शैतान दो सिम्तें भूल गया इसलिए हम बच गए। Shaitan किस तरह लोगो को परेशान krta ha? Shaitan की kya कोशिश है ? Shaitan se kaise bache? Shaitan ka khana kya ha, ghar Kaha ha? Shaitan riswat kyu nahi leta ? Shaitan ka लोगो को परेशान krna Web Stories | Aurat ya mard ka akele hona- Dawat~e~Tabligh in Hindi…

Shaitan ka लोगो को परेशान krna
- शैतान की शरारत
एक मर्तबा एक आदमी ने शैतान को देखा। उसने कहा, मद तो बड़ा ही बदमाश है, तूने क्या फ़साद मचाया हुआ है, अगर तो आराम से एक जगह बैठ जाता तो दुनिया में अग्न हो जाता। वह मद जवाब में कहने लगा, मैं तो कुछ नहीं करता, सिर्फ उंगली लगाता हूं। उसने पूछा, क्या मतलब? शैतान ने कहा, अभी देखना क़रीब ही एक हलवाई की दुकान थी। वहां किसी वर्तन में शीरा पड़ा हुआ था। शैतान ने उंगली शीरे में डुबोई और दीवार पर लगा दी। मक्खी आकर शीरे पर बैठ गई। उसस मक्खी को खाने के लिए एक छिपकली आ गई। साथ ही एक आदमी काम कर रहा था। उसने छिपकली को देखा तो उसने जूता उठाकर छिपकली को मारा। वह जूता दीवार से टकरा कर हलवाई की मिठाई पर गिरा। जैसे ही जूता मिठाई पर गिरा तो हलवाई उठ खड़ा हुआ और गुसे में आकर कहने लगा, ओए! तूने मेरी मिठाई में जूता क्यों मारा? अब वे उलझने लग गए। इधर से उसके दोस्त आ गए और उधर से उसके दोस्त पहुंच गए। बिल आखिर ऐसा झगड़ा मचा कि ख़ुदा की पनाह । अब शैतान उस आदमी से कहने लगा, देख! मैं नहीं कहता था कि में तो सिर्फ उंगली लगाता हूं। जब उसकी एक उंगली का यह फ़साद है तो पूरे शैतान में कितनी नहूसत होगी। (मल्फ़ज़ात हज़रत मौलाना थानवी रह०)
Shaitan किस तरह लोगो को परेशान करता ha?
- ‘शैतान के छः हथियार
शैतान मुख्तलिफ तरीकों से फ़ितने में डालता है :-
(1) उलमा ने लिखा है कि यह सबसे पहले इंसान को ताआत से रोकता है। यानी इंसान के दिल से ताआत की अहमियत निकाल देता है जिसकी वजह से बन्दा कहता है कि अच्छा, मैं नमाज़ पढ़ लूंगा, हालांकि दिल में पढ़ने की नीयत नहीं होती।
(2) अगर इंसान शैतान के कहने से भी नेकी से न रुके और वह नीयत कर ले कि मुझे यह नेकी करनी है तो फिर वह दूसरा हथियार इस्तेमाल करता है कि वह उस नेक काम को टालने की कोशिश करता है। मसलन किसी के दिल में यह बात आई कि मैं तौबा कर लेता हूँ तो वह उसके दिल में डालता है कि अच्छा, फिर कल से तौबा कर लेना किसी के दिल में यह बात आई कि मैं नमाज़ पढूंगा तो कहता है कि कल से नमाज़ शुरू कर देना। यूं शैतान उसे नेकी के काम से टालने की कोशिश करता है, और याद रखें कि जो काम टाल दिया जाता है वह काम टल जाया करता है।
(3) अगर कोई बन्दा शैतान के उकसाने पर भी नेक काम करने से न टले और वह कहे कि मुझे यह काम करना है तो फिर वह दिल में डालता है कि जल्दी कर लो। मसलन किसी जगह पर खाना भी खाना हो और नमाज़ भी पढ़नी हो तो दिल में डालता है कि जल्दी से नमाज़ पढ़ ले फिर खाना खाना नहीं भाई नहीं, बल्कि यूं कहना चाहिए कि भाई जल्दी-जल्दी खाना खा लो, फिर तसल्ली से नमाज़ पढ़ लेंगे
(4) अगर कोई आदमी जल्दी में कोई नेक काम कर लेता है तो फिर वह उसमें रिया करवाता है और यूं वह रिया के ज़रिए उसके किए हुए अमल को बर्बाद करवाता है। वह दिल में सोचने लगता है कि ज़रा दूसरे भी देख लें कि मैं कैसा नेक अमल कर रहा हूं।
(5) अगर उसमें काम करते वक्त रिया पैदा न हो तो वह उसके दिल में उज्ब डालता है और वह सोचता है कि मैं दूसरों से बेहतर हूं। मसलन यह कहता है कि मैं तो फिर भी नमाज़ पढ़ लेता हूं लेकिन फलां तो नमाज़ ही नहीं पड़ता। वह समझता है कि में तो आखिर पढ़ा लिखा हूँ, हाफ़िज़ हूँ, क्रारी हूँ, आलिम हूँ और मैंने इतने हज किए हैं। जब इस तरह उसमें तकब्बुर आ जाता है तो यही उज्बउसकी बर्बादी का सबब बन जाता है।
(6) अगर उसके दिल में उज्ब भी पैदा न हो तो वह आखिरी हव यह इस्तेमाल करता है कि वह उसके दिल में शोहरत की तमन्ना पैदा कर देता है वह जबान से शोहरत पसन्दी की बातें नहीं करेगा बल्कि उसके दिल में यह बात होगी कि लोग मेरी तारीफें करें और जब उसकी तारीफ़ करेंगे तो वह खुश होगा। शैतान इन छः हथकंडों से इंसान के नेक आमाल बर्बाद कर देता है।
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Shaitan की kya कोशिश है ?
- शैतान की चालाकियां
एक दफा शैतान की हज़रत मूसा अलैहि० से मुलाकात हो गई। उन्होंने पूछा, तू कौन है? वह कहने लगा, मैं शैतान हूं। उन्होंने फ़रमाया, तू लोगों को गुमराह करने के लिए बड़े डोरे डालता फिरता है, तेरे तजुर्बे में कौन-सी बात आई है? वह कहने लगा, आपने तो बड़ी अजीब बात पूछी है, यह कैसे हो सकता है कि में आपको अपनी सारी ज़िन्दगी का तजुर्बा बता दूँ। हज़रत मूसा अलैहि० ने फ़रमाया, फिर क्या है बता दे वह कहने लगा, तीन बातें मेरे तजुर्बात का निचोड़ हैं-
1. पहली बात तो यह है कि अगर आप सदक़ा करने की नीयत कर लें तो फ़ौरन दे देना क्योंकि मेरी कोशिश यह होती है कि नीयत करने के बाद बन्दे को भुला दूं। जब मैं किसी को भुला देता हूं तो फिर उसे याद ही नहीं होता कि मैंने नीयत की थी या नीं।
2. दूसरी बात यह है कि जब आप अल्लाह तआला से कोई वादा करें तो उसे फ़ौरन पूरा कर देना क्योंकि मेरी कोशिश यह होती है कि मैं उस वादे को तोड़ दूं।
मसलन कोई वादा करे कि ऐ अल्लाह ! मैं यह गुनाह नहीं करूंगा तो मैं ख़ास मेहनत करता हूं कि वह उस गुनाह में ज़रूर मुबतला हो।
Aurat ya mard ka akele hona
3. तीसरी बात यह है कि किसी गैर-महरम के साथ तंहाई में न बैठना क्योंकि में मर्द की कशिश औरत के दिल में पैदा कर देता हूं और औरत की कशिश मर्द के दिल में पैदा कर देता हूं। मैं यह काम अपने चेलों से नहीं लेता बल्कि मैं बजाते खुद यह काम करता हूँ। (तल्बीसे इब्ली स)
Aurat aur mard ka akele hona | Shaitan की kya कोशिश है ? – Web Stories
Shaitan se kaise bache?
- शैतान दो सिम्तें भूल गया इसलिए हम बच गए
जब शैतान ने कहा कि ऐ अल्लाह ! मैं औलादे आदम पर दाएं, बाएं, आगे और पीछे चारों तरफ़ से हमले करूंगा तो फ़रिश्ते वह सुनके बड़े हैरान हुए। अल्लाह तआला ने फ़रमाया, “मेरे फ़रिश्ते ! इतने मुताज्जुब क्यों हो रहे हो?” फरिश्तों ने कहा, ऐ अल्लाह अब तो इब्ने आदम के लिए मुश्किल बन गई है, वह तो इस मरदूद के हथकंडों से नहीं बच सकेंगे। परवरदिगारे आलम ने फ़रमाया : “तुम इतने मुतज्जुब न हो, उसने चार सिम्तों का नाम तो लिया है मगर ऊप और नीचे वाली दो सिम्तों को भूल गया है इसलिए मेरा गुनाहगार बन्दा जब कभी नादिम और शर्मिन्दा होकर मेरे दरपे आ जाएगा और अपने मांगने के लिए उठा लेगा, तो अभी मेरे बन्दे के हाथ नीचे नहीं जाएंगे कि मैं उससे पहले उसके गुनाहों को माफ़ फ़रमा दूंगा। और अगर कभी मेरा बन्दा नादिम व शर्मिन्दा होकर मेरे दर पर आकर अपने सर को झुका देगा तो चूंकि सर नीचे की सिम्त को झुकाएगा और शैतान नीचे की सिम्त से असर अंदाज़ नहीं हो सकेगा इसलिए मेरा बन्दा अभी सज्दा से सर नहीं उठाएगा कि उससे पहले मैं उसके गुनाह माफ़ फ़रमा दूंगा।
मेरे दोस्तो! ऊपर और नीचे की सिम्तें महज हैं इसलिए परवरदिगारे आलम से अपने गुनाहों की माफ़ी मांग लीजिए। तंहाइयों में हाथ उठाकर माफ़ी मांगिए, सज्दे में सर डाल कर माफ़ी मांगिए। आप हज़रात अल्लाह के दर की चोखट को पकड़ कर बैठे हैं, क्या बईद है कि हम में किसी की नदामत अल्लाह को पसन्द आए और उसके इख्लास की बरकत से अल्लाह तआला सब की तौबा को क़बूल फरमा ले।
रब्बे करीम! हमें आने वाली जिन्दगी में शैतान के हथकंडों से महान फ़रमा ले और मौत के वक़्त ईमान की हिफ़ाज़त अता फ़रमा दे। (आमीन सुम-म आमीन!)
Shaitan riswat kyu nahi leta ?
- शैतान रिश्वत नहीं लेता है
इमाम गजाली रह० फरमाते हैं कि शैतान हमारा ऐसा दुश्मन है जो भी रिश्वत क़बूल नहीं करता, बाक़ी दुश्मन ऐसे होते हैं कि अगर कोई हदिये, तोहफ़े और रिश्वत दे दे तो वे नर्म पड़ जाएंगे और मुखालिफत छोड़ देंगे और अगर खुशामद की जाए तो उसे भी व मान जाएंगे मगर शैतान यह दुश्मन है जो न तो रिश्वत क़बूल करता है और न खुशामद क़बूल करता है। यह कोई नहीं कह सकता कि हम एक दिन बैठकर उसकी ख़ुशामद कर लेंगे और यह हमारी जान छोड़ जाए। यह हरगिज़ नहीं छोड़ेगा, इसलिए कि यह ईमान का डाकू है और इसकी हर वक्त इस बात पर नज़र है कि मैं किस तरह इंसान को ईमान से महरूम कर दूँ।
Shaitan ka khana kya ha, ghar Kaha ha?
- शैतान के मुनादी
हज़रत अबू अमामा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इर्शाद फ़रमाया कि जब इब्लीस ज़मीन पर आने लगा तो उसने अल्लाह तआला से अर्ज़ किया: ऐ परवरदिगार! तू मुझे ज़मीन पर भेज रहा है और रांद-ए-दरगाह कर रहा है। मेरे लिए कोई घर भी बना दे अल्लाह तआला ने फ़रमाया: तेरा घर हमाम है। उसने अर्ज़ किया, मेरे लिए कोई बैठक (मजलिस) भी बना दे। फ़रमाया : बाज़ार और रास्ते (तेरी बैठक हैं) अर्ज किया कि मेरे लिए खाना भी मुकर्रर फ़रमा दे फ़रमाया तेरा खाना हर वह चीज़ है जिस पर अल्लाह का नाम न लिया जाये। अर्ज़ किया : मेरे लिए पीने के लिए भी कोई चीज़ मुकर्रर कर दीजिए फ़रमाया हर नशाआवर चीज़ (तेरा मश्रुब है ) । अर्ज़ किया मुझे अपनी तरफ बुलाने का कोई जरिया भी इनायत फ़रमा दे। फ़रमाया : बाजे, ताशे (तेरे मुनादी हैं) अर्ज़ किया : मेरे लिए क़ुरआन (बार-बार पढ़ी जाने वाली चीज़) भी बना दे। फ़रमाया : (गंदे) शेर (तेरा कुरआन है) अर्ज़ किया कुछ लिखने के लिए भी दे दे फ़रमाया जिस्म में गोदना (तेरी लिखाई है)। अर्ज़ किया मेरे लिए कलाम भी मुक़र्रर फ़रमा दे। फ़रमाया झूठ (तेरा कलाम है)। अर्ज़ किया मेरे लिए जाल भी बना दे । फ़रमाया औरतें (तेरा जाल हैं) ।
-निदाए- मिम्बर व महराब, हिस्सा 1 पेज 239, जामउल
अहादीस, हिस्सा 2 पेज 58 फ़ायदा:- तो इस हदीस के मुताबिक म्यूज़िक और गाना शैतान के मुनादी और शैतान के दाजी हैं। आज हम अपने आसपास नज़र डालें तो अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के इस फरमान की हक़ीक़त खुलकर सामने आ जाती है।
शैतान का पेशाब इंसान के कान में
हज़रत इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु फ़रमाते हैं कि जनाब नवी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने एक आदमी का जिक्र किया गया कि वह सुबह तक सोता ही रहता है नमाज़ के लिए भी नहीं उठता तो आप सल्ल० ने इर्शाद फ़रमाया :
तर्जमाः- यह ऐसा आदमी है जिसके कानों में शैतान पेशाब कर जाता।
– तारीखे जिन्नात व शयातीन, बुखारी व मुस्लिम, पेज 385
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Chair में बैठ कर बयान करने की दलील Dawat~e~Tabligh
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नाखून कब काटना चाहिए? Dawat~e~Tabligh
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Kiska जूठा खा सकते है? | खाने से पहले और बाद में हाथ धोने Ke फायदा – Dawat~e~Tabligh