आठ घंटे की Duty आसान है आठ मिनट की Tahajud मुश्किल है। Jumma की नमाज फडने के लिए मस्जिद आने वालों की neki। जुमे के दिन Allah से क्या Dua मागे ? Tahajjud नमाज़ की बरकत | सफ़र में जुमे की नमाज़ kaise पढ़े ? – Dawat~e~Tabligh in Hindi..

नमाज़ की बरकत
अता अरज़क को उनकी बीवी ने दो दिर्हाम दिये ताकि उसका आटा ख़रीद कर लाएं जब आप बाज़ार को चले तो रास्ते में एक गुलाम को देखा कि खड़ा रो रहा है, जब उससे वजह पूछी तो उसने कहा कि मुझे मौला ने दो दिरहम दिये थे सौदे के लिए, वह खो गये अब वह मुझे मारेगा। हज़रत ने दोनों दिरहम उसे दे दिये और शाम तक नमाज़ में मश्गूल रहे और इंतज़ार कर रहा था कि कुछ मिले, कुछ हासिल न हुआ। जब शाम हुई तो अपने एक दोस्त बढ़ई की दुकान पर बैठ गये।
उसने कहा यह खोरा ले जाओ तन्दूर गर्म करने की ज़रूरत हो तो काम आयेगा और कुछ मेरे पास नहीं जो आपकी ख़िदमत करूँ, आप वह खोरा एक थैले में डालकर तशरीफ़ ले गये और दरवाज़े ही से वह थैला घर में फेंककर मस्जिद तशरीफ़ ले गये और नमाज़ पढ़कर बहुत देर तक बैठे रहे ताकि घर वाले सो जायें और उनसे मुखासमत न करें फिर घर आये तो देखा कि वह लोग रोटी पका रहे थे फ़रमाया तुम्हें आटा कहाँ से मिला। कहने लगे कि वही है जो आप थैले में लाये थे, हमेशा उसी शख़्स से ख़रीद कर लाया कीजिए जिससे आज ख़रीदा है, फ़रमाया इन्शा अल्लाह मैं ऐसा ही करूंगा।
– रौजुर्रियाहीन, पेज 260, 755 हिज्री
Tahajud ki tofik के लिए दुआ
- तहज्जुद के लिए तौफ़ीक़ की दुआ
जब यह उम्मत रातों को रोया करती थी तो दिन को हंसा करती थी। एक नुक्ता ज़ेहन में रख लीजिए कि अगर आप थके हुए हैं, नींद ग़ालिब
है और उठ नहीं सकते, तो कई मर्तबा इंसान की रात में आंख खुलती है। किसी तक़ाज़े की वजह से करवट लेते हुए आंख ज़रूर खुलती है। जिन हज़रात को तहज्जुद की तौफ़ीक़ नहीं मिलती वे जब करवट लेने के लिए बेदार हों तो उस एक लम्हे में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त से तहज्जुद की तौफ़ीक़ की दुआ जरूर मांग लिया करें। यह एक छोटी-सी बात है लेकिन इसका आपको यह फ़ायदा होगा कि उस लम्हे की मांगी हुई दुआ भी आपको अल्लाह रख्खुल इज्ज़त का मक़बूल बना देगी। हमारे मशाइख़ तो यहां तक फ़रमाते हैं कि जो औरतें फ़ज़ की अज्ञान से पहले उठकर घरों को साफ़ करती हैं या चाय बना लेती हैं वे भी अल्लाह की रहमत से फ़ायदा पा लेती हैं।
आठ घंटे की Duty आसान है आठ मिनट की Tahajud मुश्किल है
कितनी अजीब बात है कि वह दुकान और दफ्तर जिससे इंसान को समय के तौर पर रिज़्क मिलता है। यहां वह रोजाना आठ घंटे ड्यूटी देता है। ऐ इंसान जिस सबब से तुझको रिज़्क मिलता है उस सबब पर मेहनत करने में रोजाना आठ घंटे लगाता है और मुसब्बिबुल असबाब जहां से बगैर सबब के रिज़्क मिलता है उसके सामने दामन फैलाने की तुझे आठ मिनट की भी फुरसत नहीं है। क्या कभी किसी ने आठ मिनट तहज्जुद के वक्त अल्लाह के सामने दामन फैलाया? वहां तो सबब के बगैर डायरेक्ट मिल रहा होता है। अरे! वास्ते के ज़रिए लेने पर आठ घंटे और जहां से बिला वास्ते मिलता है। वहां आठ मिनट भी नहीं दिए। हमें चाहिए कि हम तंहाई में अल्लाह रब्बुल इज्ज़त के सामने बैठें और अपने सब अहवाल उसी के सामने बयान करें। क्योंकि अल्लाह तआला इस बात से खुश होते हैं कि बन्दा हर चीज़ उसी से मांगे और हर वक़्त उसी से मांगे और नेमतें मिलने पर अल्लाह तआला का शुक्र अदा करे।
Tahajud के वक़्त नीचे लिखे कलिमात दस-दस मर्तबा पढ़ें
अल्लाहु अकबर – दस बार
अलहम्दुलिल्लाह – दस बार
सुव्हानल्लाहि व बि- हमिदही – दस बार
सुब्हानल मलिकिल कुद्दूस – दस बार
अस्तगफ़िरुल्लाह – दस बार
ला इला-ह इल्ललाह – दस बार
अल्लाहुम-म इन्नी अऊजु-बि-क मिन जीक़िद्-दुनया व जीक़ि यौमिल कियामत – दस बार
(बहवाला अबू दाऊद शरीफ़, जिल्द 2, पेज 694, इब्ने सुन्नी, पेज 761)
Jumma की नमाज फडने के लिए मस्जिद आने वालों की neki
अंडा हलाल है इसकी दलील
हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : जब जुमे का दिन होता है तो फ़रिश्ते मस्जिद के दरवाजे पर खड़े हो जाते हैं और शुरू में आने वालों के नाम एक के बाद एक लिखते हैं और अव्वल वक्त दोपहर में आने वाले की मिसाल उस शख़्स की सी है जो अल्लाह के हुज़ूर में ऊँट की कुरबानी पेश करता है, फिर उसके बाद दूसरे नम्बर पर आने वाले की मिसाल उस शख़्स की सी है जो गाय पेश करता है, फिर उसके बाद आने वाले की मिसाल मेंढा पेश करने वाले की, उसके बाद आने वाले की मिसाल मुर्गी पेश करने की, उसके बाद आने वाले की मिसाल अंडा पेश करने वाले की, फिर जब इमाम खुतबा के लिए मिम्बर की तरफ़ जाता है तो यह फ़रिश्ते अपने लिखने के दफ्तर लपेट लेते हैं और खुत्बा सुनने में शरीक हो जाते हैं।
-सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम
सफ़र में जुमे की नमाज़ kaise पढ़े ?
- जुमे की नमाज़ जुहर जमाअत से-पढ़ना
मसला :- अगर चन्द आदमी सफ़र में हों तो नमाज़े जुहर जुमे के रोज़ जमाअत के साथ पढ़ सकते हैं और उनको (अगर नमाज़ जुमा न पढ़ें तो) जुहर बा- जमाअत ही अदा करना चाहिए।
-फ़तावा दारुल उलूम, पेज 58, पुरानी जिल्द अव्वल, मसाइले-सफ़र, पेज 69
जुमे के दिन Allah से क्या Dua मागे ?
- जुमे के दिन नमाज़े- जुमा के बाद दुआ पढ़े कम से कम तीन मर्तबा यह दुआ पढ़े
“ऐ अल्लाह ! मैं आप से दर्खास्त करता हूँ इन अज़ीम और मुबारक नामों के वास्ते से कि आप रहमत भेजिए, हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर और आप की पाकीज़ा आल पर और सवाल करता हूँ यह कि मुझे शामिल फ़रमा ले अपने मुक़र्रब और नेक बंदों में। मुझे यक़ीन की दौलत अता फ़रमा, दुनयावी मर्जी, मुसीबतों और आख़िरत के अज़ाब से अपनी अमान में रख, जालिमों और दुश्मनों से मेरी हिफ़ाज़त फ़रमा, उनके दिलों को फेर दे, उनको शर से हटाकर ख़ैर की तौफ़ीक़ इनायत करना आप ही के इख़्तियार में है, या अल्लाह मेरी इस दर्खास्त को क़बूल फ़रमा, यह मेरी सिर्फ मेरी एक कोशिश है, भरोसा और तवक्कुल आप ही पर है।”
(- बयानकर्दा हज़रत मौलाना इफ्तिखारुल हसन साहब कांधलवी)
जुमे कि Namaz के बाद Allah से क्या Dua मागे ?
- जुमे के दिन नमाज़े-जुमा के बाद कम से कम तीन मर्तबा यह दुआ पढ़े
ऐ अल्लाह ! मैं आप से दर्खास्त करता हूँ इन अज़ीम और मुबारक नामों के वास्ते से कि आप रहमत भेजिए, हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर और आप की पाकीज़ा आल पर और सवाल करता हूँ यह कि मुझे शामिल फ़रमा ले अपने मुक़र्रब और नेक बंदों में। मुझे यक़ीन की दौलत अता फरमा, दुनयावी मर्जो, मुसीबतों और आख़िरत के अज़ाब से अपनी अमान में रख, जालिमों और दुश्मनों से मेरी हिफ़ाज़त फ़रमा, उनके दिलों को फेर दे, उनको शर से हटाकर ख़ैर की तौफ़ीक़ इनायत करना आप ही के इख़्तियार में है, या अल्लाह मेरी इस दर्खास्त को क़बूल फ़रमा, यह मेरी सिर्फ मेरी एक कोशिश है, भरोसा और तवक्कुल आप ही पर है।”
(-बयानकर्दा हज़रत मौलाना इफ्तिखारुल हसन साहब कांधलवी)
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