Riste तोडने के nuksan। मिल कर खाना खाओ। Ristedaro के साथ अच्छा बर्तव करना। पड़ोसियों के साथ अच्छा बर्ताव करना । अपना काम खुद करे। Prophet Mohammad के अख़लाक़ / Behaviour | Rista निभाने से क्या फ़ायदा होता है ? Dawat~e~Tabligh in Hindi..

Prophet Mohammad के अख़लाक़ / Behaviour
- हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अख़लाक़
कुबा तशरीफ़ ले जाने के लिए हिमार (गधे) की नंगी कमर पर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सवार हुए और हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु हुजूर सल्ल० के साथ थे तो इर्शाद फ़रमाया कि अच्छा जाओ तुम भी सवार हो जाओ। हज़रत अबू हुरैरा रज़ि० में काफ़ी वज़न था, चढ़ने के लिए उछले मगर नहीं चढ़ सके तो हुजूर सल्ल० से लिपट गये जिससे दोनों गिरे। फिर हुज़ूर सल्ल० सवार हुए और फ़रमाया कि अबू हुरैरा तुम्हें भी सवार कर लूँ, अर्ज़ किया जैसे राये आली हो। फ़रमाया कि अच्छा चड़ो, यह नहीं चढ़ सके बल्कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को साथ लेकर गिरे। आप सल्ल० ने फिर सवार करने के लिए पूछा तो हुजूर ने अर्ज किया कि उस जात पाक की क़सम जिसने आपको हक के साथ मबूस फ़रमाया है कि तीसरी दफ़ा में आपको नहीं गिराऊंगा, लिहाजा अब सवार नहीं होता।
अपना काम खुद करे
हुजूरे अदस सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम किसी सफ़र में थे कि एक बकरी पकाने की तज्वीज़ हुई एक शख्स ने कहा कि उसको जिव्ह करना मेरा ज़िम्मे है, दूसरा बोला कि उसकी खाल खींचना मेरे ज़िम्मे, तीसरे ने कहा उसका पकाना मेरे जिम्मे हैं। हुज़ूर सल्ल० ने फ़रमाया कि लकड़ियाँ इकट्ठी करना मेरे ज़िम्मे है। आप सल्ल० के साथियों ने अर्ज़ किया या रसूलुल्लाह ! यह हम ही आप की तरफ़ से कर लेंगे। आप सल्ल० ने फ़रमाया कि हाँ मुझे मालूम है कि तुम मेरी तरफ़ से कर लोगे लेकिन मुझे यह बात नागवार है कि मैं अपने साथियों से इम्तियाज़ी शान में रहूँ और अल्लाह पाक को (भी) नापसंद है अपने बंदे की यह बात ( कि वह अपने रफ़ीक़ों से इमतियाज़ी शान में रहे। ।
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मिल कर खाना खाओ
हुजूरे-अकरम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम किसी सफर में नमाज के लिए उतरे और मुसल्ले की तरफ़ बढ़े फिर लौटे। अर्ज़ किया गया कि कहाँ का इरादा फ़रमा लिया है। इर्शाद फ़रमाया कि अपनी ऊँटनी को बांधता हूँ। अर्ज़ किया कि इतने से काम के लिए हुज़ूर को तकलीफ़ करने की क्या जरूरत है, हम मुद्दाम ही इसको बांध देंगे। इर्शाद फ़रमाया कि तुममें से कोई भी शख्स दूसरे लोगों से मदद न तलब करे अगरचे मिस्वाक तोड़ने में हो।
एक रोज़ आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम के साथ बैठे हुए खजूरें खा रहे थे कि हज़रत सुहैब रजि० आशूब-ए-चश्म की वजह से एक आँख को ढाँके हुए आ गये, सलाम करके खजूरों की तरफ झुके तो हुजूर सल्ल० ने इर्शाद फ़रमाया कि आँख तो दुख रही है और शीरीनी खाते हो? अर्ज किया या रसूलुल्लाह ! अपनी अच्छी आँख की तरफ़ से खाता हूँ इसपर हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को हंसी आ गई।
एक रोज़ रतब नोश फ़रमा रहे थे कि हज़रत अली रज़ियल्लाहु अन्हु आ गये। उनकी आँख दुख रही थी, वह भी खाने के करीब हो गये, इर्शाद फ़रमाया कि आशुव-ए-चश्म की हालत में भी शीरीनी खाओगे? वह पीछे हट कर एक तरफ़ जा बैठे। हुज़ूर सल्ल० ने उनकी तरफ़ देखा तो वह भी हुज़ूर सल्ल० की तरफ़ देख रहे थे। आप सल्ल० ने उनकी तरफ़ खजूर फेंक दी और फिर एक, फिर एक और इसी तरह सात खजूरें फेंकी, फरमाया कि तुमको काफ़ी हैं, जो खजूर तान अदद के मुवाफ्रिक खाई जाये वह मुज़िर (नुक्सान देने वाली) नहीं।
-माहनामा अल्-महमूद, पेज 20 मई-जून 2001 ई०
Rista निभाने से क्या फ़ायदा होता है ?
- सिल-ए-रहमी करने के फायदे
हमारे हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है कि :
1. सिल-ए-रहमी से मोहब्बत बढ़ती हैं।
2. माल बढ़ता है।
3. उम्र बढ़ती है।
4. आदमी बुरी मौत नहीं मरता ।
5. रिज़्क़ में कशाइश होती है।
6. उसकी मुसीबतें और आफ़तें टलती जाती हैं।
7. मुल्क की आबादी और सर-सब्ज़ी बढ़ती है।
8. गुनाह माफ़ किये जाते हैं।
9. नेकियों कबूल की जाती हैं।
10. जन्नत में जाने का इस्तिहाक हासिल होता हैं
11. सिल-ए-रहमी करने वाले से ख़ुदा अपना रिश्ता जोड़ता है।
12. जिस कोम में सिल-ए-रहमी करने वाले होते हैं उस कोम पर ख़ुदा की रहमत नाज़िल होती है।
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इर्शाद फरमाया कि तुम अपने नस्वों को सीखो ताकि अपने रिश्तेदारों को पहचानकर उनसे सिल-ए-रहमी कर सको। फ़रमाया कि सिल-ए-रहमी करने से मोहब्बत बढ़ती है, माल बढ़ता है और मौत का वक्त पीछे हट जाता है।
– तिर्मिज़ी
जो शख्स यह चाहता है कि उसके रिज़्क में कशाइश हो और उसकी उम्र बढ़ जाये तो उसको चाहिए कि वह अपने रिश्तेदारों से सिल-ए-रहमी करे।
– बुखारी व मुस्लिम
जो चाहता हो कि उसकी उम्र बड़े और उसके रिज़्क़ में कशाइश हो
और वह बुरी मौत न मरे तो उसको लाज़िम है कि वह खुदा से डरता रहे
और अपने रिश्ते-नातेवालों से सुलूक करता रहे। -अत्तग्रीव-वत्तहींब जो शख्स सद्का देता रहता है और अपने रिश्ते-नातेवालों से सुलूक करता रहता है उसकी उम्र को ख़ुदा दराज़ करता है और उसको बुरी तरह मरने से बचाता है और उसकी मुसीबतों और आफ़तों को दूर करता है।
– अत्तर्गीब-वत्तहीब
रहम ख़ुदा की रहमत की एक शाख़ है इस लिए ख़ुदा ने फ़रमा दिया है कि जो तुझ से रिश्ता जोड़ लेगा उससे मैं भी रिश्ता मिलाऊंगा और जो तेरे रिश्ते को तोड़ देगा उसके रिश्ते को में तोड़ दूंगा।
– बुखारी
फ़रमाया कि अल्लाह की रहमत उस क़ौम पर नाज़िल नहीं होती
जिसमें ऐसा शख्स मौजूद हो जो अपने रिश्ते नातों को तोड़ता हो ।
बगावत और कतअ-रहमी से बढ़कर कोई गुनाह उसका मुस्तजय नहीं कि उसकी सज़ा दुनिया ही में फ़ौरन दी जाये और आखिरत में भी उस पर अज़ाब हो ।
– तिर्मिज़ी व अबू दाऊद
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Riste तोडने के nuksan
फरमाया कि जन्नत में यह शख्स घुसने न पायेगा जो अपने रिश्ते-नातों को तोड़ता है।
-बुखारी व मुस्लिम
हमारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कहीं तशरीफ़ ले जा रहे थे। रास्ते में एक ऐराबी ने आकर आप सल्ल० की ऊँटनी की नकेल पकड़ी और कहा कि या रसूलुल्लाह मुझको ऐसी बात बताइये जिससे जन्नत मिले और दोज़ख़ से नजात हो, आपने फ़रमाया कि तू एक ख़ुदा की इबादत कर और उसके साथ शरीक मत कर, नमाज़ पढ़, ज़कात दे, और अपने रिश्ते-नाते वालों से अच्छा सुलुक करता रह, जब वह चला गया तो आपने फ़रमाया कि यह अगर मेरे हुक्म की तामील करेगा तो इसको जन्नत मिलेगी।
-बुखारी व मुस्लिम
Ristedaro के साथ अच्छा बर्तव करना
हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है कि अल्लाह तआला किसी कोम से मुल्क को आवाद फ़रमाता है और उसको दौलतमंद करता है और कभी दुश्मनी की नज़र से उनको नहीं देखता, सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया या रसूलुल्लाह ! उस क़ौम पर इतनी मेहरबानी क्यों होती है? फ़रमाया कि रिश्ते-नाते वालों के साथ अच्छा सुलूक करने से उनको मर्तबा मिलता है।
एक शख्स ने आकर अर्ज किया, या रसूलुल्लाह मुझसे एक बड़ा
गुनाह हो गया है, मेरी तौबा क्यों कर क़बूल हो सक ती है। आपने पूछा कि तेरी माँ जिन्दा है? उसने कहा नहीं, फरमाया कि ख़ाला, • उसने कहा जी हाँ! फ़रमाया कि तू उसके साथ हुस्ने सलूक कर ।
-तर्गीय-वतहींब
एक बार हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने भीड़ में यह फ़रमाया कि जो शख़्स रिश्तेदारी का पांस व लिहाज़ न करता हो, वह हमारे पास न बैठे। यह सुनकर एक शख्स उस भीड़ से उठा और अपनी खाला के घर गया जिससे कुछ बिगाड़ था, वहाँ जाकर उसने अपनी खाला से मअज़िरत की और क़सूर माफ़ कराया। फिर आकर दरबारे-नुबूब्बत में शरीक हो गया। जब वह वापस आ गया तो सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि उस क़ौम पर ख़ुदा की रहमत नहीं नाज़िल होती जिसमें ऐसा शख्स मौजूद हो जो अपने रिश्तेदारो से बिगाड़ रखता हो ।
-तर्गीय तहब
फ़रमाया कि हर जुमे की रात में तमाम आदमियों के आमाल और इबादतें ख़ुदा के दरबार में पेश होती हैं, जो शख़्स अपने रिश्तेदारों से बदू-सुलूकी करता है उसका कोई अमल कबूल नहीं होता
पड़ोसियों के साथ अच्छा बर्ताव करना
फ़रमाया कि जो शख्स नर्म मिज़ाज होता है उसको दुनिया व आखिरत की खूबियाँ मिलती हैं और अपने रिश्ते-नाते वालों से अच्छा सुलूक करने और पड़ोसियों से मेल-जोल रखने और आम तौर पर लोगों से खुश-ख़ल्की बरतने से मुल्क सर सब्ज और आबाद होते हैं और ऐसा करने वालों की उम्र बढ़ती हैं।
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