Paisa कमाने की लालच | हमारे paiso में गरीबों का भी हक है – Dawat~e~Tabligh

मालदार या माल के चौकीदारअच्छा माल और बुरा माल क्या? बेहतरीन माल वह है जो जेब में हो दिल में न हो,  बदतरीन माल वह है जो जेब में न हो दिल में हो। एक लालची का क़िस्सा। Paisa कमाने की लालच | हमारे paiso में गरीबों का भी हक है – Dawat~e~Tabligh in Hindi….

Paisa कमाने की लालच | हमारे paiso में गरीबों का भी हक है - Dawat~e~Tabligh
Paisa कमाने की लालच | हमारे paiso में गरीबों का भी हक है – Dawat~e~Tabligh

Paisa कमाने की लालच

  • दौलत की हिर्स के बारे में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नसीहत

हकीम बिन हिज़ाम रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि एक बार मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कुछ माल तलब किया। आप सल्ल० ने मुझ अता फ़रमा दिया। मैंने फिर मांगा, आप ने फिर अता फ़रमा दिया। फिर आप सल्ल० ने मुझे नसीहत फ़रमाई और इर्शाद फ़रमाया कि ऐ हकीम ! यह माल सब को भली लगने वाली और लज़ीज़ शीरीं चीज़ है तो जो शख़्स इसको बगैर हिर्स और तमअ के सैर चश्मी और नफ़्स की फ़य्याज़ी के साथ ले उसके लिए उसमें बरकत दी जाएगी और जो शख्स दिल के लालच के साथ लेगा उसके लिए उसमें बरकत नहीं होगी और उसका हाल जौउल बक्र के उस मरीज़ का सा होगा जो खाये और पेट न भरे और ऊपर वाला हाथ नीचे वाले हाथ से बेहतर है (यानी देने वाले का मक़ाम ऊँचा है और हाथ फैलाकर लेना एक घटिया बात है। लिहाज़ा जहाँ तक हो सके इससे बचना चाहिए)। हकीम इब्ने हिज़ाम कहते हैं कि (हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की यह नसीहत सुनकर मैंने अर्ज किया या रसूलुल्लाह, कसम है उस पाक जात की जिसने आपको नबी-ए-बरहक़ बनाकर भेजा है! अब आप के बाद मरते दम तक किसी से कुछ न लूंगा ।

– बुखारी व मुस्लिम

हादिया देना

फ़ायदा:- इस हदीस शरीफ के बारे में सही बुखारी ही की एक रिवायत में यह भी है कि हकीम दिन हिज़ाम ने हज़रत सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में जो अहद किया था उसको फिर ऐसा निबाहा कि हुज़ूर सल्ल० के बाद हज़रत अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु और हज़रत उमर फारूक रज़ियल्लाहु अन्हु ने अपने-अपने दौरे खिलाफत में जबकि सब ही को वज़ीफ़े और अतिये (इनामात) दिए जाते थे) उनको ( भी बुलाकर बारबार कुछ वज़ीफ़ा या अतिया देना चाहा लेकिन वह लेने पर आमादा ही नहीं हुए और फ़हुल बारी में हाफ़िज़ इब्ने हजर ने मुस्नद इस्हाक़ बिन राहविया के हवाले से नकल किया है कि शैखेन के बाद हज़रत उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु और हज़रत मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु के ज़माने ख़िलाफ़त व अमारत में भी उन्होंने कभी कोई वज़ीफ़ा या अतिया क़बूल नहीं किया, यहाँ तक कि हज़रत मुआविया रज़ियल्लाहु न्ह के दौरे अमारत में 120 साल की उम्र में 54 हिज्री में वफ़ात पाई।

-मआरल हदीस हिस्सा 2 पेज  206

मालदार या माल के चौकीदार

यह बात जेहन में बिठा लें कि कुछ लोग मालदार होते हैं और कुछ लोग माल के चौकीदार होते हैं। मालदार तो वे होते हैं जिनके पास माल हो और अल्लाह के रास्ते में खूब लगा रहे हों और माल के चौकीदार वे होते हैं जो रोज़ाना बैंक बैलेन्स चेक करते हैं। वे गिनते रहते हैं कि अब इतने हो गए अब इतने हो गए। वे बेचारे चौकीदारी कर रहे होते हैं। ख़ुद तो चले जाएंगे और उनकी औलादें अय्याशियाँ करेंगी।

हमारे paiso में गरीबों का भी हक है

  • अल्लाह ने आपको बहुत माल दिया है उसमें दूसरों का भी हक़ है

मेरे दोस्तो! बाज़ औकात अल्लाह तआला ने इंसान को रिज़्क की फ़रावानी इसलिए भी ज्यादा दी होती है कि वह रिज़्क उसका अपना नहीं होता बल्कि वह तलवा, गुरबा और अल्लाह के दूसरे मुस्तहक़ बन्दों का होता है। अल्लाह तआला ने उसको इसलिए दिया होता है ताकि वह उन तक यह पहुंचा दे। मगर जब वह अल्लाह के रास्ते पर खर्च नहीं करता और डाक नहीं पहुंचाता तो अल्लाह तआला उस डाकिये को माज़ूल कर देते हैं और उसकी जगह किसी और को ज़रिया बना देते हैं।

इसलिए जब अल्लाह तआला ज़रूरत से ज़्यादा रिज़्क़ दे तो समझिए कि उसमें सिर्फ़ मेरा ही हक़ नहीं बल्कि ‘वल्लज़ीन फ़ी अमवालिहिम हक्कुम मालूम० लिस्सा-इ-लि वल महरूम०’ (अल-मआरिज : 24-25) के मिस्दाक़ उसमें अल्लाह के बन्दों का भी हक़ है। यह भी अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की नेमतों का शुक्र है। रब्बे करीम हमें अपनी नेमतों की क़द्रदानी की तौफ़ीक़ अता फ़रमा दें और हमें महरूमियों से महफ़ूज़ फ़रमा दें। कुफ़्फ़ार के सामने ज़लील व रुसवा होने से महफ़ूज़ फ़रमा लें और जिस तरह परवरदिगार ने हमारे सर को गैर के सामने झुकने से बचा लिया वह परवरदिगार हमारे हाथों को भी गैर के सामने फैलने से महफूज़ फ़रमा लें (आमीन सुम-म आमीन)

अच्छा माल और बुरा माल क्या?

बेहतरीन माल वह है जो जेब में हो दिल में न हो, 

बदतरीन माल वह है जो जेब में न हो दिल में हो

भाल की मिसाल पानी की सी है कश्ती के बचने के लिए पानी जरूरी है। मगर कश्ती तब चलती है जब पानी कश्ती के नीचे होता है और अगर नीचे की बजाए पानी कश्ती के अंदर आ जाए तो यही पानी उसके डूबने का सबब बन जाएगा। यहां से मालूम हुआ कि ऐ मोमिन ! तेरा माल पानी की तरह है और तू कश्ती की मानिन्द है, अगर यह माल तेरे नीचे रहा तो तेरे तैरने का ज़रिया बनेगा और अगर यहां से निकल कर तेरे दिल में आ गया तो फिर यह तेरे डूबने का सबब बन जाएगा इसलिए साबित हुआ कि अगर माल जेब में हो तो वह बेहतरीन ख़ादिम है और अगर दिल में हो तो बदतरीन आक़ा है। (मल्फ़ज़ात वालिद साहब )

एक लालची का क़िस्सा

मुफ़्ती तक़ी उसमानी दामत बरकातुहुम ने अपनी किताब ‘तराशे’ में ‘अशअब तामा’ नामी शख्स के बारे में लिखा है कि वह हज़रत अब्दुलाह विन जुबैर रजि० का गुलाम था उसके अंदर तमा (लालच) बहुत ज़्यादा था, वह अपने जमाने का नामी गिरामी लालची था यहां तक कि उसकी यह हालत थी कि उसके सामने अगर कोई आदमी अपना जिस्म खुजाता तो वह सोच में पड़ जाता था कि शायद यह कहीं से कुछ दीनार निकाल कर मुझे हदिया कर देगा। वह खुद कहता था कि जब मैं दो बन्दों को सरगोशी करते देखता तो मैं हमेशा यह सोचा करता था कि इनमें से शायद कोई यह वसीयत कर रहा हो कि मेरे मरने के बाद मेरी विरासत अशअब को दे देना ।

जब वह बाज़ार में से गुज़रता और मिठाई बनानेवालों को देखता तो उनसे कहता कि बड़े-बड़े लड्डू-पेड़े बनाओ। वे कहते कि हम बड़े लड्डू क्यों बनाएं? यह कहता कि क्या पता कोई ख़रीद कर मुझे हदिये में ही दे दे। एक मर्तबा लड़कों ने उसको घेर लिया। यहां तक कि उसके लिए जान

छुड़ाना मुश्किल हो गया। बिल आख़िर उसको एक तर्कीब सूझी। वह लड़कों से कहने लगा, क्या तुम्हें पता नहीं कि सालिम बिन अब्दुल्लाह कुछ बांट रहे हैं, तुम भी उधर जाओ शायद कुछ मिल जाए। लड़के सालिम बिन अब्दुल्लाह की तरफ़ भागे तो पीछे से उसने भी भागना शुरू कर दिया। जब सालिम बिन अब्दुल्लाह के पास पहुंचे तो वह तो कुछ भी नहीं बांट रहे थे। लड़कों ने अशअब से कहा कि आपने तो हमें ऐसे ही ग़लत बात बता दी। वह कहने लगा कि मैंने तो जान छुड़ाने की कोशिश की थी। लड़कों ने कहा कि फिर तुम ख़ुद हमारे पीछे-पीछे क्यों आ गए? कहने लगा कि मुझे ख़्याल आया कि शायद वह कुछ बांट ही रहे  हों।

  • Chair में बैठ कर बयान करने की दलील Dawat~e~Tabligh

    Chair में बैठ कर बयान करने की दलील Dawat~e~Tabligh

  • नाखून कब काटना चाहिए? Dawat~e~Tabligh

    नाखून कब काटना चाहिए? Dawat~e~Tabligh

  • Kiska जूठा खा सकते है? - Dawat~e~Tabligh

    Kiska जूठा खा सकते है? | खाने से पहले और बाद में हाथ धोने Ke फायदा – Dawat~e~Tabligh

Leave a Comment

सिल-ए-रहमी – Rista निभाने से क्या फ़ायदा होता है ? Kin लोगो se kabar में सवाल नहीं होगा ? Part-1 Kin लोगो se kabar में सवाल नहीं होगा ? Part-2 जलने वालों से कैसे बचे ? Dil naram karne ka wazifa