Tahajjud ki कविता Web Stories |अल्लाह की तरफ़ से  

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मैं नूर के तड़के में जिस वक्त उठा सोकर!  

अल्लाह की रहमत के दरवाजे खुले पाये ! 

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जो रिज़्क का तालिब हो मैं रिज़्क उसे दूंगा ! 

जो तालिबे जन्नत हो जन्नत की तलब लाये ! 

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वह अपने गुनाहों की कसरत से न घबराये !  

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वह माइले तौबा हो मैं माइले बख़्शिश हूँ ! 

मैं और तो क्या मागूं तू ही मुझे मिल जाये ! 

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