Allah se दुआ ki Kavita-Dawat~e~Tabligh
तेरी अजमतों से हूँ बेख़बर, यह मेरी नज़र का क़सूर हैं। कहीं दिल की शर्त न डालना, अभी दिल निगाहों से दूर है। Allah se दुआ ki Kavita – Web Stories in Hindi Dawat~e~Tabligh…
तेरी अजमतों से हूँ बेख़बर, यह मेरी नज़र का क़सूर हैं। कहीं दिल की शर्त न डालना, अभी दिल निगाहों से दूर है। Allah se दुआ ki Kavita – Web Stories in Hindi Dawat~e~Tabligh…
Allah के लिए एक दिरहम ख़र्च कर, अल्लाह के ख़ज़ाने से दस दिरहम लो, Garib का Sadka Allah के रास्ते में kharch करने के फायदे Web Stories | Paiso में barkat- Dawat~e~Tabligh…. रोज़ी में बरकत के लिए नब्बी नुस्खा, ग़रीब साथी का सदका क़बूल करना
अच्छी नज़र का असर भी हक़ है। Nazr-e-bad ka Kissa हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की बद्दुआ का असर नज़रे बद, बुरी नजर, बद्दुआ, श्राप का असर | Nazar utarne ka tarika- Dawat~e~Tabligh…
मख़्सूस आमाल जो मख़्सूस मुसीबतों से नजात दिला देते हैं। इसमें उन मख़्सूस आमाल का ज़िक्र है जो मख़्सूस मुसीबतों से नजात दिलवाने वाले हैं। ख़ुदा की क़ुदरत Web Stories|कर्म जो मुसिबत से बचा लेते हैं – Dawat-e-Tabligh…
मांगने वाला हो ! जो रिज़्क का तालिब हो मैं रिज़्क उसे दूंगा ! वह माइले तौबा हो मैं माइले बख्शिश हूँ ! वह अपने गुनाहों की कसरत से न घबराये ! मैं रहम से बख़्शृंगा वह शर्म से पछताये ! Tahajjud ki कविता Web Stories |अल्लाह की तरफ़ से – Dawat-e-Tabligh….
मेरे कुछ गुलाम हैं जो मुझसे झूठ बोलते हैं और मेरी ख़ियानत करते हैं और मेरी नाफरमानी करते हैं, और मेरी तरफ से यह है कि उनको गालियां देता हूं और सज़ा में मारता भी हूं। अब मेरा और उनका क्या मामला होगा? मालिकों और गुलामों का इन्साफ | Zulm करने वाले Web Stories | Dawat-e-Tabligh
Shaitan मेरी बात क्यों मानी? तुम खुद मुज्मि हो? पैगम्बरों की दावत छोड़कर , हुज्जत और दलील के ज़रिए। मेरे झूठे और बातिल बुलावे पर तुमने क्यों कान धरा। कोई ज़बरदस्ती हाथ पकड़ के तो मैंने तुमसे कुफ़ व शिर्क के काम कराये नहीं। शैतान का फसाना | Shaitan की चलाकिया | Dawat-e-Tabligh….
जो Jannat में दाखिल होगा, उसमें हमेशा रहेगा। Jannat में किसी को Maut न आएगी। न उससे निकाले जाएंगे, न निकलना चाहेंगे । कौन गुमराह न हो स्केगा ? |आराफ़ क्या है ? |मौत खतम | Dawat-e-Tabligh….