मर्दों और औरतों के गुस्से और लड़ाई का फ़र्क। जिस तरह बीवियों के लिए कुछ बातें अहम हैं इसी तरह शौहरों को भी चन्द बातों का ख्याल रखना चाहिए। pati को patni ke किन baato ka khyal रखना चाहिए |Mardo और औरतों के gusse ma fark- Dawat~e~Tabligh in Hindi…

Mardo और औरतों के gusse ma fark
- मर्दों और औरतों के गुस्से और लड़ाई का फ़र्क
मर्दों के मिज़ाज़ में हरारत होती है इस वास्ते उनकी नाराज़गी और गुस्से का असर मारने, पीटने, चिल्लाने वगैरह की सूरत में ज़ाहिर हो जाता है और औरतों की फ़ितरत में हया व बुरूदत रखी गई है इस वास्ते इस नाराज़गी का असर ज़ाहिर नहीं होता वर्ना हक़ीक़त में इस नाराज़गी में औरतें मर्दों से कुछ कम नहीं बल्कि ज़्यादा हैं। पस उनको ऐसे मौक़ों पर भी गुस्सा आ जाता है जहाँ मर्दों को नहीं आता क्योंकि उनकी अक़ल में नुक्सान है, तो उनके गुस्से के मौके भी ज़्यादा हैं, इसके अलावा चीखने चिल्लाने की निस्बत मीठा गुस्सा देर पा होता है और चीखने-चिल्लाने वालों का गुस्सा उबाल की तरह से उठकर दब जाता है और मीठा गुस्सा दिल के अन्दर जमा रहता है। उसको कीना कहते हैं, कीना का मन्शा गुस्सा है। सो एक ऐब तो वह गुस्सा था और दूसरा ऐब यह कीना है तो मीठे गुस्से में दो ऐब हैं और कीने में एक ऐब और है कि जब गुस्सा निकला नहीं तो उसका खुमार दिल में भरा रहता है और बात बहाना और रंजीदगियाँ पैदा होती चली जाती हैं, तो कीना सिर्फ़ एक गुनाह नहीं है बल्कि बहुत से गुनाहों की जड़ है और कीना मीठे गुस्से में होता है और मीठा गुस्सा औरतों में ज़्यादा होता है, तो औरतों का गुस्सा हज़ारों गुनाहों का सबब है, मर्दों का गुस्सा ऐसा नहीं है। मर्दों का गुस्सा जोशीला और औरतों का गुस्सा मीठा है।
-गुवाइलुल ग़ज़ब, पेज 22, तोहफ़ा जौजैन, पेज 71
औरतें तीन क़िस्म की होती हैं
हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया कि औरतें तीन तरह की होती हैं :
1. एक औरत तो वह है जो पाकदामन, मुसलमान, नर्म तबीयत, मोहब्बत करने वाली, ज़्यादा बच्चे देने वाली हो और ज़माने के फ़ैशन के ख़िलाफ़ अपने घर वालों की मदद करती हो ( सादा रहती हो ) और घर वालों को छोड़कर ज़माने के फ़ैशन पर न चलती हो लेकिन तुम्हें ऐसी औरतें बहुत कम मिलेंगी।
2. दूसरी वह औरत है जो ख़ाविन्द से बहुत मुतालिबा करती हो और बच्चे जन्ने के अलावा उसका कोई और काम नहीं
3. तीसरी वह औरत है जो ख़ाविन्द के गले का तौक़ हो और जूँ की तरह चिपकी हुई हो (यानी बद्-अख़लाक़ भी हो और उसका महर भी ज़्यादा हो जिसकी वजह से उसका ख़ाविन्द उसे छोड़ न सकता हो)। ऐसी औरत को अल्लाह तआला जिसकी गर्दन में चाहते हैं डाल देते हैं और जब चाहते हैं उसकी गर्दन से उतार लेते हैं।
-हयातुस्सहाबा हिस्सा 3, पेज 562
औरतें तीन क़िस्म की होती हैं
अच्छी बीवी
- सालेह बीवी
एक हदीस में रसूल-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि जो औरत अपने शौहर की ताबेदार व मुतीअ हो उसके लिए परिंदे हवा में इस्तिगुफ़ार करते हैं और मछलियाँ दरिया में इस्तिगुफ़ार करती हैं। और फ़रिश्ते आसमानों में इस्तिगुफ़ार करते हैं और दरिंदे जंगलों में इस्तिगफ़र करते हैं।
– मआरिफुल क़ुरआन, हिस्सा 2, पेज 399
बीवी के साथ अच्छा बर्ताव करना
- अपनी बीवी के साथ अच्छा सुलूक करना
तर्जमाः हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया, जिस शख्स ने अपनी बीवी का हाथ पकड़ा मोहब्बत के तौर पर, तो अल्लाह तआला उसके लिए पाँच नेकियाँ लिखते हैं, अगर उससे मुआनिना किया तो दस नेकियाँ, अगर बोसा लिया तो बीस नेकियाँ फिर अगर कुत करे तो दुनिया व माफीहा से बेहतर है तो जब फारिग होकर गुसल करे तो उस वक्त चंदन की जिस जगह से पानी बहे उससे उसके गुनाह माफ़ होते हैं और उसका दर्जा बुलंद होता है और उसको उस गुस्त पर दुनिया व मा-फ़ीहा से ज़्यादा अता किया जाता है पैर अल्लाह तआला उसकी वजह से फ़रिश्तों पर फ़ख़ करते हैं और कहते हैं कि देखो मेरे इस बंदे को, ठंडी रात में उठा जनाबत से पाक होने के लिए, और यकीन करता है कि मैं उसकी रव हूँ। ऐ फ़रिश्तो! तुम गवाह रहो, मैंने इसको माफ़ कर दिया।”
बीवि का इंसाफ़
- दो बीवियों में इंसाफ़ का अजीब क़िस्सा
हज़रत यहया बिन सईद रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं कि हज़रत मआज़ बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु की दो बीवियाँ थी, उनमें से जिसकी बारी का दिन होता उस दिन दूसरी के घर से वुज़ू न करते फिर दोनों बीवियाँ हज़रत मआज रज़ियल्लाहु अन्हु के साथ मुल्क शाम गई और वहाँ दोनों इक्ट्ठी बीमार हुई और अल्लाह की शान दोनों का एक ही दिन में इंतिक़ाल हुआ, लोग उस दिन बहुत मश्गूल थे इसलिए दोनों को एक ही कब्र में दफ़न किया गया। हज़रत मआज रज़ियल्लाहु अन्हु ने दोनों में कुआ डाला कि किसको क़ब्र में पहले रखा जाये। हज़रत यहया रहमतुल्लाहि अलैहि कहते हैं कि हज़रत मआज बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु की दो बीवियाँ थीं जब एक के पास होते तो दूसरी के हाँ से पानी भी न पीते
-हयातुस्सहावा, हिस्सा 2, पे ज 769
pati को patni ke किन baato ka khyal रखना चाहिए
- जिस तरह बीवियों के लिए कुछ बातें अहम हैं इसी तरह शौहरों को भी चन्द बातों का ख्याल रखना चाहिए:
1. मां, बहन और बीवी का एहतिराम करें, किसी एक फ़रीक़ की बात सुनकर दूसरे को बेइज़्ज़त कभी न करें, बल्कि पूरी बात जान कर इंसाफ़ करें और हर हाल में एहतियात का दामन थामे रहें।
2. बीवी की खिदमात को सराहें, उसके कामों की तारीफ़ करें, वक़्त नुक्स न निकालें, बल्कि गलती हो जाने पर उसे इत्मीनान से समझाएं कि प्यार से तो संगदिल भी राम किया जा सकता है।
3. अपने लहजे को शीरीं बनाएं, आपका शीरी लहजा बीबी के दिल में आपके लिए मुहब्बत पैदा करने का जरिया होता है।
4. बीवी पर बिला वजह तंक़ीद न करें। हर मामले में ख़ुद को उससे बेहतर तसव्वुर न करें। हो सकता है कि कुछ बातों की समझ उसमें आपसे बेहतर हो। इससे हर बात शेयर करें, क्योंकि बीवी आपकी शरीके हयात ही नहीं, अच्छी दोस्त भी होती है आपके हर सुख-दुख की साथी होती है। इसलिए अपनी बीवी की कद्र कीजिए और उसे हमेशा इजत की निगाह से देखिए एक-दूसरे से बहुत ज्यादा तोआत वाबस्ता कर ली जाएं तो उम्र गुजर जाती है, तवक्कोत पूरी नहीं होतीं। इसलिए ज़्यादा नहीं चन्द एक छोटी-छोटी बातों ही का ख्याल रख लिया जाए तो छोटा सा घर हंसती-मुस्कुराती जीती-जागती जन्नत का नमूना बन सकता है।
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