूर सल्लल्लाहु अलहि वसल्लम के पास तशरीफ़ लाये। आप सल्ल० उस वक्त गमजदा थे। सबब पूछा तो फ़रमाया कि हसन और हुसैन को नज़र लग गई है। फ़रमाया : यह सच्चाई के क़ाबिल चीज़ है। नज़र वाक़ई लगती है।
आपने ये कलिमात पढ़कर उन्हें पनाह में क्यों नहीं दिया? हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पूछा वे कलिमात क्या हैं? फ़रमाया :
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दुआ पढ़ी। वहीं दोनों बच्चे उठ खड़े हुए और आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने खेलने-कूदने लगे। हुज़ूर सल्ल० ने फ़रमाया : लोगो ! अपनी जानों को, अपनी बीवियों को और अपनी औलाद को उसी पनाह के साथ पनाह दिया करो, उस जैसी और कोई पनाह की दुआ नहीं।
– तफ्सीर इब्ने कसीर, हिस्सा 5, पेज 416
बुरी नजर / बद्दुआ / श्राप का असर
- हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बद्दुआ का असर
यानी ऐ मेरे परवरदिगार ! इनके अमवाल की सूरत बदल कर मस्न व बेकार कर दे! हज़रत क्रतादा रहमतुल्लाहि अलैहि का बयान है कि इस दुआ का असर यह जाहिर हुआ कि कौमे-फिरऔन के तमाम जर व जवाहरात और नकद सिक्के और बागों खेतों की सब पैदावार पत्थरों की शक्ल में तब्दील हो गई। हज़रत उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रहमतुल्लाहि अलैहि के जमाने में एक वैसा पाया गया जिसमें फिरजन के जमाने की चीजें थीं उनमें अन्डे और बादाम भी देखे गये जो बिल्कुल पत्थर थे, अइम्म-ए-तफ़्सीर ने फ़रमाया कि अल्लाह तआला ने उनके तमाम फलों, तरकारियों और गुल्ले को पत्थर का बना दिया।
– आरिफुल क़ुरआन, हिस्सा 4, पेज 562