‘अगर उन्हें लौटा दिया जाए तो फिर वे गुनाह करेंगे जिससे मना किया गया है। बेशक ये बड़े झूठे हैं।’ लीडरों की बेज़ारी, दुनिया में दोबारा आने की दरखास्त | सब धोके में हैं | Dawat-e-Tabligh

दुनिया में दोबारा आने की दरखास्त
सूरः अलिफ लाम-मीम सज्दा में फ़रमाया :
‘और अगर तुम वह वक़्त देखो जबकि मुज्रिम अपने परवरदिगार के सामने सिर झुकाये हुए (कह रहे) होंगे कि ऐ हमारे माबूद ! हमने देख लिया और सुन लिया। हमें आप दुनिया में लौटा दीजिए। हम नेक काम करेंगे। अब हमें यकीन आ गया। उस वक्त अजीब मंज़र देखोगे।’
लेकिन एक तो इन्हें दोवारा दुनिया में भेजा नहीं जाएगा और अगर भेज भी दिया जाए तो फिर नाफरमानी करेंगे। चुनांचे फ़रमाया :
-सूरः अनुआम
‘अगर उन्हें लौटा दिया जाए तो फिर वे गुनाह करेंगे जिससे मना किया गया है। बेशक ये बड़े झूठे हैं।’
सब धोके में रह जाएंगे
सूर- सबा में फरमाया :
हमने तुमको हिदायत से रोका था। जब तुम्हारे पास हिदायत आयी थी बल्कि तुम खुद मुरिम हुए। वे बड़ों को जवाब देंगे, बल्कि तुम्हारे रात-दिन के फरेब और चालवाज़ियों ने ही (हमें गुमराह किया) जब तुम हमें अल्लाह पाक के साथ कुछ करने और उसके साथ शरीक ठहराने का हुक्म देते थे।’
इन आयतों में बातिल और कुफ़ व शिर्क के लीडरों और उसकी बात पर चलने वालों की आपस में जो बहस क़ियामत के दिन अल्लाह के दरबार में होगी, उसको नकुल फरमाया है। छोटे कहेंगे कि लीडरो! तुमने हमारा नास मारा और ख़ुदा से बागी किया। लीडर कहेंगे कि हमने कब तुमको कुफ्र व शिर्क पर मजबूर किया और कब तुम्हारा हाथ पकड़कर रोका। तुमने खुद ही कुफ्र किया था मगर तुम्हारी चालों और धोखेबाज़ियों ने हमको हक मानने और अल्लाह के रसूलों की पैरवी से रोके रखा। सूरः साफ़्फ़ात में फरमाया :
‘काश ! तुम वह वक्त देखो जब ज़ालिम अपने परवरदिगार के पास खड़े हुए एक दूसरे पर बात टाल रहे होंगे जो लोग दुनिया में छोटे समझे जाते थे, उन लोगों से कहेंगे जो दुनिया में बड़े समझे जाते थे। अगर तुम न होते, तो हम यकीनन मोमिन होते। (यह सुनकर) बड़े लोग छोटों से कहेंगे कि क्या हमने तुमको हिदायत से रोका था। जब तुम्हारे पास हिदायत आयी थी बल्कि और चालबाज़ियों ने ही (हमें गुमराह किया) जब तुम हमें अल्लाह पाक के तुम खुद मुमि हुए। वे बड़ों को जवाब देंगे, बल्कि तुम्हारे रात-दिन के फ़रेब साथ कुछ करने और उसके साथ शरीक ठहराने का हुक्म देते थे।’
इन आयतों में बातिल के और कुफ व शिर्क के लीडरों और उसकी बात पर चलने वालों की आपस में जो बहस कियामत के दिन अल्लाह के दरबार में होगी, उसको नकल फरमाया है। छोटे कहेंगे कि लीडरो ! तुमने हमारा नास मारा और ख़ुदा से बागी किया। लीडर कहेंगे कि हमने कब तुमको कुन व शिर्क पर मजबूर किया और कब तुम्हारा हाथ पकड़कर रोका। तुमने खुद ही कुफ़ किया था मगर तुम्हारी चालों और धोखेबाज़ियों ने हमको हक़ मानने और अल्लाह के रसूलों की पैरवी से रोके रखा। सूरः साफ़्फ़ात में फ़रमाया :
‘और एक दूसरे की तरफ़ मुतवज्जह होकर जवाब व सवाल करने लगेंगे जो तावे (मातहत) थे वे अपने लीडरों से कहेंगे कि हमारे पास तुम्हारा आना बहुत ज़ोर से हुआ करता था। लीडर कहेंगे बल्कि तुम खुद ही ईमान नहीं लाये थे और हमारा तुम पर कोई ज़ोर तो था ही नहीं बल्कि तुम खुद ही सरकशी किया करते थे। सो हम सब पर तुम्हारे रब की बात साबित हो गयी कि हमको मज़ा चखना है। तो हमने तुमको बहकाया। हम खुद ही गुमराह थे ।’
छोटे लोग और जनता अपने लीडरों और पर इल्ज़ाम रखेंगे कि तुमने हमारा नास खोया और बड़े जोर-शोर से तुम हमारे पास आते और तक़रीरों (भाषणों), तहरीरों (लेखों) से हम पर ज़ोर डालते और बातिल (असत्य) की तरफ़ बुलाते और हक़ के मानने से रोकते थे । लीडर जवाब में कहेंगे कि हमारा तुम पर क्या ज़ोर था । तुम्हारे दिल में ईमान न घुसने देते। तुम खुद ही अक्ल व इंसाफ़ की हद से निकल गए कि बेग़रज़ नसीहत करने वालों का कहना न माना और हमारे बहकावे में आये । समझ से और अंजाम को सोचते हुए काम लेते तो हमारी बातों पर कान न धरते। खुदा के सच्चे पैग़म्बरों और कासीदों की बातों से क्यों मुंह मोड़ते ? हम तो खुद ही गुमराह थे। गुमराह से और क्या उम्मीद हो सकती है? वह तो गुमराह ही करेगा। अब क्या बन सकता है। अब हमको और तुमको अज़ाब चखना है। आगे फ़रमाया :
‘सो वे सब उस दिन अज़ाब में शरीक हों। हम मुजिमों के साथ ऐसा ही करते हैं। दुनिया में जब उनसे ‘ला इला ह इल्लल्लाह’ कहा जाता तो घमंड करते और यों कहते थे। क्या हम छोड़ देंगे अपने माबूदों को, एक शायर दीवाना के कहने से ।’
लीडर हों या जनता, जिसने भी ‘ला इला ह इल्लल्लाह’ से इंकार किया और खुदा को माबूद मानने को अपनी शान के ख़िलाफ़ समझा और खुदा के रसूल को झुठलाया और शायर व दीवाना बताया। ऐसे लोग सब ही अज़ाब में डाले जाएंगे। यह न होगा कि सिर्फ गुमराह करने वाले लीडरों को अज़ाब हो और उनके रास्ते पर चलने वाली जनता छोड़ दी जाए।
लीडरों की बेज़ारी
सूरः बकरः में फ़रमाया :
‘जिनके कहने पर दूसरे चलते थे। जब वे इनसे साफ़ बेज़ारी जाहिर करेंगे जिन्होंने उनका कहा माना था और अज़ाब को देख लेंगे और उनके तअल्लुकात आपस में टूट जाएंगे।’
क़ियामत के दिन गुमराही के लीडर और ‘कुफ़ अपने लोगों से बेज़ारी ज़ाहिर करेंगे और कोई मदद न करेंगे और न मदद कर सकेंगे। उस वक्त उनकी बात पर चलने वालों और उनकी कुफ़ व बातिल की तज्वीज़ों और प्रस्तावों पर हाथ उठाने वालों लीडरों पर जो गुस्सा आएगा, ज़ाहिर है इसी आयत के आगे लोगों की परेशानी और शर्मिंदगी का ज़िक्र फ़रमाते हुए अल्लाह जल्ल ल शानुहू ने फ़रमाया :
‘ (और इन झूठे लीडरों के) लोग कहेंगे कि किसी तरह एक बार ज़रा हमको दुनिया में जाना मिल जाए तो हम भी उनसे साफ़ अलग हो जाएं। जैसा ये हमसे (इस वक़्त ) साफ़ अलग हो गए और उनको दोज़ख़ से निकलना नसीब न होगा ।’
कुरआन करीम ने साफ खोल कर मैदाने हश्र के वाकिए ब्यान फ़रमाये हैं। क्या ठिकाना है हमदर्दी और भलाई चाहने का। बदकिस्मत हैं जो उसकी दावत पर कान नहीं धरते और उसकी खुली निशानियों से नसीहत हासिल नहीं करते!