कमजोर पे Zulm
कमजोर पे Zulm
जब तुम्हें इक्तदार हासिल है, किसी पर हरगिज़ जुल्म न
करो क्योंकि जुल्म का अंजाम नदामत और शर्मिंदगी है।
तेरी दोनों आंखें सोती हैं और मजलूम जागता है और तुझे
बद्दुआएं देता है और अल्लाह की आंख कभी नहीं सोती।
जब ज़ालिम सवार होकर धरती का सीना रौंदता है और हर
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करतूत में हद से गुज़र जाता है,
तब तुम उसे ज़माने की गर्दिश के हवाले कर दो, क्योंकि
जमाना उसके सामने वह चीज़ खोल कर रख देगा जो उसके
वहम व गुमान में भी न होगी।
मचवारा ka दर्द | कमजोर पर जुल्म करना
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