मांगने वाला हो ! जो रिज़्क का तालिब हो मैं रिज़्क उसे दूंगा ! वह माइले तौबा हो मैं माइले बख्शिश हूँ ! वह अपने गुनाहों की कसरत से न घबराये ! मैं रहम से बख़्शृंगा वह शर्म से पछताये ! Tahajjud ki कविता Web Stories |अल्लाह की तरफ़ से – Dawat-e-Tabligh…

तहज्जुद के वक्त अल्लाह की तरफ़ से निदा
मैं नूर के तड़के में जिस वक्त उठा सोकर!
अल्लाह की रहमत के दरवाजे खुले पाये !
आती थी सदा पैहम जो मांगने वाला हो !
हाथ अपनी अकीदत से आगे मेरे फैलाये !
जो रिज़्क का तालिब हो मैं रिज़्क उसे दूंगा !
जो तालिबे जन्नत हो जन्नत की तलब लाये !
जिस-जिस को गुनाहों से बख़्शिश की तमन्ना हो !
वह अपने गुनाहों की कसरत से न घबराये !
वह माइले तौबा हो मैं माइले बख़्शिश हूँ !
मैं रहम से बख़्शृंगा वह शर्म से पछताये !
यह सुन के हुए जारी आँखों से मेरी आँसू !
क़िस्मत है मुहब्बत में रोना जिसे आ जाये !
आकाए गदा परवर साइल हूँ तेरे दर पर !
मैं और तो क्या मागूं तू ही मुझे मिल जाये !