Rizq (Paiso, Ghar) में बरकत | Surah Waquia कब पढ़े – Dawat~e~Tabligh

Rizq की कामी क्यों होती है ? Allah की दी हुई चीजो का कदर करो। नेमत की मौजूदगी में नेमत की कद्र करना सीखिए। दीनार को दीनार क्यों कहते हैं (वजह तस्मिया)। रिज़्क़ में बरकत | Surah Waquia कब पढ़े – Dawat~e~Tabligh in Hindi…

Rizq (Paiso, Ghar) में बरकत | Surah Waquia कब पढ़े - Dawat~e~Tabligh
Rizq (Paiso, Ghar) में बरकत | Surah Waquia कब पढ़े – Dawat~e~Tabligh

Rizq की कामी क्यों होती है?

  • बन्दों से अल्लाह की एक शिकायत

अता इब्ने अबी रिवाह रह० अल्लाह के एक बुज़ुर्ग सालेह बन्दे गुज़रे हैं। वह फ़रमाया करते थे कि “एक मर्तबा अल्लाह तआला ने मेरे दिल में यह बात इल्का फ़रमाई कि ऐ अता ! उन लोगों से कह दो कि अगर उनको रिज़्क की थोड़ी-सी तंगी पहुंचे तो यह फ़ौरन महफ़िल में बैठकर मेरे शिकवे करना शुरू कर देते हैं जबकि उनके नाम-ए-आमाल गुनाहों से भरे हुए मेरे पास आते हैं, मगर मैं फ़रिश्तों की महफ़िल में उनकी शिकायतें बयान नहीं करता।

Allah की दी हुई चीजो का कदर करो

  • नेमत की मौजूदगी में नेमत की कद्र करना सीखिए

बुखारी व मुस्लिम शरीफ में यह हदीस है कि बनी इसराईल के तीन आदमी थे उनमें एक आवर्स का मरीज़ था। उसके पास एक आदमी ने आकर कहा कि भाई क्या आपको कोई परेशानी है? उसने कहा, मैं कौन-सी परेशानी आपको बताउ एक तो मैं बर्स का मरीज हूं, जिसकी वजह से लोग मेरी शक्ल देखना भी पसन्द नहीं करते और दूसरा Rishq की बड़ी तंगी है। उस आदमी ने कहा, अच्छा अल्लाह तआला आपकी बीमारी भी दूर कर दे और आपको Rishq में बरकत भी अता फ़रमा दे। नतीजा यह निकला कि अल्लाह तआला ने उसकी बीमारी दूर कर दी और उसे एक ऊंटनी भी अता फ़रमाई। उस ऊंटनी की नस्ल इतनी बढ़ी कि वह हजारों ऊंटों और ऊंटनियों के रेवड़ का मालिक बन गया, जिसकी वजह से वह बड़ा अमीर आदमी बन गया और रिहाइश के लिए महलात बना लिए ।

दूसरा आदमी गंजा था, वह आदमी उस गंजे के पास आया और पूछा कि क्या तुम्हारी कोई परेशानी है? उसने कहा, जनाद मेरे सर पर तो बाल ही नहीं हैं, जिसके पास बैठूं वही मज़ाक़ करता है। जो कारोबार करता हूं ठीक- नहीं चलता। उसने कहा अच्छा, तुझे सर पर खूबसूरत बाल भी अता फरमाए और तुझे रिज़्क भी दे दे। चुनांचे अल्लाह तआला ने उसे एक गाय अता की, उस गाय की नस्ल इतनी बढ़ी कि वह हजारों गायों के रेवड़ का मालिक बन गया। वह भी आलीशान महल में बड़े ठाठ की जिंदगी गुजारने लग गया।

तीसरा आदमी अंधा था। वह आदमी उस अंधे के पास गया और उससे पूछा, भाई आपको कोई परेशानी तो नहीं? उसने कहा, जी मैं तो दर-बदर की ठोकरें खाता हूँ, लोगों के घरों से जाकर मांगता हूँ, हाथ फैलाता हूँ। मेरी भी कोई ज़िंदगी है, टुकड़े मांग-मांगकर खाता फिरता हूँ मैं न अपनी मां को देख सकता हूं और न बाप को इसके अलावा Risa की तंगी भी है उस आदमी ने उसकी बीनाई के लिए और Rishq की फ़राख़ी के लिए दुआ कर दी।

अल्लाह तआला ने उसे बीनाई भी दे दी और उसको एक बकरी दी। उस बकरी का रेवड़ इतना बढ़ा कि वह हज़ारों बकरियों का मालिक बन गया। इस तरह वह भी आलीशान महल में इज्जत की जिंदगी गुजारने लग गया। कई सालों के बाद वे तीनों अपने वक़्त के सेठ कहलाने लगे ।

काफी अर्सा गुजरने के बाद वही आदमी पहले आदमी के पास आया और उसने उससे कहा, मैं एक मुहताज हूँ, अल्लाह के नाम पर मांगने के लिए आया हूँ, उसी अल्लाह ने आपको सब कुछ दिया, आपके पास तो कुछ भी नहीं था, आज इतना कुछ आपके पास है, आप उसमें से उसी अल्लाह के नाम पर मुझे भी कुछ दे दें। जब उसने सुना कि तुम्हारे पास कुछ भी नहीं था तो उसका पारा चढ़ गया और कहने लगा, ज़लील कहीं का! ख़बरदार ! आइंदा ऐसी बात न करना, मैं अमीर, मेरा बाप अमीर और मेरा परदादा अमीर था। हम तो जद्दी पुश्ती अमीर हैं तुम कौन हो बात करने वाले कि तुम्हारे पास कुछ भी नहीं था। चलो जाओ यहां से वरना मैं जूते लगवाऊंगा। चुनांचे उसने कहा, अच्छा मिया! नाराज़ न होना, तुम जैसे थे अल्लाह तुम्हें वैसा ही कर दे। जब यह कहकर चला गया तो उसके जानवरों में एक बीमारी पड़ गई और उसके सब ऊंट वगैरह मर गए और बर्स की बीमारी भी दोबारा लग गई, गोया वह जिस पोज़ीशन में था उसी पोज़ीशन में दोबारा लौट आया।

उसके बाद वह शख्स दूसरे आदमी के पास गया और उससे कहा कि मैं मोहताज हूँ, मैं उसी अल्लाह के नाम पर मांगने आया हूँ, जिसने आपको सब कुछ दिया है, आपके पास तो कुछ भी नहीं था, आज इतना कुछ है। जब उसने यह बात की तो वह गुस्से में आ गया और कहने लगा, “तुम तो मुफ़्तखोर हो, हमने कमाकर इतना कुछ बनाया है। मैंने फ़लां सौदा किया तो इतनी बचत हुई और फ़लां सौदा किया तो इतने कमाए। लोग मुझे बड़ा विजनिस माइंडेड कहते हैं। मेरी तो यह खून-पसीने की कमाई है, ऐसे ही दरख्तों से तोड़कर नहीं लाए और न यह चोरी का माल है। अब चला जा यहां से वरना दो थप्पड़ लगाऊंगा।” जब उस अमीर आदमी ने खूब डांट-डपट की तो उसने कहा, भाई ! नाराज़ न होना, तुम जैसे पहले थे अल्लाह तुम्हें दोबारा वैसा ही कर दे। चुनांचे उसके सर के बाल भी गायब हो गए और अल्लाह रब्बुल इजत ने उसकी गायों में एक ऐसी बीमारी पैदा कर दी जिससे सब गाएँ मर गई, इस तरह वह जैसा पहले था वैसा ही बन गया।

उसके बाद वह शख्स तीसरे आदमी के पास गया और उससे कहा, भाई मैं अल्लाह के नाम पर मांगने आया हूँ, मुहताज हूँ, पास कुछ भी नहीं था, अल्लाह ने आपको सब कुछ दिया, अब उसी अल्लाह के नाम पर मुझे भी दे दो। जब उसने यह बात सुनी तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। वह कहने लगा, भाई! तुमने बिल्कुल सच कहा है, में तो अंधा था। लोगों के लिए सिर्फ रात का अंधेरा होता है, मेरे लिए तो दिन में भी अंधेरा हुआ करता था, मैं तो दर-दर की ठोकरें खाता था, लोगों से मांग-मांग कर ज़िंदगी गुज़ारता था। मेरी भी कोई हालत थी। कोई ख़ुदा का बन्दा आया, उसने मुझे दुआ दी, ने मुझे बीनाई दे दी, इतना रिज़्क़ भी दे दिया। आज आप उस अल्लाह के नाम पर मांगने के लिए आए हैं तो मिया इन दो पहाड़ों के दर्मियान हजारों बकरियां फिर रही हैं, जितनी चाहो तुम अल्लाह के नाम पर ले जाओ। जब उस अमीर आदमी ने यह बात की तो मुख़ातिब कहने लगा, मुबारक हो, मैं तो अल्लाह तआला का फ़रिश्ता हूँ।

अल्लाह तआला ने मुझे तीन बन्दों की तरफ़ आज़माइश बनाकर भेजा था, दो तो अपनी बुनियाद को भूल गए हैं। मगर तुमने अपनी बुनियाद को याद रखा है। अल्लाह तआला तुम्हारे माल में और ज़्यादा बरकत अता फ़रमाए । चुनांचे कहते हैं कि वह आदमी बनी इसराईल का सबसे बड़ा अमीर कबीर आदमी था। साबित हुआ कि बन्दा अगर अपनी औक़ात और बुनियाद को याद रखे तो अल्लाह तआला बरकत दे देते हैं। अल्फ़ाज़ बन्दे के हैं, हदीस का मज़्मून बुख़ारी व मुस्लिम में है।

(बुखारी व मुस्लिम)

Surah Waquia कब पढ़े

  • रात के वक्रत घर में सूरह वाकिया पढ़ लीजिए फ़ाक़ा नहीं आएगा

हज़रत अबू ज़बीया रह० कहते हैं कि हज़रत अब्दुल्लाह रजि० मर्जुल में मुब्तला हुए तो हज़रत उसमान बिन अफ़्फ़ान रजि० उनकी अयादत वफ़ात के लिए तशरीफ़ लाए और फरमाया आपको क्या शिकायत है? हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रजि० ने कहा अपने गुनाहों की शिकायत है। हज़रत उसमान रजि० ने फ़रमाया आप क्या चाहते हैं? हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ि० ने इरशाद फ़रमाया कि मैं अपने रब की रहमत चाहता हूं। हज़रत उसमान रज़ि० ने फ़रमाया कि क्या मैं आपके लिए तबीब को न बुला लाऊं? हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रजि० ने कहा कि तबीब ही ने (यानी अल्लाह ही ने) तो मुझे बीमार किया है। हज़रत उसमान रज़ि० ने कहा : क्या मैं आपके लिए बैतुल माल से अतिया न मुक़र्रर कर दूं? हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रजि० ने कहा मुझे उसकी ज़रूरत नहीं हज़रत उसमान रज़ि० ने फ़रमाया वह अतिया आपके बाद आपकी बेटियों को मिल जाएगा। हजरत अब्दुल्लाह रज़ि० ने कहा : क्या आपको मेरी बेटियों पर फ़ाके का डर है? मैंने अपनी बेटियों को कह रखा है कि वह हर रात में सूरह वाक़िआ पढ़ लिया करें। मैंने हुजूर सल्ल० को यह फ़रमाते हुए सुना है कि जो आदमी हर रात सूरह वाक़िआ पढ़ेगा उस पर कभी फ़ाक़ा नहीं आएगा, (लिहाज़ा अतिये की ज़रूरत नहीं)।

( हयातुस्सहावा, जिल्द 2, पेज 772)

दीनार को दीनार क्यों कहते हैं (वजह तस्मिया)

इब्ने अबी हातिम में हज़रत मालिक विन दीनार रह० का क़ौल मरवी है। कि दीनार को इसलिए दीनार कहते हैं कि वह दीन यानी ईमान भी है और नार यानी आग भी है। मतलब यह है कि हक़ के साथ लो तो दीन, नाहक़ लो तो नार यानी आतिशे दोज़ख़ ।

(तफ़्सीर इब्ने कसीर, जिल्द 1, पेज 423)

रिज़्क़ में बरकत

  • रिज़्क़ में बरकत और ज़ाहिरी व बातिनी ग़िना का मुजर्रब नुस्खा

“या मुगनी” 1, 111 (ग्यारह सौ ग्यारह) मर्तबा किसी वक़्त कव्ल व बाद दुरूद शरीफ़ 11-11 मर्तबा पाबन्दी से पढ़ें।

  • Chair में बैठ कर बयान करने की दलील Dawat~e~Tabligh

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  • नाखून कब काटना चाहिए? Dawat~e~Tabligh

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