दुआ ki Kavita
दुआ ki Kavita
1) तेरी अजमतों से हूँ बेख़बर
यह मेरी नज़र का क़सूर हैं।
2) तेरी रहगुज़र में क़दम क़दम
कहीं अर्श है, कहीं तूर है
।
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3) यह बजा है मालिके बन्दगी
मेरी बन्दगी में कुसूर हैं।
4) यह ख़ता है मेरी ख़ता मगर
तेरा नाम भी तो गुफर हैं।
5) कहीं दिल की शर्त न डालना
अभी दिल निगाहों से दूर है।
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