पाँच जुमले आख़िरत के लिए
वह शख़्स इन कलिमात को पढ़ते हुए ही अल्लाह तआला को उसके हक्क़ में काफ़ी हैं।
पाँच कलिमात आख़िरत के मुतअल्लिक़ हैं।
1. काफ़ी है मुझको अल्लाह, मौत के वक़्त ।
2. काफ़ी है मुझको अल्लाह, क़ब्र में सवाल के वक्त ।
3. काफ़ी है मुझको अल्लाह, मीज़ान के पास (यानी उस तराज़ू के पास जिसमें नाम-ए-आमाल का वज़न होगा
4. काफ़ी है मुझको अल्लाह, पुल-सिरात के पास ।
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5. काफ़ी है मुझको अल्लाह, उसके सिवा कोई माबू
द नहीं,
मैंने उसी पर तवक्कुल किया और मैं उसी की तरफ़ रुजूअ
होता हूँ।
पाँच जुमले दुनिया के लिए
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